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📍नई दिल्ली | 10 months ago

Loitering Munitions: भारतीय सशस्त्र बलों को हाल ही में देश में बने लूटिंग म्यूनिशन  (loitering munitions) की डिलीवरी मिली है, इन्हें सुसाइड ड्रोन भी कहा जाता है। वहीं, अब उनकी नजर स्वदेशी लंबे रेंज के ड्रोन पर है, जिनका उपयोग खुफिया जानकारी जुटाने से लेकर आक्रामक अभियानों तक में किया जा सके। वहीं, भारत का पहला स्वदेशी लूटिंग म्यूनिशन (Loitering Munition) “नागास्त्र-1” भारतीय सेना में शामिल होने के लिए तैयार है।

स्वदेशी ड्रोन की जरूरत

मध्यम ऊंचाई और लंबी अवधि तक उड़ने वाले (Medium Altitude Long Endurance – MALE) ड्रोन की मांग तीनों सेनाओं—थलसेना, वायुसेना और नौसेनो को है। अभी तक ये ड्रोन मुख्यतः इजरायल से आयात किए जाते थे, लेकिन अब इसे स्वदेशी तकनीक से बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

सूत्रों के अनुसार, MALE ड्रोन को Indigenously Designed, Developed, and Manufactured (IDDM) रूट के तहत खरीदा जाएगा। इसका मतलब है कि ये ड्रोन पूरी तरह भारत में निर्मित होंगे। इस योजना के तहत, नागपुर स्थित इकोनॉमिक एक्सप्लोसिव्स लिमिटेड (EEL) नामक एक कंपनी ने प्रस्ताव भेजा है। कंपनी इन ड्रोन के विकास के लिए रिसर्च का काम पहले ही शुरू कर चुकी है।

“नागास्त्र-1” भारतीय सेना में शामिल होने के लिए तैयार

भारत की रक्षा तकनीक में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हुए, स्वदेशी लूटिंग म्यूनिशन (Loitering Munition) “नागास्त्र-1” भारतीय सेना में शामिल होने के लिए तैयार है। यह लूटिंग म्यूनिशन सोलर इंडस्ट्रीज ने डेवलप किया है और इसे इकोनॉमिक्स एक्सप्लोसिव्स लिमिटेड (EEL), जो सोलर ग्रुप की एक सहायक कंपनी है, ने भारतीय सेना के लिए आपातकालीन खरीद के तहत 480 यूनिट्स का निर्माण किया है।

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यह स्वदेशी लूटिंग म्यूनिशन भारतीय सेना की आधुनिक तकनीकी जरूरतों को पूरा करेगा और युद्ध के मैदान में एक महत्वपूर्ण हथियार साबित होगा। नागास्त्र-1 को विशेष रूप से सटीक लक्ष्यों पर हमला करने, दुश्मन के उपकरणों को नष्ट करने और खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के लिए डिजाइन किया गया है।

EEL ने इस परियोजना को आपातकालीन खरीद (Emergency Procurement) के तहत पूरा किया है, जिससे भारतीय सेना को जल्द से जल्द अपनी युद्ध क्षमताओं को मजबूत करने में मदद मिली है। यह लूटिंग म्यूनिशन भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने का एक प्रमुख कदम है।

“नागास्त्र” ड्रोन की प्रमुख विशेषताएँ

  • वजन: 9 किलोग्राम
  • विकास स्थान: नागपुर, भारत
  • जीपीएस क्षमता: सटीक लक्ष्य निर्धारण के लिए
  • प्रभावी रेंज: 30 किलोमीटर (स्वतंत्र मोड में)
  • रडार प्रतिरोध: दुश्मन के रडार से सुरक्षा सुनिश्चित
  • मुख्य लॉन्च रेंज: 15 किलोमीटर
  • ऑपरेशनल ऊंचाई: 1,200 मीटर

नई तकनीक और टेस्टिंग सुविधा

EEL ने देश के निजी क्षेत्र में पहली बार 1.4 किमी लंबा रनवे और ड्रोन परीक्षण के लिए अत्याधुनिक सुविधा तैयार की है। यह देश में सबसे बड़ा निजी परीक्षण केंद्र है, जो खास तौर पर लंबे रेंज के ड्रोन के लिए बनाया गया है।

चीन के खतरे के मद्देनजर त्वरित कार्रवाई

IDDM रूट के तहत MALE ड्रोन को प्राथमिकता से हासिल करने की योजना को चीन के साथ लगी पूर्वी सीमा पर खतरों के चलते बनाया गया है। निजी क्षेत्र की कंपनियों ने आपातकालीन खरीद (Emergency Procurement) श्रेणी में रिकॉर्ड समय में लूटिंग म्यूनिशन जैसे ड्रोन बना कर सरकार का भरोसा जीता है।

इस परियोजना में तीनों सेनाओं की जरूरतों को ध्यान में रखकर ड्रोन विकसित किए जाएंगे। हालांकि, शुरुआती चरण में छोटे पैमाने पर ऑर्डर दिया जाएगा।

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आयात पर कम होगी निर्भरता

पिछले वर्षों में इजरायल से सीधे आयात किए गए ड्रोन पर अब निर्भरता कम करने का प्रयास हो रहा है। इस दिशा में सरकारी और निजी क्षेत्र मिलकर काम कर रहे हैं। राज्य संचालित शोध संस्थाओं की कोशिशें अब तक कोई ठोस परिणाम नहीं दे सकी थीं, लेकिन निजी क्षेत्र के योगदान से उम्मीदें बढ़ गई हैं।

वहीं, स्वदेशी ड्रोन का विकास भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर एक बड़ा कदम है। लूटिंग म्यूनिशन की सफल डिलीवरी से यह साबित हो गया है कि भारतीय कंपनियां अब उन्नत रक्षा तकनीक को तेजी से विकसित करने में सक्षम हैं। इन प्रयासों से भारत न केवल आयात पर निर्भरता कम करेगा, बल्कि वैश्विक रक्षा बाजार में अपनी स्थिति भी मजबूत करेगा।

इस परियोजना का सफल क्रियान्वयन सशस्त्र बलों को तकनीकी बढ़त देने के साथ-साथ भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में मील का पत्थर साबित होगा।

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