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रूस ने भारत के साथ अपनी रक्षा साझेदारी को और मजबूत करने के लिए एक डील ऑफर की है। इस सौदे में रूस की सरकारी कंपनी रोस्टेक और सुखोई ने भारत को सुखोई Su-57E स्टेल्थ फाइटर जेट की पूरी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की पेशकश की है। जिसके बाद ये विमान हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के नासिक प्लांट में बनाए जा सकते हैं। यह वही प्लांट है, जहां अब तक 220 से अधिक Su-30MKI जेट्स बनाए जा चुके हैं...
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📍नई दिल्ली | 2 weeks ago

Def Secy on Fighter Jet: रक्षा सचिव आरके सिंह का कहना है कि भारत अपनी वायुसेना की ताकत को और मजबूत बनाने के लिए मित्र देशों से पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की खरीद पर गंभीरता से विचार कर रहा है। एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में रक्षा सचिव आरके सिंह ने कहा कि यह कदम अल्पकालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए उठाया जा सकता है। सिंह ने यह भी बताया कि भारत और अमेरिका इस साल के अंत में अपने 10 साल पुराने डिफेंस एग्रीमेंट को रिन्यू करेंगे। इसके अलावा, रक्षा सचिव ने यह भी बताया कि इस महीने अमेरिका से तीन और अपाचे हेलीकॉप्टर भारत को मिलने वाले हैं। वहीं, रक्षा सूत्रों का कहना है कि रूस ने भारत को एक खास डील ऑफर की है। इसमें सुखोई Su-57 स्टेल्थ फाइटर और Su-35M फाइटर जेट शामिल हैं।

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Def Secy on Fighter Jet: Su-57 और Su-35M की पेशकश

रूस ने भारत के साथ अपनी रक्षा साझेदारी को और मजबूत करने के लिए एक डील ऑफर की है। इस सौदे में रूस की सरकारी कंपनी रोस्टेक और सुखोई ने भारत को सुखोई Su-57E स्टेल्थ फाइटर जेट की पूरी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की पेशकश की है। जिसके बाद ये विमान हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के नासिक प्लांट में बनाए जा सकते हैं। यह वही प्लांट है, जहां अब तक 220 से अधिक Su-30MKI जेट्स बनाए जा चुके हैं। इसके अलावा, भारतीय वायुसेना के मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (MRFA) टेंडर के तहत 114 Su-35M जेट्स की सीधी सप्लाई का भी ऑफर है।

रूस के इस ऑफर में पहले चरण में भारत को 20 से 30 Su-57E स्टेल्थ फाइटर जेट तैयार हालत में दिए जाएंगे। इसके बाद, अगले तीन से चार साल में इन विमानों का निर्माण भारत में शुरू होगा। इस योजना के तहत 2030 तक भारतीय वायुसेना में 60 से 70 अत्याधुनिक स्टेल्थ फाइटर शामिल हो सकते हैं। Su-35M जेट्स को MRFA टेंडर के तहत सीधे सप्लाई किया जाएगा। इस जेट का सिस्टम Su-30MKI से काफी मिलता-जुलता है, जिससे पायलटों और कर्मचारियों को अतिरिक्त ट्रेनिंग की कम जरूरत पड़ेगी।

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इस सौदे में नए और एडवांस इंजन, जैसे AL-41F1S और इजडेलिये 177S (Izdeliye 177S) भी शामिल हैं। ये इंजन Su-30MKI को अपग्रेड करने में भी इस्तेमाल होंगे। जिससे उनकी लाइफ साइकिल 2055 तक बढ़ जाएगी।

Su-57E की खासियतें

Su-57E रूस का सबसे एडवांस स्टेल्थ फाइटर जेट है। इसके एक्सपोर्ट वर्जन में भारत को पूरा सॉफ्टवेयर कोड और 40-60% लोकल मैन्युफैक्चरिंग की अनुमति दी जाएगी। इससे भारत अपनी मिसाइलें, जैसे एस्ट्रा बीवीआर (बियॉन्ड विजुअल रेंज), रुद्रम एंटी-रेडिएशन मिसाइल, और विरुपाक्ष AESA रडार, इस जेट में लगा सकेगा। साथ ही, रूस भारत को स्वदेशी पांचवीं पीढ़ी का फाइटर जेट बनाने में भी मदद करेगा।

सस्ता और दमदार है Su-35M

Su-35M एक 4.5 पीढ़ी का एयर सुपीरियरिटी फाइटर जेट है, जो राफेल, F/A-18 सुपर हॉर्नेट और F-21 जैसे जेट्स से मुकाबला करता है। भारतीय वायुसेना के पास अभी 31 स्क्वाड्रन हैं, जबकि स्वीकृत संख्या 42 है। रूस का दावा है कि Su-35M और Su-30MKI में 70-80% तकनीकी समानताएं हैं, जिससे इसे भारतीय वायुसेना में शामिल करना आसान होगा। हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर में Su-30MKI ने ब्रह्मोस मिसाइल से पाकिस्तानी वायुसेना के ठिकानों पर हमला कर अपनी हवाई क्षमता साबित की थी।

Su-35M की कीमत 65 से 80 मिलियन डॉलर प्रति जेट है, जो राफेल (120 मिलियन डॉलर) और F-35A (80-100 मिलियन डॉलर) से काफी कम है। इस जेट में R-37M हाइपरसोनिक मिसाइल (400 किमी रेंज) और K-77M बीवीआर मिसाइल जैसे एडवांस हथियार लगाए जा सकते हैं। ये हथियार पाकिस्तान के J-10C या J-35 जेट्स पर भी भारी पड़ेंगे।

CAATSA का है खतरा

हालांकि, इस सौदे में कुछ चुनौतियां भी हैं। अमेरिका का CAATSA (काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट) कानून भारत पर प्रतिबंध लगा सकता है, जैसा कि S-400 मिसाइल सिस्टम की खरीद के दौरान हुआ था। इसके अलावा, रूस से पुराने पुर्जों की सप्लाई में देरी की समस्या भी रही है। फिर भी, यूक्रेन युद्ध के कारण रूस ने Su-35M का प्रोडक्शन दोगुना कर दिया है, जिससे भारत को हर साल बड़ी संख्या में ये जेट्स मिल सकते हैं। अगले दो से तीन साल में 36 से 40 जेट्स के साथ दो स्क्वाड्रन तैनात किए जा सकते हैं।

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राफेल की तुलना में कहां ठहरता है Su-35M

भारतीय वायुसेना के पास पहले से 36 राफेल जेट्स हैं। हालांकि, राफेल महंगा है, जबकि Su-35M सस्ता है। Su-35M में लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइलें लगाई जा सकती हैं। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों जेट्स की अपनी-अपनी खूबियां हैं।

बात करें स्टेल्थ टेक्नोलॉजी की, तो Su-57E को इस तरह डिजाइन किया गया है कि वह दुश्मन के रडार की पकड़ से बच सके। इसके साथ ही यह जेट सुपरसोनिक स्पीड, यानी ध्वनि से भी तेज गति से उड़ान भर सकता है। इस जेट की अगली खासियत है इसका एडवांस विपन सिस्टम, जो लंबी दूरी तक सटीक निशाना लगा सकता है। इसमें हाइपरसोनिक मिसाइलें और BVR मिसाइलें भी शामिल की जा सकती हैं। इतना ही नहीं, Su-57E और Su-35M दोनों में ही मल्टी-रोल क्षमता है, ये जेट हवा से हवा और हवा से जमीन दोनों तरह के मिशनों को अंजाम दे सकते हैं। ये जेट्स इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम से लैस हैं, जो दुश्मन के रडार और कम्यूनिकेशन सिस्टम को जाम कर सकते हैं।

इस महीने के आखिर तक आएंगे अपाचे

रक्षा सचिव आरके सिंह ने बताया कि इस महीने अमेरिका से तीन और अपाचे हमलावर हेलीकॉप्टर भारतीय सेना को मिलेंगे। पिछले 15 महीनों से डिलीवरी में लगातार देरी हो रही है। भारतीय सेना ने अमेरिका के साथ छह अपाचे AH-64E हेलिकॉप्टर की डील 2020 में साइन की थी। शुरुआत में इनमें से तीन हेलिकॉप्टर मई या जून 2024 तक मिलने की उम्मीद थी। लेकिन सप्लाई चेन में आई दिक्कतों की वजह से डिलीवरी टल गई।

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भारतीय वाायुसेना ने 2015 में सरकार-से-सरकार डील के तहत 39 अपाचे हेलिकॉप्टर खरीदने की योजना बनाई थी, जिसमें से 2020 तक 22 भारतीय वायुसेना (IAF) को मिल चुके हैं। इनकी पहली खेप पठानकोट और दूसरी जोरहट में तैनात की गई है। भारतीय सेना पहले ही मार्च 2024 में जोधपुर के नागतलाव बेस में अपनी पहली अपाचे रोटरी विंग एयरक्राफ्ट स्क्वॉड्रन तैयार कर चुका है। पायलट और ग्राउंड स्टाफ को ट्रेनिंग भी दे दी गई है, लेकिन हेलिकॉप्टर न मिलने से स्क्वॉड्रन अभी तक सक्रिय नहीं हो सका।

अपाचे AH-64E हेलिकॉप्टर को दुनिया का सबसे एडवांस मल्टी-रोल कॉम्बैट हेलिकॉप्टर माना जाता है। बोइंग के मुताबिक, यह एक मिनट से कम समय में 128 स्टेशनरी टारगेट्स को पहचान सकता है और 16 को एक साथ निशाना बना सकता है। इसे ‘टैंक किलर’ भी कहा जाता है, क्योंकि यह दुश्मन के टैंकों को नष्ट करने में माहिर है। यह हेलिकॉप्टर चार ब्लेड, दो टर्बोशाफ्ट इंजन, नोज-माउंटेड सेंसर सिस्टम और लेजर, इंफ्रारेड तकनीक से लैस है, जिससे यह रात में भी टारगेट को ट्रैक और अटैक कर सकता है। इसमें हेलफायर मिसाइल्स, 70 मिमी रॉकेट्स और 30 मिमी ऑटोमैटिक कैनन हैं, जो 1200 हाई-एक्सप्लोसिव राउंड फायर कर सकते हैं।

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AMCA प्रोग्राम पर जल्द दस्तखत

रक्षा सचिव ने यह भी बताया कि AMCA सौदे पर अगले तीन से छह महीनों में दस्तखत होने की उम्मीद है। AMCA का प्रोटोटाइप तैयार होने में 10 साल लग सकते हैं। यह भारत का स्वदेशी पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान होगा, जिसे रूस से मिलने वाली तकनीक से और मजबूती मिलेगी।

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