📍नई दिल्ली | 2 months ago
Srinagar Air base: सन् 1947 में, श्रीनगर हवाई अड्डे पर भारत ने अपनी पकड़ बहुत मुश्किल से बरकरार रखी थी। लेफ्टिनेंट कर्नल देवान रंजीत राय के नेतृत्व में 1 सिख और भारतीय वायुसेना की 12वीं स्क्वाड्रन की डकोटा विमानों की बहादुरी के चलते पाकिस्तानी मिलिशिया को मुंह की खानी पड़ी। पाकिस्तानी मिलिशिया हवाई अड्डे से सिर्फ 30 मील दूर तक पहुंच गई थी। लेकिन देश के बहादुर जवानों से उसे खदेड़ दिया। इसके बाद 1965 और 1971 के युद्धों में, पाकिस्तानी वायुसेना (PAF) ने श्रीनगर पर बार-बार हमले किए।
फ्लाइंग ऑफिसर निर्मल जीत सिंह सेखों को 14 दिसंबर 1971 को श्रीनगर के ऊपर एयर फाइट में उनकी अदम्य वीरता के लिए भारतीय वायुसेना का एकमात्र परम वीर चक्र दिया गया। हाल ही में, 10 मई 2025 को पाकिस्तान ने ऑपरेशन बनयान-अल-मरसूस के तहत श्रीनगर हवाई अड्डे पर हवाई हमला किया। इस हमले में ड्रोन, मिसाइल और फाइटर जेट शामिल थे। यह एक सुनियोजित हमला था, जिसमें पाकिस्तानी वायुसेना ने अंजाम दिया। फिर भी, श्रीनगर हवाई अड्डा खुला रहा और भारतीय वायुसेना के मिशन सफलतापूर्वक जारी रहे। इन हमलों से एक बात साफ हुई कि पाकिस्तान का इरादा श्रीनगर एयरफील्ड की ऑपरेशनल कैपेसिटी को नुकसान पहुंचाना था।
एलओसी और आईबी के नजदीक है Srinagar Air base:
7 मई को शुरू हुए भारत के ऑपरेशन सिंदूर और इसके जवाब में 10 मई को पाकिस्तान ने ऑपरेशन बनयान-अल-मरसूस शुरू किया। पाकिस्तान ने स्वार्म ड्रोन, एंटी-रेडिएशन मिसाइल (ARM) क्षमता के साथ कामिकेज़ ड्रोन, 100 किमी से अधिक दूरी तक मार करने वाले लंबी दूरी के स्टैंडऑफ हथियार, और 200 किमी से अधिक रेंज वाली बियॉन्ड-विजुअल-रेंज (BVR) मिसाइलें शामिल थीं। अगर इन हथियारों को समय पर निशाना न बनाया गया होता तो, श्रीनगर हवाई अड्डे को ऑपरेट करना मुश्किल हो जाता।

भौगोलिक रूप से देखा जाए तो श्रीनगर नियंत्रण रेखा (LoC) और अंतरराष्ट्रीय सीमा (IB) के नजदीक है, इसलिए इसे खतरा भी ज्यादा है। उरी, बारामूला और तुंगधार एलओसी से केवल 60-70 किमी दूर हैं, जबकि अखनूर में इंटरनेशनल बॉर्डर 120 किमी दूर है। पाकिस्तान का कादरी एयरबेस, जो श्रीनगर से 160 किमी दूर स्कर्दू में है, J-10C, F-16 और JF-17 जैसे एडवांस फाइटर जेट्स से लैस है। श्रीनगर से 100 किमी दूर पाकिस्तान का कोटली और रावलाकोट बेस से हेलीकॉप्टर और ड्रोन ऑपरेट किया जा सकते हैं। इसके अलावा पाकिस्तानी वायु सेना श्रीनगर से बेहद दूर स्थित मसरूर (कराची) जैसे ठिकानों से भी हमले कर सकती है, जिसमें हवा में ईंधन भरने (AAR) और लंबी दूरी की सटीक हथियारों का इस्तेमाल हो सकता है।
पाकिस्तानी वायुसेना का आधुनिक हथियार भंडार, जिसमें डेटा-लिंक्ड फाइटर जेट्स और साब 2000 एरिआई एयरबॉर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (AEW&C) उसकी पहुंच को बढ़ावा देते हैं। वहीं, श्रीनगर से 100-150 किमी दूर पाकिस्तानी एयर स्पेस से उनका एक कॉम्बैट एयर पेट्रोल (CAP) भारतीय लड़ाकू विमानों को उड़ान भरते ही निशाना बना सकता है, खासकर तब जब वे आसपास के इलाकों में उड़ान भर रहे हों। वहीं, इससे पहले कि भारतीय विमान ऊंचाई हासिल कर सकें या बेहतर स्थिति में आए, उससे पहले ही पाकिस्तानी वायुसेना 200 किमी से अधिक रेंज वाली बियोंड विजुअल रेंज (BVR) मिसाइलों से भी हमला कर सकती है।
इसके अलावा, स्वार्म ड्रोन और एंटी-रेडिएशन मिसाइल से लैस कामिकेज़ ड्रोन हमारे रडार और एयर डिफेंस सिस्टम्स को निशाना बना सकते हैं, जबकि सतह से लॉन्च की जाने वाली मिसाइलें और अग्रिम तैनात तोपखाने हवाई अड्डे के इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए बड़ा खतरा हैं। अगर ये सब मिल कर एक साथ हमला करें, तो यह रनवे या महत्वपूर्ण सुविधाओं को घंटों के लिए बेकार कर सकता है, जिससे भारतीय वायुसेना को मिशन को अंजाम देने में दिक्कत आ सकती है।
10 मई का हमला, हालांकि प्रतीकात्मक था, और सीमित पैमाने का था। लेकिन भविष्य में पाकिस्तान एयर फोर्स विशेष रूप से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से जमीनी युद्धाभ्यास या अखनूर में सुनियोजित तरीके से इस तरह के ऑपरेशन को अंजाम दे सकती है। अगर ऐसा होता है, तो यह भारत की रक्षा क्षमताओं के लिए मुश्किल परीक्षा होगी, खासकर अगर पाकिस्तान श्रीनगर में प्री-इम्प्टिव स्ट्राइक और लगातार हवाई हमलों को अंजाम दे।
बड़ा होगा हमला, तो श्रीनगर की सुरक्षा में होगी मुश्किल
श्रीनगर हवाई अड्डे की सुरक्षा को धीमी रफ्तार वाले ड्रोन, कामिकेज ड्रोन, एंटी रेडिएशन मिसाइलें, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, लंबी दूरी तक मार करने वाली आर्टिलरी और सटीक हवाई हथियार जैसे मुश्किल खतरों का सामना करना पड़ सकता है। श्रीनगर हवाई अड्डा पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों और हवाई क्षेत्र के बहुत करीब है। इस वजह से यह आसानी से निशाना बन सकता है। अगर पाकिस्तान एक साथ कई हथियारों से हमला करता है, तो हवाई अड्डे का रनवे कुछ समय के लिए काम करना बंद कर सकता है। इससे भारतीय वायुसेना के विमान जमीन पर ही रह जाएंगे। साथ ही, पाकिस्तान की लंबी दूरी की मिसाइलें और हवाई गश्ती विमान (PAF CAP) उड़ान भरते समय भारतीय विमानों को निशाना बना सकते हैं। ये दोनों स्थिति भारत की श्रीनगर के ऊपर हवाई नियंत्रण की क्षमता को कमजोर कर सकती हैं।
भारत अभी “गन्स टाइट” नियम का पालन करता है। इसके तहत हमारी मिसाइलें और एयर डिफेंस विपंस तब तक हमला नहीं करते, जब तक अनुमति न मिले। ऐसा इसलिए ताकि अपने ही विमानों पर गलती से हमला न हो जाए। लेकिन यह तरीका तेजी से आने वाले खतरों, जैसे छोटे ड्रोन या कम उड़ान भरने वाले हमलावर ड्रोन, के खिलाफ कमजोर है। श्रीनगर से भारतीय विमानों का उड़ाना भी जोखिम भरा है, क्योंकि पाकिस्तान के रडार और मिसाइलें उड़ान भरते ही उन्हें निशाना बना सकती हैं।
पाकिस्तान का हालिया हमला, जिसे ऑपरेशन बनयान-अल-मरसूस कहा गया, ज्यादा नुकसान नहीं कर पाया। लेकिन इसने श्रीनगर की कमजोरियों को उजागर कर दिया। पाकिस्तान ने दिखाया कि वह बड़े जोखिम लेने को तैयार है। भविष्य में वह एक साथ कई हथियारों और बेहतर योजना के साथ हमला कर सकता है। भारतीय वायुसेना को यह नहीं मानना चाहिए कि अगर युद्ध बड़ा हो तो श्रीनगर हर हमले का सामना कर लेगा।
भारत अपनाए “गन्स टाइट” की जगह “गन्स फ्री” की नीति
पाकिस्तान के खतरों से निपटने के लिए भारत को एयर सुपिरियिटी के बजाय हवाई अवरोध (एयर डिनायल) रणनीति अपनानी चाहिए। भारत के पास मजबूत जमीनी एयर डिफेंस सिस्ट्म्स हैं, जैसे इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (IACCS), आकाशतीर डिटेक्शन सिस्टम, और S-400, बराक-8, और आकाश मिसाइलें। ये एक मजबूत ढाल की तरह काम कर सकती हैं।
S-400 मिसाइल सिस्टम 600 किमी दूर तक दुश्मन के विमानों को देख सकता है और 400 किमी तक उन्हें नष्ट कर सकता है। वह पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र में भी टारगेट कर सकता है। छोटी और मध्यम दूरी की मिसाइलें और एयर डिफेंस गन्स अतिरिक्त सुरक्षा दे सकती हैं। अगर भारत “गन्स टाइट” की जगह “गन्स फ्री” की नीति अपनाए, तो श्रीनगर से 400 किमी तक का इलाका नो-फ्लाई ज़ोन बन सकता है। इससे पाकिस्तानी विमानों के लिए अपने ही हवाई क्षेत्र में उड़ना मुश्किल हो जाएगा।
इस रणनीति में भारतीय विमानों को श्रीनगर में बिखरे हुए सुरक्षित ठिकानों (कठोर विमान आश्रयों) में रखा जा सकता है या पास के अन्य हवाई अड्डों पर भेजा जा सकता है। जरूरत पड़ने पर लंबी दूरी की मिसाइलों से लैस भारतीय विमान, रडार विमानों (AWACS) की मदद से, अन्य ठिकानों से उड़ान भरकर श्रीनगर के ऊपर हवाई नियंत्रण बना सकते हैं। इससे जमीन पर हमले का खतरा कम होगा। यह तरीका जमीनी रक्षा को हर हवाई खतरे से तुरंत निपटने की आजादी देता है।
यह रणनीति पाकिस्तान के हवाई हमलों को कमजोर करती है, क्योंकि भारत की मजबूत रक्षा उनके लिए बड़ा खतरा बनेगी। इससे पाकिस्तान डर सकता है और हमला करने के लिए उसे बहुत सारे संसाधन खर्च करने पड़ेंगे।
हवाई नियंत्रण को सबसे जरूरी मानने वाली भारतीय वायुसेना के लिए यह रणनीति अपनाना मुश्किल हो सकता है। मैं खुद एक पूर्व लड़ाकू पायलट हूं और समझता हूं कि हम हवाई नियंत्रण को सबसे महत्वपूर्ण मानते हैं। लेकिन श्रीनगर की खास स्थिति-पाकिस्तानी ठिकानों की नजदीकी और एडवांस विपेंस के खतरों के कारण हवाई अवरोध (एयर डिनायल) एक बेहतर और व्यावहारिक रास्ता है।
इतिहास से लें सबक
एयर डिनायल स्ट्रेटेजी 1973 के योम किपुर युद्ध से प्रेरित है। उस युद्ध में मिस्र ने स्वेज नहर के पास मजबूत हवाई रक्षा बनाई थी, जिसने इजरायली वायुसेना को रोक दिया था। इजरायल ने बाद में हवाई नियंत्रण हासिल किया, लेकिन उसे भारी नुकसान उठाना पड़ा। पाकिस्तान के पास भारत के एडवांस डिफेंस सिस्टम्स के सामने ऐसी कोई खास तकनीकी बढ़त नहीं है। भारत का S-400, आकाशतीर, और IACCS मजबूत सुरक्षा दे सकते हैं, जिससे हवाई अवरोध रणनीति (एयर डिनायल स्ट्रेटेजी) कारगर साबित हो सकती है।
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हवाई नियंत्रण (एयर सुपीरियरिटी) को प्राथमिकता देने वाली भारतीय वायुसेना के लिए यह रणनीति नई लग सकती है। लेकिन श्रीनगर की रक्षा के लिए यह एक प्रभावी और व्यावहारिक तरीका है। यह पाकिस्तानी वायुसेना की ताकत को कमजोर कर सकता है और हवाई अड्डे को हमेशा चालू रख सकता है।
लेखक ग्रुप कैप्टन अजय अहलावत (सेवानिवृत्त) भारतीय वायुसेना लड़ाकू पायलट रह चुके हैं। ये उनके व्यक्तिगत विचार हैं। उन्हें एक्स अकाउंट @Ahlawat2012 पर फॉलो कर सकते हैं।
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