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भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच, भारतीय राजनयिक आनंद प्रकाश ने काबुल में तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी से मुलाकात की। इस बातचीत में राजनीतिक और आर्थिक संबंधों के विस्तार पर चर्चा हुई। भारत ने अभी तक तालिबान सरकार को औपचारिक मान्यता नहीं दी है, लेकिन मानवीय सहायता और रणनीतिक संवाद के जरिए अफगानिस्तान में अपनी मौजूदगी बनाए रखने की कोशिश कर रहा है। यह मुलाकात अफगानिस्तान और पूरे क्षेत्र में भारत की दीर्घकालिक रणनीति के लिहाज से अहम मानी जा रही है...

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📍New Delhi | 3 months ago

India-Taliban Talks: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच भारत ने एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक कदम उठाया है। भारतीय विदेश मंत्रालय में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान डिवीजन के प्रमुख अधिकारी आनंद प्रकाश ने काबुल में तालिबान सरकार के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी से मुलाकात की। इस बैठक में दोनों पक्षों ने भारत-अफगानिस्तान संबंधों, व्यापार, और निवेश के अवसरों पर चर्चा की। यह मुलाकात ऐसे समय हुई है, जब कश्मीर आतंकी हमला ने क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं।

India-Taliban Talks: Indian diplomat meets Taliban amid India-Pakistan tensions
India’s key envoy for Afghanistan, Anand Prakash, held talks with Taliban’s acting Foreign Minister Amir Khan Muttaqi.

India-Taliban Talks: काबुल में क्या हुई बात?

अफगान मीडिया हाउस टोलो न्यूज के अनुसार, काबुल में हुई इस बैठक में अमीर खान मुत्तकी ने भारत के साथ राजनीतिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने भारतीय निवेशकों से अफगानिस्तान में निवेश के अवसरों का लाभ उठाने की अपील की। मुत्तकी ने कहा, “भारत और अफगानिस्तान के बीच व्यापार और कूटनीतिक संबंध बढ़ाने की जरूरत है। अफगानिस्तान में निवेश के लिए कई क्षेत्र खुले हैं, और भारतीय कंपनियां इनका फायदा उठा सकती हैं।”

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आनंद प्रकाश ने इस मुलाकात में भारत की स्थिति स्पष्ट की। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि पहलगाम आतंकी हमला का मुद्दा इस चर्चा में उठा या नहीं। सूत्रों के अनुसार, भारत ने अफगानिस्तान में मानवीय सहायता और स्थिरता पर जोर दिया। भारत ने हमेशा कहा है कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किसी भी देश के खिलाफ आतंकी गतिविधियों के लिए नहीं होना चाहिए।

India-Taliban Talks: तालिबान को नहीं है औपचारिक मान्यता

काबुल में हुई इस बातचीत का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि अब तक भारत ने तालिबान शासन को औपचारिक रूप से मान्यता नहीं दी है। भारत लगातार यह मांग करता रहा है कि अफगानिस्तान में सभी वर्गों को शामिल करने वाली एक समावेशी सरकार का गठन हो, और यह सुनिश्चित किया जाए कि अफगान धरती का इस्तेमाल किसी भी देश के खिलाफ आतंकवाद फैलाने के लिए न हो।

तालिबान द्वारा भारत के साथ संबंध सुधारने की कोशिशें यह संकेत देती हैं कि काबुल अब नई दिल्ली के साथ अपने रिश्तों को फिर से पटरी पर लाना चाहता है। मुत्ताकी का यह बयान कि भारत के निवेशकों को अफगानिस्तान में अवसरों का लाभ उठाना चाहिए, तालिबान के भारत के प्रति नजरिए में बदलाव का इशारा है।

India-Taliban Talks: अफगानिस्तान के विकास में भारत का हाथ

भारत हमेशा से अफगानिस्तान के साथ मजबूत दोस्ती का पक्षधर रहा है। तालिबान के सत्ता में आने से पहले भारत ने वहां बड़े स्तर पर विकास परियोजनाएं चलाई थीं, जैसे सलमा डैम, अफगान संसद भवन, और कई सड़क निर्माण परियोजनाएं।

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लेकिन अगस्त 2021 में जब तालिबान ने सत्ता पर कब्जा किया, तो भारत ने अपनी सुरक्षा चिंताओं के चलते काबुल से अपने राजनयिकों को वापस बुला लिया था। बाद में, जून 2022 में भारत ने एक “तकनीकी टीम” के माध्यम से फिर से काबुल में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, ताकि मानवीय सहायता और सीमित राजनयिक कार्यों को संभाला जा सके।

इससे पहले भारत ने अफगानिस्तान में जारी मानवीय संकट को देखते हुए वहां खाद्यान्न, दवाइयां और अन्य राहत सामग्री भेजने का काम लगातार जारी रखा है। भारत का रुख साफ रहा है, चाहे जो भी सरकार सत्ता में हो, अफगान जनता के लिए सहायता अवश्य दी जाएगी।

भारत बार-बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी इस बात की वकालत करता रहा है कि अफगानिस्तान को बिना किसी बाधा के मानवीय सहायता मिलनी चाहिए। काबुल में हुई हालिया बातचीत में भी आर्थिक सहयोग के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया गया।

अब आनंद प्रकाश की इस मुलाकात के बाद यह संकेत मिल रहे हैं कि भारत एक बार फिर से अफगानिस्तान में अपने रणनीतिक और आर्थिक हितों को सुरक्षित करने के प्रयास कर रहा है, भले ही तालिबान को आधिकारिक मान्यता न दी गई हो।

पहलगाम हमले पर तालिबान ने दी थी ये प्रतिक्रिया

तालिबान ने पहलगाम आतंकी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की थी। तालिबान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल कहार बल्खी ने कहा था, “हम पर्यटकों पर इस हमले की निंदा करते हैं। यह क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए खतरा है।” तालिबान ने मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना जताते हुए घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना की। यह बयान उस समय आया, जब भारत ने हमले के बाद सिंधु जल समझौता निलंबित कर दिया और पाकिस्तान आतंकी लिंक को उजागर किया।

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विश्लेषकों का मानना है कि तालिबान का बयान भारत के साथ आर्थिक और कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने की कोशिश का हिस्सा हो सकता है। आनंद प्रकाश की काबुल यात्रा और तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री के साथ उनकी मुलाकात इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

Taliban-India Relations: क्या अफगानिस्तान में फिर से खुलेगा भारतीय दूतावास? तालिबान संग रिश्ते सुधारने की कूटनीतिक कोशिश या मजबूरी?

विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत अफगानिस्तान में अपना प्रभाव बनाए रखना चाहता है, ताकि पाकिस्तान और चीन जैसे देशों को वहां पूरी तरह हावी होने से रोका जा सके। अफगानिस्तान का भू-राजनीतिक महत्व, विशेषकर मध्य एशिया तक पहुंच के लिहाज से, भारत के लिए बेहद अहम है। जून 2022 में भारत ने काबुल में अपनी तकनीकी टीम तैनात कर दूतावास को फिर से शुरू किया था। यह कदम अगस्त 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद भारतीय अधिकारियों की वापसी के बाद उठाया गया था।

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