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रक्षा मंत्रालय ने 6 विदेशी व घरेलू कंपनियों पर प्रतिबंध की अवधि तीन साल और बढ़ा दी है, जिससे यह अब 11 अप्रैल 2025 से 11 अप्रैल 2028 तक प्रभावी रहेगा। यह कदम रक्षा सौदों में पारदर्शिता बनाए रखने और भ्रष्टाचार रोकने के उद्देश्य से उठाया गया है। प्रतिबंधित कंपनियों में सिंगापुर, इज़राइल, रूस और भारत की कंपनियां शामिल हैं, जिन पर 2009 में रिश्वतखोरी और अनुचित सौदों में लिप्त होने का आरोप लगा था...
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📍नई दिल्ली | 3 months ago

Defence Ministry: रक्षा मंत्रालय ने छह कंपनियों पर लगे प्रतिबंध को और तीन साल के लिए बढ़ा दिया है। यह फैसला रक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता और भ्रष्टाचार रोकने के लिए लिया गया है। इन कंपनियों पर पहली बार 2012 में 10 साल का प्रतिबंध लगा था, जो अब 11 अप्रैल 2025 से 11 अप्रैल 2028 तक लागू रहेगा। यह फैसला रक्षा मंत्रालय (Defence Ministry) के उत्पादन विभाग (डीडीपी) और सतर्कता विभाग (डी/विज) ने लिया है।

Defence Ministry bans six firms for 3 more years, stresses transparency

Defence Ministry: कौन हैं ये कंपनियां?

रक्षा मंत्रालय (Defence Ministry) ने जिन छह कंपनियों को प्रतिबंधित किया है, उनमें सिंगापुर टेक्नोलॉजीज काइनेटिक्स (सिंगापुर), इज़राइल मिलिट्री इंडस्ट्रीज (इज़राइल), टी.एस. किसान एंड कंपनी (नई दिल्ली), आर.के. मशीन टूल्स (लुधियाना), राइनमेटल एयर डिफेंस (ज्यूरिख) और रूस की कॉर्पोरेशन डिफेंस शामिल हैं।

इन कंपनियों पर 2009 में सीबीआई की जांच के बाद भ्रष्टाचार और गलत तरीकों से रक्षा सौदों को प्रभावित करने का आरोप लगा था। इसके चलते 2012 में इन्हें रक्षा मंत्रालय के साथ कारोबार करने से रोक दिया गया। 2023 में प्रतिबंध तीन साल बढ़ाया गया, और अब 2025 में फिर से इसे बढ़ाया गया है। रक्षा मंत्रालय (Defence Ministry) ने इस फैसले को अपनी नीतियों के पैरा F.3 के तहत लिया है, जो रक्षा मंत्रालय के साथ व्यापार करने वाली संस्थाओं के लिए दिशानिर्देश और सजा से संबंधित है।

क्यों लगा थाा प्रतिबंध?

2009 में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एक स्टिंग ऑपरेशन के बाद इन कंपनियों के खिलाफ जांच शुरू की थी, जिसमें रक्षा सौदों में रिश्वतखोरी और दलाली के सबूत मिले थे। इस मामले में कई कंपनियों और व्यक्तियों पर रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों को प्रभावित करने और अनुचित लाभ लेने का आरोप लगा। 2012 में, रक्षा मंत्रालय (Defence Ministry) ने अपनी सतर्कता नीतियों के तहत इन कंपनियों को ब्लैकलिस्ट कर दिया और दस साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया। इस दौरान इन कंपनियों को रक्षा मंत्रालय या इसके किसी भी विंग के साथ किसी भी तरह का व्यापार करने पर रोक लगा दी गई।

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रक्षा मंत्रालय (Defence Ministry) के सूत्रों का कहना है, “यह फैसला डिफेंस सेक्टर में पारदर्शिता और जवाबदेही को सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है। हमारी नीतियों के अनुसार, किसी भी तरह की अनैतिक गतिविधि को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।” मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि इस प्रतिबंध को लागू करने की जिम्मेदारी मंत्रालय के सभी विंग्स और सर्विस हेडक्वार्टर्स पर होगी।

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रक्षा मंत्रालय (Defence Ministry) ने अपने दस्तावेज़ में यह भी उल्लेख किया है कि यह फैसला 2016 में जारी किए गए दिशानिर्देशों (पैरा 37, डी(विज) आईडी नंबर 31013/1/2016) के अनुरूप है, जिसमें सख्त अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए सभी यूनिट्स को निर्देश दिए गए हैं। इस नीति का मुख्य उद्देश्य रक्षा खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना और भ्रष्टाचार को खत्म करना है।

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