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थिएटर कमांड के पीछे का मुख्य सोच यही है कि एक खास ज्योग्राफिकल एरिया में तीनों सेनाओं के रिसोर्सेज और जवानों को एक कमांडर के नेतृत्व में लाया जाए। ऑपरेशन सिंदूर में ऐसा ही कुछ देखने को मिला। तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने एकजुट होकर रणनीति बनाई और उसे लागू किया, जिसके परिणामस्वरूप ऑपरेशन सफल रहा। इस दौरान सेना ने जमीन पर, नौसेना ने समुद्र में और वायुसेना ने एयर ऑपरेशंस को एक साथ मिलकर अंजाम दिया...
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📍नई दिल्ली | 2 months ago

Theatre Commands: ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान पर सफलतापूर्वक कड़ी कार्रवाई करने के बाद चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने अपनी नई किताब को लेकर बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने भविष्य में होने वाले युद्धों की रणनीति को लेकर एक किताब लिखी है। इस किताब का नाम है “रेडी, रिलेवेंट एंड रिसर्जेंट: ए ब्लूप्रिंट फॉर द ट्रांसफॉर्मेशन ऑफ इंडियाज मिलिट्री” (Ready, Relevant and Resurgent: A Blueprint for the Transformation of India’s Military)। इस किताब में उन्होंने भारतीय सेनाओं के लिए एक नया खाका पेश किया है, जिसमें सबसे बड़ा बदलाव यह है कि अब युद्ध और मिलिट्री ऑपरेशंस की जिम्मेदारी थिएटर कमांडरों को दी जाएगी, न कि थल सेना, नौसेना और वायुसेना के प्रमुखों को। इस किताब को गुरुवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नई दिल्ली में लॉन्च किया।

Theatre Commands क्या है और क्यों जरूरी है?

जनरल अनिल चौहान ने अपनी किताब में बताया कि थिएटर कमांड एक ऐसी व्यवस्था होगी, जिसमें एक खास भौगोलिक क्षेत्र में मौजूद सभी मिलिट्री रिसोर्सेज और जवानों को एक ही कमांडर के नेतृत्व में लाया जाएगा। इसका मतलब है कि सेना, नौसेना और वायुसेना के जवान और हथियार एक साथ मिलकर काम करेंगे, और इन सभी की कमान एक थिएटर कमांडर के हाथ में होगी। अभी तक युद्ध के दौरान तीनों सेनाओं के प्रमुख अपनी-अपनी सेनाओं को निर्देश देते थे, लेकिन अब यह जिम्मेदारी थिएटर कमांडर की होगी।

सीडीएस ने इसे दो हिस्सों में बांटा है – “फोर्स एप्लिकेशन” और “फोर्स जेनरेशन”। फोर्स एप्लिकेशन का मतलब है युद्ध लड़ना और मिलिट्री ऑपरेशंस चलाना, जो थिएटर कमांडर का काम होगा। वहीं, फोर्स जेनरेशन का मतलब है सैनिकों को भर्ती करना, उनकी ट्रेनिंग करना और सेना को बनाए रखना, जिसे रेज, ट्रेन एंड सस्टेन (आरटीएस) कहा जाता है। यह जिम्मेदारी अब भी सेना, नौसेना और वायुसेना के प्रमुखों के पास रहेगी।

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क्यों पड़ी बदलाव की जरूरत?

जनरल चौहान ने अपनी किताब में लिखा है कि आज के समय में युद्ध का तरीका तेजी से बदल रहा है। पहले युद्ध सिर्फ जमीन, हवा और समुद्र तक सीमित थे, लेकिन अब इसमें साइबर हमले, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम, अंतरिक्ष और बाहरी अंतरिक्ष जैसे नए क्षेत्र भी शामिल हो गए हैं। इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन, खाद्य और जल सुरक्षा जैसे मुद्दों ने भी सुरक्षा की परिभाषा को बदल दिया है। ऐसे में सेना को इन सभी चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार रहना होगा।

CDS Reveals: Theatre Commands to Lead India’s Future Wars
Credit: HQ-IDS X account

उन्होंने कहा कि हमें अपनी सोच, संगठन और संसाधनों में बड़ा बदलाव लाना होगा। सेना को न सिर्फ नए हथियारों और तकनीकों की जरूरत है, बल्कि हमें अपनी रणनीति, तकनीक और युद्ध की प्रक्रियाओं को भी आधुनिक बनाना होगा। जनरल चौहान ने इसे एक “क्वांटम जंप” यानी बहुत बड़ा बदलाव बताया, जो हमें भविष्य के लिए तैयार करेगा।

थिएटर कमांड लागू करने में क्या हैं चुनौतियां?

सीडीएस ने यह भी स्वीकार किया कि थिएटर कमांड लागू करना आसान नहीं होगा। इसके लिए सेना, नौसेना और वायुसेना को एक साथ मिलकर काम करना होगा, जिसे “जॉइंटनेस” कहा जाता है। अभी तक तीनों सेनाएं अपने-अपने तरीके से काम करती रही हैं, लेकिन अब उन्हें एकजुट होकर एक ही कमांडर के नेतृत्व में काम करना होगा। इसके लिए कई प्रक्रियाओं, गतिविधियों और बुनियादी ढांचे को एक साथ लाना होगा।

जनरल चौहान ने लिखा कि यह बदलाव तभी सफल होगा, जब सभी स्तर के अधिकारियों को इसकी जानकारी दी जाए और वे इसे स्वीकार करें। उन्होंने कहा कि यह भारतीय सेनाओं के इतिहास में सबसे बड़ा बदलाव होगा, जो आजादी के बाद के युग में सेना को एक नई दिशा देगा।

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ऑपरेशन सिंदूर में दिखी झलक!

ऑपरेशन सिंदूर भारतीय सेनाओं के लिए एक मिसाल बन गया है, जिसमें सेना, नौसेना और वायुसेना ने अद्भुत तालमेल दिखाया। इस ऑपरेशन ने यह साबित कर दिया कि तीनों सेनाओं के बीच सिनर्जी कितनी प्रभावी हो सकती है। यह थिएटर कमांड कॉन्सेप्ट की एक छोटी सी झलक है।

थिएटर कमांड के पीछे का मुख्य सोच यही है कि एक खास ज्योग्राफिकल एरिया में तीनों सेनाओं के रिसोर्सेज और जवानों को एक कमांडर के नेतृत्व में लाया जाए। ऑपरेशन सिंदूर में ऐसा ही कुछ देखने को मिला। तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने एकजुट होकर रणनीति बनाई और उसे लागू किया, जिसके परिणामस्वरूप ऑपरेशन सफल रहा। इस दौरान सेना ने जमीन पर, नौसेना ने समुद्र में और वायुसेना ने एयर ऑपरेशंस को एक साथ मिलकर अंजाम दिया।

जनरल चौहान ने अपनी किताब में लिखा है कि भविष्य के युद्धों में साइबर, अंतरिक्ष और जलवायु जैसे नए क्षेत्रों को शामिल करना होगा। ऑपरेशन सिंदूर ने यह संकेत दिया कि थिएटर कमांड लागू होने पर भारतीय सेना इन चुनौतियों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हो सकती है।

जनरल चौहान ने अपनी किताब में भविष्य के युद्धों की तैयारी पर भी जोर दिया। उन्होंने तकनीक के महत्व पर भी प्रकाश डाला। जनरल चौहान ने कहा कि तकनीक युद्ध के तरीके को पूरी तरह बदल देती है। आज सैन्य तकनीक का इस्तेमाल नागरिक क्षेत्र में और नागरिक तकनीक का इस्तेमाल सेना में हो रहा है। हमें इन नई तकनीकों को अपनाना होगा और अपनी रणनीति को उनके अनुसार ढालना होगा।

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जनरल अनिल चौहान को सितंबर 2022 में सीडीएस नियुक्त किया गया था। पिछले 22 महीनों से वे इस पद पर हैं और इस दौरान उन्होंने सेना में कई बदलावों की शुरुआत की है। अपनी किताब में उन्होंने लिखा कि हमें पुरानी सोच को छोड़कर नई शुरुआत करनी होगी। उन्होंने एक कहावत का जिक्र किया – “हमें फीनिक्स पक्षी की तरह अपनी पुरानी आदतों को छोड़कर नई शुरुआत करनी होगी। हमें अपने पुरखों की सीख को याद करना होगा और उनके अनुभवों से सीखते हुए आगे बढ़ना होगा।”

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