📍नई दिल्ली | 1 month ago
Operation Disinformation: भारत के राफेल लड़ाकू विमान को बदनाम करने के लिए एक सुनियोजित दुष्प्रचार अभियान चलाया जा रहा है। फ्रांस के सूत्रों का कहना है कि इस अभियान में चीन और पाकिस्तान सक्रिय रूप से शामिल हैं। फ्रांसीसी सूत्रों के अनुसार, चीन और पाकिस्तान की मिलीभगत से रफाल की छवि को धूमिल करने के लिए एक संगठित ‘डिसइंफोर्मेशन ऑपरेशन’ चलाया जा रहा है। इस दुष्प्रचार में फर्जी खबरें, वीडियो और सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए राफेल की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। इस ऑपरेशन का मकसद दुनियाभर के लोगों का राफेल पर से भरोसा घटाना है, बल्कि भारत और फ्रांस की साझेदारी को कमजोर करना और चीनी जे-10 जैसे प्रतिस्पर्धी विमानों को बढ़ावा देना भी है।
Operation Disinformation: ऑपरेशन सिंदूर बना वजह
चीन और पाकिस्तान का यह डिसइंफोर्मेशन ऑपरेशन उस समय शुरू हुआ, जब भारत ने मई 2025 में पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर राफेल विमानों का उपयोग करके स्कैल्प मिसाइलों से हमले किए। इन हमलों के बाद, पाकिस्तान और चीन की तरफ से सोशल मीडिया पर यह अफवाहें फैलने लगीं कि रफाल ने उम्मीद के अनुसार प्रदर्शन नहीं किया या वह हमलों में असफल रहा। फ्रांस के सूत्रों के अनुसार, इस अभियान का उद्देश्य राफेल की तकनीकी क्षमता पर सवाल उठाना और राफेल को लेकर भारतीय सेनाओं के मनोबल को गिराना है।
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— Raksha Samachar | रक्षा समाचार 🇮🇳 (@RakshaSamachar) June 6, 2025
फ्रांस के सूत्रों ने बताया कि इस दुष्प्रचार का केंद्र पाकिस्तान रहा है, जहां से फर्जी खबरें और तकनीकी रूप से गलत विश्लेषण शुरू किए गए। इन खबरों को चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, खासकर टिकटॉक और अन्य चीनी ब्लॉगिंग साइट्स के जरिए बढ़ावा दिया गया। इनमें फर्जी वीडियो, पोस्ट और लेख भी लिखे गए, राफेल क्षमता को लेकर सवाल उठाए गए।
फ्रांसीसी सूत्रों का कहना है कि इस अभियान का उद्देश्य सिर्फ राफेल की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना ही नहीं है, बल्कि चीन के बनाए लड़ाकू विमान J-10C को प्रमोट करना और भारत-फ्रांस के रक्षा सहयोग को कमजोर करना भी है।
चीन-पाकिस्तान का फर्जी प्रचार तंत्र
इस ‘डिसइंफो ऑपरेशन’ में पाकिस्तान से चलाए जा रहे फर्जी नैरेटिव को चीन के सोशल मीडिया एक्टिविस्ट्स ने जमकर बढ़ाया। TikTok वीडियो, X पोस्ट्स और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स पर झूठे विश्लेषणों से यह प्रचार किया जा रहा है कि राफेल विमानों ने टारगेट्स को मिस कर दिया या वे उड़ान भर ही नहीं पाए।
इस तरह की खबरों के जरिए इंडोनेशिया को भी निशाना बनाया गय। चीनी सोशल मीडिया अकाउंट्स और कुछ मीडिया आउटलेट्स ने दावा किया कि भारत के ऑपरेशन के बाद इंडोनेशिया राफेल विमानों की खरीद पर पुनर्विचार कर रहा है। हालांकि, यह दावा पूरी तरह गलत साबित हुआ जब फ्रांस और इंडोनेशिया ने 2022 में हुए एक समझौते को आगे बढ़ाते हुए अतिरिक्त राफेल विमानों के लिए एक लेटर ऑफ इंटेंट पर दस्तखत किए।
तीन राफेल गिरने की झूठी खबर
सबसे बड़ी झूठी खबर यह फैलाई गई कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तीन राफेल विमानों को पाकिस्तान ने मार गिराया। साथ ही यह भी दावा किया गया कि पहले चरण के बाद राफेल विमानों का उपयोग नहीं किया गया। भारतीय सरकार के सूत्रों ने बताया कि ये सभी दावे पूरी तरह झूठे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि 7 मई को हुए हमलों में राफेल सहित कई लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया गया और मुरिदके और बहावलपुर में आतंकी ठिकानों को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया।
सूत्रों ने यह भी बताया कि 9-10 मई की रात को पाकिस्तानी वायुसेना के ठिकानों पर किए गए हमलों में राफेल विमानों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हुआ। इन हमलों में कई हाई-वैल्यू टारगेट्स को सफलतापूर्वक नष्ट किया गया। 7 मई के शुरुआती हमलों में भारत को कुछ नुकसान जरूर हुआ था, जिसे चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने “टैक्टिकल मिस्टैक” के तौर पर स्वीकार किया। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इन गलतियों से सबक लिया गया और बाद के हमलों में पाकिस्तान को करारा जवाब दिया गया।
चीन से शुरू, पश्चिम तक फैला दुष्प्रचार
दुष्प्रचार का दायरा केवल एशिया तक सीमित नहीं रहा। 7 मई को एक चीनी ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म पर दावा किया गया कि फ्रांस ने भारत से राफेल विमानों का इस्तेमाल बंद करने को कहा है। यह फर्जी दावा जल्द ही पश्चिमी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, जैसे कि एक्स पर फैल गया और व्यापक रूप से शेयर किया गया। फ्रांस के सूत्रों ने इस दावे को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि यह राफेल की छवि को नुकसान पहुंचाने की एक सुनियोजित कोशिश थी।
साझेदारी कमजोर करने की साजिश
विशेषज्ञों का मानना है कि यह पूरा अभियान सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि फ्रांस को भी वैश्विक रक्षा बाजार में नुकसान पहुंचाने के लिए चलाया गया है। चीन नहीं चाहता कि भारत के पास रफाल जैसे एडवांस्ड फाइटर जेट्स हों और वह रक्षा क्षेत्र में फ्रांस के साथ गहरे संबंध बनाए। इसलिए वह JF-17 या J-10 जैसे अपने कम गुणवत्ता वाले विमानों को आगे बढ़ाने के लिए रफाल के खिलाफ यह फर्जी अभियान चला रहा है।
भारतीय रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह अभियान भारत की रक्षा तैयारियों और हमारी रणनीतिक साझेदारियों को कमजोर करने की कोशिश है। राफेल विमान ने अपनी क्षमता को बार-बार साबित किया है, और ये हमले इसकी तकनीकी श्रेष्ठता का प्रमाण हैं।”
5 प्रतिशत समय फर्जी खबरों को रोकने में लगा
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सेना का 15 प्रतिशत समय फर्जी खबरों और गलत सूचनाओं को रोकने में खर्च हुआ। सिंगापुर में शांगरी-ला डायलॉग के दौरान उन्होंने बताया कि फर्जी खबरों से निपटना एक बड़ा काम था। सेना ने जल्दबाजी में जवाब देने के बजाय सोच-समझकर और तथ्यों के आधार पर रणनीति अपनाई, क्योंकि गलत सूचनाएं लोगों के बीच जल्दी गलत धारणा बना सकती हैं।
उन्होंने कहा कि आजकल युद्ध में छल-कपट वाली रणनीतियां बढ़ रही हैं। ऑपरेशन सिंदूर में 15 प्रतिशत समय सिर्फ गलत नैरेटिव्स का जवाब देने में लगा। इससे पता चलता है कि सूचना युद्ध कितना अहम है। जनरल चौहान ने सुझाव दिया कि इसके लिए एक खास सूचना युद्ध इकाई बनानी चाहिए। भारत ने इस दौरान हमेशा सच पर आधारित और संयमित जवाब दिया, भले ही इसमें समय ज्यादा लगा। यह बयान बताता है कि ऑपरेशन सिंदूर में सैन्य कार्रवाई के साथ-साथ फर्जी खबरों से लड़ना भी एक बड़ी चुनौती थी, और सेना ने इसे तथ्यों के साथ समझदारी से संभाला।
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