📍नई दिल्ली | 6 months ago
Eastern Ladakh: पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना की सामरिक क्षमताओं को बढ़ाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने गोला-बारूद भंडारण और अन्य सैन्य परियोजनाओं के निर्माण को मंजूरी दी है। पर्यावरण मंत्रालय की विशेषज्ञ समिति ने चीन-भारत सीमा पर सामरिक संरचनाओं की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए इन परियोजनाओं को स्वीकृति दी। यह फैसला 21 दिसंबर 2024 को पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में हुई राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NBWL) की बैठक में लिया गया।
बैठक में Eastern Ladakh के हानले और फोटी ला जैसे सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थानों पर “फॉर्मेशन एम्युनेशन स्टोरेज फैसिलिटी” (FASF) स्थापित करने और भूमिगत कैवर्न के निर्माण की योजना को हरी झंडी दी गई। इसके अलावा, पैंगोंग त्सो झील के किनारे लुकुंग गांव और दुर्बुक क्षेत्र में सैन्य उपस्थिति को मजबूत करने के प्रस्तावों को भी स्वीकृति दी गई। ये परियोजनाएं अप्रैल से जुलाई 2024 के बीच रक्षा मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित की गई थीं।
Defence: लद्दाख में भारतीय सेना बनाना चाहती है गोला-बारूद के लिए स्टोरेज फैसिलिटी, पर्यावरण मंजूरी का है इंतजार
विशेषज्ञों का मानना है कि इन परियोजनाओं से सीमावर्ती इलाकों में सुरक्षा बलों कीपरेशनल कैपेबिलिटीज में बढ़ोतरी होगी। एफएएसएफ जैसे स्ट्रक्चर गोला-बारूद के सुरक्षित भंडारण और निगरानी के साथ क्विक रेस्पॉन्स कैपेबिलिटी को बढ़ाने में सहायक होंगी। वर्तमान में, अधिकांश गोला-बारूद 250-300 किमी दूर अस्थायी भंडारण केंद्रों में रखा जाता है, जिससे आकस्मिक स्थितियों में रेस्पॉन्स में देरी होती है। इन सुविधाओं के निर्माण से सैनिकों और सामरिक संसाधनों की त्वरित तैनाती सुनिश्चित हो सकेगी।
पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) के हानले, फोटी ला, पंगुक, और कोयुल जैसे स्थान सामरिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण माने जाते हैं। फोटी ला, दुनिया के सबसे ऊंचे मोटरेबल पासों में से एक, हानले से 30 किमी दूर स्थित है। यह देमचोक और अन्य अग्रिम मोर्चों को जोड़ने वाला प्रमुख मार्ग है। ये स्थान ब्रिगेड स्तर के सैनिकों और अन्य बलों की तैनाती के लिए रणनीतिक रूप से अनिवार्य हैं।
लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) के साथ सेना की परिचालन तैयारियों को मजबूत करने के लिए भूमिगत कैवर्न के निर्माण को स्वीकृति दी गई है। इन संरचनाओं में गोला-बारूद और अन्य सामरिक उपकरणों को सुरक्षित रखा जाएगा। 2020 में चीन के साथ सीमा तनाव के बाद क्षेत्र में सैनिकों की बढ़ती संख्या के साथ स्थायी संरचनाओं की आवश्यकता महसूस की गई थी। ये कैवर्न न केवल शत्रु की निगरानी से बचाव करेंगे, बल्कि प्राकृतिक आपदाओं से भी सुरक्षा प्रदान करेंगे।
राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड ने पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) में अन्य सैन्य निर्माण परियोजनाओं को भी मंजूरी दी है। इनमें पैंगोंग त्सो झील के किनारे लुकुंग गांव में अंतर्देशीय जल परिवहन प्लाटून के लिए स्थायी संरचना और एराथ क्षेत्र में एक स्थायी पैदल सेना बटालियन कैंप का निर्माण शामिल है। यह परियोजनाएं सैनिकों और सामरिक उपकरणों की त्वरित आवाजाही सुनिश्चित करेंगी।
इन परियोजनाओं को मंजूरी देते समय पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया गया है। हानले और फोटी ला क्षेत्र हिम तेंदुए, कस्तूरी मृग, और काले गर्दन वाले सारस जैसे दुर्लभ और संरक्षित प्रजातियों का आवास हैं। पर्यावरण मंत्रालय ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि निर्माण कार्यों के दौरान पर्यावरणीय दिशानिर्देशों का पालन किया जाए। मंत्रालय ने यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि परियोजनाओं के कारण वन्यजीवों पर न्यूनतम प्रभाव पड़े।
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