रक्षा समाचार WhatsApp Channel Follow US

ध्रुव हेलीकॉप्टरों की उड़ान बंद होने से भारतीय सेना की ऑपरेशनल तैयारियों को बड़ा झटका लगा है। हादसे के बाद पूरे ALH बेड़े को ग्राउंड कर दिया गया है, जिससे सीमाओं पर रसद, सैनिकों की आवाजाही और आपात सेवाओं में बाधा आई है। सेना ने अस्थायी राहत के तौर पर प्राइवेट कंपनियों से हेलीकॉप्टर किराए पर लेकर सप्लाई पहुंचानी शुरू की है। HAL की ओर से अभी तक क्रैश की असली वजह की पुष्टि नहीं हो सकी है...

Read Time 0.29 mintue

📍New Delhi | 3 months ago

Dhruv Helicopter Crisis: पांच जनवरी 2025 में पोरबंदर के पास एक ध्रुव हेलीकॉप्टर के क्रैश में दो कोस्ट गार्ड पायलटों और एक एयरक्रू डाइवर की मौत के बाद लगभग 330 ट्विन-इंजन ‘ध्रुव’ एडवांस लाइट हेलिकॉप्टरों (ALH) को ग्राउंडेड कर दिया गया था। यानी उनके उड़ने पर अस्थाई तौर पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इस बात को भी चार महीने से अधिक समय हो चुका है। लेकिन अभी तक भारतीय सुरक्षा बलों में ध्रुव की उड़ान फिर से शुरू नहीं हो सकी है। जिसका असर सेना की ऑपरेशनल तैयारियों पर पड़ रहा है।

Dhruv Helicopter Crisis: Grounding Hits Army Ops, Readiness Takes a Blow

Dhruv Helicopter Crisis: दोहरे संकट से जूझ रही हैं भारतीय सेनाएं

भारतीय सेनाएं इन दिनों एक दोहरे संकट से जूझ रही हैं। एक तरफ पुराने और एक इंजन वाले चेतक-चीता हेलीकॉप्टरों की खराब सर्विसेबिलिटी और बार-बार होने वाले हादसे हैं, तो दूसरी ओर अत्याधुनिक कहे जाने वाले ‘ध्रुव’ एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर (ALH) का लंबा ग्राउंडिंग पीरियड। भारतीय सेनाएं इन दिनों हेलीकॉप्टरों की कमी से जूझ रही हैं। ये हेलिकॉप्टर सशस्त्र बलों की रीढ़ माने जाते हैं, जो चीन और पाकिस्तान के साथ लगती सीमाओं पर फॉरवर्ड पोस्ट तक सप्लाई, निगरानी, टोही और खोज-बचाव मिशनों में अहम भूमिका निभाते हैं।

Dhruv Helicopter Crisis: प्राइवेट कंपनियों की लेनी पड़ रही मदद

लेकिन ट्विन-इंजन ‘ध्रुव’ एडवांस लाइट हेलिकॉप्टरों (ALH) के ग्राउंडेड होने की वजह से सेनाओं को सीमावर्ती इलाकों में जरूरी सामान और रसद पहुंचाने के लिए प्राइवेट सिविल एविएशन कंपनियों की मदद लेनी पड़ी। एएलएच के ग्राउंडेड होने का साफ असर इस साल सर्दियों में देखने को मिला। जब ऊंचाई वाले इलाके पूरी तरह से बर्फ ढक गए और सड़क मार्ग बंद हो गए। जिसके बाद सेना के ‘सूर्य कमान’ ने एक निजी कंपनी के साथ समझौता कर सिविल हेलीकॉप्टरों के जरिये हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्रों में फॉरवर्ड पोस्ट तक सप्लाई शुरू की।

यह भी पढ़ें:  Aero India 2025: पुराने तेजस से कहीं ज्यादा घातक है LCA Mk2, इस साल के आखिर तक आएगा प्रोटोटाइप, 2026 में भरेगा पहली उड़ान

इससे पहले नवंबर 2024 से सेना की उत्तरी और मध्य कमान ने पवन हंस, ग्लोबल वेक्ट्रा, हिमालयन हैली सर्विसेज़ और थम्बी एविएशन जैसी निजी कंपनियों से करीब 70 करोड़ रुपये के अनुबंध किए थे। इन कंपनियों ने 1,500 घंटे से अधिक उड़ानों के जरिए लगभग 900 टन रसद सामग्री जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड के दुर्गम क्षेत्रों तक पहुंचाई।

भारत-चीन सीमा पर फैली 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के कई हिस्से आज भी सड़क संपर्क से जुड़े हुए नहीं हैं। इन दुर्गम इलाकों में रसद और जरूरी सामान पहुंचाने का एकमात्र साधन वायुसेना और सेना के हेलीकॉप्टर ही होते हैं। लेकिन जब से ‘ध्रुव’ हेलीकॉप्टरों को ग्राउंड किया गया है, यह चुनौती पहले से कहीं अधिक गंभीर हो गई है।

बता दें कि भारतीय सेना ‘ध्रुव’ हेलीकॉप्टरों का उपयोग ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रसद पहुंचाने, सैन्य सामग्री की आपूर्ति और आपातकालीन सेवाओं के लिए करती रही है। इन इलाकों में इनकी प्रदर्शन क्षमता बेहतरीन रही है। हालांकि, बीते कुछ वर्षों में लगातार तकनीकी खामियों और दुर्घटनाओं के कारण इनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठे हैं। इसी वजह से अब सेना ने सीमावर्ती इलाकों में रसद और इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के लिए निजी एविएशन कंपनियों की मदद लेनी पड़ी।

Dhruv Helicopter Crisis: सिम्युलेटर पर पायलट

ध्रुव हेलिकॉप्टरों के ग्राउंड होने से मिलिट्री ऑपरेशंस पर भी असर पड़ रहा है। सेना के सूत्रों का कहना है, “पिछले तीन महीनों से अग्रिम क्षेत्रों में आपूर्ति, निगरानी और सर्च एंड रेस्क्यू मिशंस बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। पायलट अपने फ्लाइंग स्किल्स खो रहे हैं और उन्हें सिम्युलेटर पर प्रैक्टिस करनी पड़ रही है। यह हमारी रणनीतिक तैयारियों के लिए खतरनाक है।” सबसे ज्यादा प्रभावित 11.5 लाख सैनिकों वाली भारतीय सेना हुई है, जो अपने ज्यादातर अधिकांश ऑपरेशंस के लिए इन हेलिकॉप्टरों पर निर्भर है।

यह भी पढ़ें:  Explainer Bhargavastra: महाभारत काल का यह हथियार अब भारतीय सेनाओं की बनेगा 'रीढ़', दुश्मन के ड्रोनों का होगा सर्वनाश

भारतीय सेनाएं पहले ही हेलीकॉप्टरों की कमी से जूझ रही हैं। वहीं 330 ध्रुव हेलिकॉप्टरों के ग्राउंड होने के बाद स्थिति और विकट हो गई है। सुरक्षा बलों ने अगले 10-15 वर्षों में 1,000 से अधिक नए हेलिकॉप्टरों की जरूरत बताई है, जिसमें 484 लाइट यूटिलिटी हेलिकॉप्टर (LUH) और 419 इंडियन मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर (IMRH) शामिल हैं। इसके अलावा, हाल ही में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ 62,700 करोड़ रुपये की लागत से 156 ‘प्रचंड’ लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टरों का सौदा हुआ है, जिनकी डिलीवरी 2028-2033 के बीच होनी है।

ALH पर HAL ने दी थी ये सफाई

पोरबंदर हादसे की वजह हेलीकॉप्टर के स्वाशप्लेट में क्रैक आना बताया गया था। यह हिस्सा रोटर ब्लेड की दिशा नियंत्रित करता है और हेलीकॉप्टर को हवा में स्थिर रखने में मदद करता है। एचएएचल के मुताबिक यह मटेरियल फेलियर का मामला था और बाकी हेलीकॉप्टरों में भी इसी तरह की खराबी की आशंका के चलते पूरी ALH फ्लीट को ग्राउंड कर दिया गया। 11 अप्रैल को एचएएचल की तरफ से एक आधिकारिक बयान भी जारी किया गया था। जिसमें कहा गया था कि बिना तथ्यात्मक जानकारी के लिखी जा रही रिपोर्टें कंपनी की छवि को नुकसान पहुंचाने का प्रयास हैं। एचएएल ने यह भी कहा कि वह समस्या के हल के लिए भारतीय वायुसेना और अन्य बलों के साथ मिलकर काम कर रही है।

यह भी पढ़ें:  Nepali Army Command: भारत आए नेपाली सेना के अधिकारी, जाना आधुनिक युद्धक तकनीकों का राज! एलएंडटी और भारत फोर्ज का भी किया दौरा
ALH Dhruv Grounded: ध्रुव हेलीकॉप्टर के ग्राउंड होने से बॉर्डर सप्लाई पर पड़ा असर, सेना ने सिविल हेलीकॉप्टरों से संभाली कमान!

सेना, वायुसेना, नौसेना में कितने ध्रुव

ध्रुव ALH हेलीकॉप्टर सेना, वायुसेना, नौसेना और कोस्ट गार्ड के लिए पिछले दो दशकों से एक भरोसेमंद साथी रहे हैं। 5.5 टन वजनी ये हेलीकॉप्टर हाई-एल्टीट्यूड पोस्टों, अग्रिम चौकियों, दुर्गम क्षेत्रों में रसद पहुंचाने, रेस्क्यू मिशन, रेकी और ऑब्जरवेशन कार्यों में तैनात रहते हैं। अकेले भारतीय सेना के पास 180 से अधिक ALH हैं, जिनमें से 60 ‘रुद्र’ जैसे वेपनीइज्ड वर्जन हैं। जबकि वायुसेना के पास 75, नौसेना के पास 24 और कोस्ट गार्ड के पास 19 ALH हैं।

रक्षा समाचार WhatsApp Channel Follow US

Leave a Reply

Share on WhatsApp