📍नई दिल्ली | 1 month ago
11 Years of India defence: नरेंद्र मोदी सरकार के केंद्र में 11 साल पूरे होने के साथ, भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार ने भारतीय सेनाओं के आधुनिकीकरण और रक्षा क्षेत्र में तकनीकी प्रगति पर विशेष ध्यान दिया है। पिछले एक दशक में, अत्याधुनिक डिफेंस इक्विपमेंट्स की खरीद से लेकर स्वदेशी उद्योग को बढ़ावा देने तक, सरकार ने सेना को और अधिक शक्तिशाली और एडवांस बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। “मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” पहल के तहत, भारत ने न केवल विदेशों से महत्वपूर्ण उपकरण खरीदे हैं, बल्कि स्वदेशी उत्पादन को भी बढ़ावा दिया है, जिससे विदेशी निर्भरता कम हुई है। आइए, पिछले 11 वर्षों में मोदी सरकार के कार्यकाल में भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना को कई अत्याधुनिक डिफेंस सिस्टम्स से लैस किया गया है। इसमें मिसाइल सिस्टम, लड़ाकू विमान, हेलिकॉप्टर, सबमरीन, रडार सिस्टम और स्मार्ट हथियारों की एक लंबी फेहरिस्त शामिल है।
11 Years of India defence: मिसाइल और एयर डिफेंस सिस्टम
भारत ने अपने एयर डिफेंस को मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। रूस से पांच रेजिमेंट्स एस-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम खरीदा गया, जिसकी रेंज 400 किलोमीटर है। यह सिस्टम भारत की हवाई सीमाओं को और सुरक्षित करने में सक्षम है। इसके अलावा, इज़रायल से बराक-8 मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (MRSAM) खरीदी गई, जिसकी रेंज 70 किलोमीटर है। इसे स्वदेशी सिस्टम्स के साथ इंटीग्रेट कर महत्वपूर्ण रक्षा ठिकानों की सुरक्षा सुनिश्चित की गई है।
🚨 Big Boost for Indian Army’s Air Defence! 🇮🇳
After the success of Operation Sindoor, the Indian Army is set to receive a ₹30,000 crore upgrade with the indigenous QRSAM (Quick Reaction Surface-to-Air Missile) system.
Highly mobile and trial-tested, QRSAM will strengthen our… pic.twitter.com/vxjlWGCCaX— Raksha Samachar | रक्षा समाचार 🇮🇳 (@RakshaSamachar) June 9, 2025
स्वदेशी स्तर पर, आकाश सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल सिस्टम की कई यूनिट्स भारतीय सेना और वायुसेना के लिए खरीदी गईं, जिनकी रेंज 25 किलोमीटर है। भारतीय नौसेना के लिए ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल की 200 से अधिक यूनिट्स की खरीद के लिए लगभग 20,000 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट किया गया। इन मिसाइलों की रेंज 290 किलोमीटर है, और कुछ एडवांस संस्करणों की रेंज 450 किलोमीटर तक है।
छोटी दूरी के एयर डिफेंस को मज़बूत करने के लिए, रूस से इग्ला-एस मैन-पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम (MANPADS) भी खरीदा गया है। इसके साथ ही, भारतीय वायुसेना के पुराने लंबी दूरी के रडारों को आधुनिक एक्टिव अपर्चर फेज्ड ऐरे सिस्टम (Active Aperture Phased Array System) से बदलने के लिए लार्सन एंड टुब्रो के साथ 5,700 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट किया गया।
आर्टिलरी और स्मार्ट गोला-बारूद
BAE सिस्टम्स से 145 M777 अल्ट्रा-लाइट हॉविट्जर गन खरीदी गईं, जो पहाड़ी इलाकों में बेहद उपयोगी हैं। इसके अलावा 307 एडवांस ATAGS 155mm/52 कैलिबर तोप और 327 हाई मोबिलिटी 6×6 गन टोइंग वाहन की खरीद का 7,000 करोड़ का अनुबंध किया गया।
इसी दौरान 100 K9 वज्र-T गन भी शामिल की गईं, जिनका सौदा 2017 में 720 मिलियन डॉलर में हुआ था। इसके अतिरिक्त 114 स्वदेशी धनुष तोपें भी 2026 तक सेना में शामिल की जाएंगी। थल सेना 300 माउंटेड गन सिस्टम (MGS) और 400 टो गन सिस्टम (TGS) की खरीद की प्रक्रिया में है। ये सिस्टम भारत फोर्ज और टाटा द्वारा निर्मित किए जा रहे हैं।
राइफल और छोटे हथियार
सेना के लिए 1.44 लाख सिग 716 बैटल राइफल्स खरीदी गईं, ताकि पुरानी इंसास राइफल्स को बदला जा सके। भारतीय सेना 2026 तक 114 धनुष तोप सिस्टम्स को शामिल करने की प्रक्रिया में है। इसके अलावा, 300 माउंटेड गन सिस्टम्स (MGS) और 400 टोड गन सिस्टम्स (TGS) की खरीद की प्रक्रिया भी चल रही है। सेना ने 100 के9 वज्र-टी तोपों को भी शामिल किया है, जिसके लिए 2017 में 720 मिलियन डॉलर का कॉन्ट्रैक्ट हुआ था।
वायुसेना के लिए लड़ाकू और परिवहन विमान
भारतीय वायुसेना को मज़बूत करने के लिए कई बड़े कॉन्ट्रैक्ट किए गए। 2016 में, फ्रांस के साथ 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का 60,000 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट हुआ। ये सभी विमान अब अंबाला और हासीमारा में तैनात हो चुके हैं। इसके अलावा, अक्टूबर 2024 में अमेरिका से 31 एमक्यू-9बी हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्यूरेंस रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम (RPAS) खरीदने का कॉन्ट्रैक्ट हुआ, जिसकी लागत लगभग 3 बिलियन डॉलर है। ये ड्रोन निगरानी और हमले की क्षमताओं को बढ़ाएंगे।
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) से वायुसेना को 180 तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट मिलेंगे, जिनमें से 40 विमान वर्तमान में ऑपरेट हो रहे हैं। 56 सी295 परिवहन विमान एयरबस डिफेंस एंड स्पेस से 21,935 करोड़ रुपये में खरीदे गए, ताकि वायुसेना के पुराने एवरो-748 विमानों को बदला जा सके।
2015 में, 22 अपाचे एएच-64 अटैक हेलीकॉप्टर अमेरिका से वायुसेना के लिए खरीदे गए थे। जबकि भारतीय सेना को अभी छह अपाचे हेलीकॉप्टर मिलने बाकी हैं।
वायुसेना को 15 चिनूक सीएच-47 हैवी-लिफ्ट हेलीकॉप्टर मिले, जिनका कॉन्ट्रैक्ट 2015 में हुआ। इसके अलावा, 151 एमआई-17वी-5 हेलीकॉप्टर भारत में असेंबल किए गए। 10 प्रचंड लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर 2023 में वायुसेना को और 5 भारतीय सेना को मिले। HAL के साथ 156 स्वदेशी प्रचंड हेलीकॉप्टर के लिए 53,000 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट भी हुआ।
निगरानी और समुद्री क्षमताएं
भारतीय नौसेना ने पिछले दशक में 6 कालवरी-क्लास स्कॉर्पीन पनडुब्बियों को शामिल किया। 2023 में, फ्रांस के साथ तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के लिए 38,000 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट हुआ। प्रोजेक्ट 17ए फ्रिगेट्स के तहत तीन जहाज़ शामिल किए गए हैं, और तीन और जल्द ही शामिल होंगे। P-8I पोसाइडन मैरीटाइम पेट्रोल एयरक्राफ्ट की 4 यूनिट और जोड़ी गई हैं। इससे पहले 8 विमान पहले से नौसेना के पास थे। अमेरिका से और 6 विमानों की खरीद पर चर्चा चल रही है। ये विमान समुद्री निगरानी, पनडुब्बी रोधी युद्ध और खुफिया कार्यों में अहम भूमिका निभाते हैं।
रक्षा सौदों में पारदर्शिता
मोदी सरकार ने रक्षा खरीद प्रक्रिया को पारदर्शी और तेज़ बनाने की दिशा में भी काम किया है। रक्षा मंत्रालय ने समयबद्ध तरीके से कॉन्ट्रैक्टों को अंतिम रूप दिया, जिससे सेना की तत्काल ज़रूरतों को पूरा किया जा सके। विदेशी खरीद के साथ-साथ, स्वदेशी उत्पादन पर जोर देकर भारत ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ाए हैं।
साथ ही, भारत रक्षा क्षेत्र में अपनी क्षमताओं को और बढ़ाने के लिए कई परियोजनाओं पर काम कर रहा है। नौसेना के लिए और पनडुब्बियों और जहाज़ों की खरीद, वायुसेना के लिए अतिरिक्त लड़ाकू विमान, और सेना के लिए आधुनिक तोपखाने की योजनाएं प्रगति पर हैं। स्वदेशी ड्रोन और मिसाइल सिस्टम्स का विकास भी तेज़ी से हो रहा है।
स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा
मोदी सरकार ने न केवल विदेशी रक्षा सौदों पर जोर दिया बल्कि भारतीय कंपनियों को भी आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रोत्साहित किया। HAL, भारत फोर्ज, टाटा, DRDO, L&T जैसे संस्थानों को मेक इन इंडिया नीति के तहत बड़े रक्षा अनुबंध मिले।
HAL का तेजस प्रोग्राम, DRDO का आकाश और नाग मिसाइल, भारत फोर्ज की ATAGS तोप, BEL का रडार सिस्टम, और बीएई के साथ पार्टनरशिप में बनी M777 तोपें इसका उदाहरण हैं।
“मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” के तहत, सरकार ने स्वदेशी रक्षा उत्पादन को प्रोत्साहन दिया है। तेजस, प्रचंड, और आकाश जैसे सिस्टम्स इसका उदाहरण हैं। HAL, भारत फोर्ज, और टाटा जैसे स्वदेशी कंपनियों ने डिफेंस इक्विपमेंट्स के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। HAL, भारत फोर्ज, टाटा, DRDO, L&T जैसे संस्थानों को मेक इन इंडिया नीति के तहत बड़े डिफेंस कॉन्ट्रैक्ट भी दिए गए। साथ ही, विदेशी कंपनियों के साथ साझेदारी कर प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को बढ़ावा दिया गया है।
नई टेक्नोलॉजी पर फोकस
भारत अब ‘स्मार्ट युद्ध’ की ओर बढ़ रहा है। यानी ऐसे हथियार और प्लेटफॉर्म जो तेजी से निर्णय लें, कम संसाधनों में ज्यादा प्रभाव डालें, और तकनीक के बल पर दुश्मन को चौंका दें। इसके लिए स्मार्ट गोला-बारूद, रडार से जुड़ी सटीकता, एआई-एनेबल्ड ड्रोन्स, और साइबर युद्ध क्षमताओं पर काम किया जा रहा है।
रक्षा मंत्रालय ने समय के साथ ऑपरेशनल कमांड स्ट्रक्चर को भी अधिक फुर्तीला और जॉइंट बनाया है। तीनों सेनाओं में समन्वय बढ़ा है। तेज निर्णय, आधुनिक लॉजिस्टिक्स और सटीक इंटेलिजेंस के कारण भारत अब सीमित समय में सीमित संसाधनों के साथ अधिक प्रभावी सैन्य प्रतिक्रिया देने में सक्षम हो चुका है।
रक्षा क्षेत्र में भारत की बढ़ती ताकत
पिछले 11 वर्षों में, भारत ने रक्षा क्षेत्र में न केवल अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाई है, बल्कि वैश्विक मंच पर भी अपनी स्थिति को मजबूत किया है। अत्याधुनिक उपकरणों की खरीद और स्वदेशी उत्पादन के संयोजन ने भारत को एक मज़बूत रक्षा शक्ति के रूप में स्थापित किया है। यह प्रयास न केवल सशस्त्र बलों को सशक्त बना रहा है, बल्कि भारत को रक्षा निर्यात के क्षेत्र में भी एक नई पहचान दे रहा है।