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📍नई दिल्ली | 8 months ago

BrahMos Aerospace: भारत और रूस के जॉइंट वेंचर BrahMos Aerospace में इन दिनों सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। ताजा विवाद लीडर को लेकर सामने आया है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब डॉ. जैतर्थ आर जोशी को कंपनी का नया सीईओ बनाया गया। इस फैसले को लेकर वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. शिवसुबरमण्यम नाम्बी नायडू ने आपत्ति जताते हुए 19 नवंबर को हैदराबाद स्थित केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) में याचिका दायर की। उन्होंने आरोप लगाया कि इस नियुक्ति में वरिष्ठता और अनुभव को नजरअंदाज किया गया है।

BrahMos Aerospace: Why Is the Maker of India's Deadly Missile Embroiled in Controversy? Here's the Full Story

BrahMos Aerospace: कैट ने मांगा चार हफ्तों में जवाब

BrahMos Aerospace भारत के डिफेंस सिस्टम का अहम हिस्सा है। यहां चल रहे इस नेतृत्व विवाद ने कई घरेलू और अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं पर संकट खड़ा कर दिया है। डॉ. नाम्बी नायडू का दावा है कि वह डॉ. जोशी से सात साल वरिष्ठ हैं और उनका अभी तीन साल का सेवा काल अभी बाकी है। उन्होंने मांग की है कि नियुक्ति प्रक्रिया में एक्सपीरियस और सीनियरिटी को महत्व दिया जाए।

वहीं केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) ने इस मामले में DRDO और डॉ. जोशी से चार सप्ताह में जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 30 दिसंबर को होगी।

डॉ. नाम्बी की पृथ्वी कार्यक्रम में अहम भूमिका

डॉ. नाम्बी नायडू प्रथ्वी मिसाइल प्रोग्राम में एक अहम भूमिका निभा चुके हैं। वह भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) में मिसाइल प्रोडक्शन मैनेजमेंट का नेतृत्व कर चुके हैं। उनके अनुभव और प्रबंधन कौशल को देखते हुए BrahMos के कई बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए उन्हें जिम्मेदारी दी जाती है।

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डॉ. जोशी की LRSAM और MRSAM में अहम भूमिका

डॉ. जोशी ने लॉन्ग रेंज और मीडियम रेंज सर्फेस-टू-एयर मिसाइल (LRSAM और MRSAM) के डेपलपमेंट में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने इन प्रणालियों को भारत के स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर (IAC) में सफलतापूर्वक जोड़ा और इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) के साथ अंतरराष्ट्रीय सहयोग को भी मजबूत किया।

सूत्रों के मुताबिक, इस विवाद को जल्द से जल्द सुलझाना बेहद जरूरी है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “रक्षा मंत्रालय के लिए इस विवाद को अनदेखा करना मुश्किल होगा। BrahMos भारत की सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं के लिए बहुत अहम है। इस तरह के विवादों से संस्थान की विश्नसनियता को नुकसान पहुंच सकता है।”

BrahMos मिसाइल सिस्टम अपनी तेज रफ्तार और अचूक मारक क्षमता के लिए जानी जाती है। यह भारत और रूस के सहयोग से बनी एक मजबूत मिसाइल सिस्टम है।

BrahMos फिलहाल इंडोनेशिया, वियतनाम और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों के साथ निर्यात को लेकर बातचीत के अंतिम चरण में है। यह सौदे भारत की रणनीति का हिस्सा हैं, जो इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के प्रभाव को संतुलित करने की कोशिश कर रहे हैं।

फिलीपींस पहले ही BrahMos मिसाइल का ऑर्डर दे चुका है। जनवरी 2022 में हुए $375 मिलियन के इस अनुबंध के तहत अगली सप्लाई का इंतजार कर रहा है। भारत की सेना और वायुसेना भी इस मिसाइल प्रणाली को खरीदने पर विचार कर रही हैं।

BrahMos Aerospace में चल रहा यह विवाद जल्द खत्म होना चाहिए। यह कंपनी भारत की सुरक्षा और वैश्विक रक्षा बाजार में हमारी स्थिति को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाती है। रक्षा मंत्रालय को इस मामले को सुलझाने के लिए तुरंत और निर्णायक कदम उठाने होंगे, ताकि देश की रक्षा क्षमता पर इसका असर न पड़े और BrahMos की प्रतिष्ठा पर कोई आंच न आने पाए।

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