📍नई दिल्ली | 8 months ago
Defence Minister Russia Visit: रक्षामंत्री राजनाथ सिंह 8 से 10 दिसंबर तक रूस का दौरा करेंगे, जहां वे भारत-रूस रक्षा साझेदारी को और मजबूत करने के लिए कई जरूरी कदम उठाएंगे। इस यात्रा के दौरान, भारतीय नौसेना में अत्याधुनिक स्टेल्थ फ्रिगेट INS तुषिल को भी शामिल किया जाएगा। INS तुषिल भारत और रूस के बीच नौसेना के मॉर्डेनाइजेशन के प्रयासों में एक नया मील का पत्थर साबित होगा। इससे पहले एचएएल चीफ भी मास्को की यात्रा पर थे। बता दें, कि दिसंबर में रूसी राष्ट्रपति व्लॉदिमीर पुतिन की भारत यात्रा प्रस्तावित है।
राजनाथ सिंह की यात्रा में मॉस्को और कलीनिनग्राद शामिल हैं, जो रूस का एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जो पोलैंड और लिथुआनिया के बीच बाल्टिक सागर के किनारे स्थित है। कलीनिनग्राद में रूस के महत्वपूर्ण सैन्य प्रतिष्ठान हैं, जिसमें बाल्टिक बेड़े का मुख्यालय भी शामिल है, जो रूस की रक्षा रणनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
कलीनिनग्राद में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह INS तुषिल का ध्वज आरोहण समारोह करेंगे। यह शिप प्रोजेक्ट 11356 के तहत बनने वाली चार फ्रिगेट्स में से पहला है। यह परियोजना भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग का एक अहम हिस्सा है, जिसे अक्टूबर 2016 में हुए एक इंटरगर्वनमेंटल एग्रीमेंट के तहत शुरू किया गया था। इस समझौते के तहत दो फ्रिगेट्स रूस के यांतर शिपयार्ड में बनाए जा रहे हैं, जिनमें INS तुषिल भी शामिल है, जबकि बाकी दो गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (GSL) में तकनीकी हस्तांतरण समझौते के तहत निर्माण किए जा रहे हैं।
INS तुषिल एक अत्याधुनिक स्टेल्थ फ्रिगेट है, जो भारतीय नौसेना की सामरिक क्षमताओं को नई मजबूती देगा। यह जहाज हवा से रक्षा, पनडुब्बी युद्ध और सतह युद्ध के लिए तैयार है, जिससे यह नौसेना के ऑपरेशन में बहुमुखी भूमिका निभाएगा। यह जहाज भारतीय नौसेना को अपनी समुद्री सीमा की रक्षा, समुद्री मार्गों की सुरक्षा और नए खतरे से निपटने में सक्षम बनाएगा।
सूत्रों ने बताया कि INS तुषिल को बनाने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। इसके निर्माण में ग्लोबल सप्लाई चेन में बाधा आने से भी देरी हुई है। जिसमें COVID-19 महामारी और रूस-यूक्रेन संघर्ष शामिल हैं। हालांकि, अब यह फ्रिगेट भारतीय नौसेना के बेड़े का हिस्सा बनने के लिए तैयार है और भारतीय नौसेना के सामरिक दृष्टिकोण में महत्वपूर्ण योगदान करेगा।
इस समय भारत और रूस के बीच रक्षा संबंधों का महत्व और बढ़ गया है, खासकर जब से भारत ने अपनी रक्षा खरीदारी में विविधता लाने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। इसके बावजूद, रूस अब भी भारत का प्रमुख डिफेंस सप्लायर बना हुआ है। वहीं, मॉस्को में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, रूस के रक्षा मंत्री आंद्रेई बेलौसोव से मुलाकात करेंगे, जहां वे संयुक्त सैन्य उपकरणों के उत्पादन, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और समुद्री सुरक्षा पर चर्चा करेंगे। इसके साथ ही दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को और गहरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे।
INS तुषिल के इस समय भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल होने का बहुत महत्व है, क्योंकि भारत अपने समुद्री सुरक्षा परिदृश्य को और सुदृढ़ करने की दिशा में काम कर रहा है। विशेषकर Indo-Pacific क्षेत्र में बढ़ती चुनौतियों के बीच, यह फ्रिगेट भारतीय नौसेना को एक नई शक्ति प्रदान करेगा, जिससे भारत अपनी समुद्री सीमाओं की सुरक्षा और महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों की रक्षा में सक्षम होगा।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का कलीनिनग्राद में रहना, भारत की रूस के साथ मजबूत साझेदारी बनाए रखने के दृष्टिकोण को दर्शाता है। भारत एक स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करता है और रूस के साथ अपने संबंधों को आगे बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है।
भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग का इतिहास बहुत पुराना है, और यह यात्रा इस सहयोग को और मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। राजनाथ सिंह की रूस यात्रा भारतीय रक्षा साझेदारी को एक नई दिशा देगी और समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग को और मजबूत करेगी।
वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की इस यात्रा को लेकर भारतीय डिफेंस सेक्टर में काफी उत्साह है और उनकी इस यात्रा से दोनों देशों के बीच संबंधों के और गहरा होने की उम्मीद जताई जा रही है। यह यात्रा भारतीय सैन्य साझेदारी में नए आयाम जोड़ेगी और दोनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग को मजबूत करेगी।