📍नई दिल्ली | 2 weeks ago
Tri-Services Academia Technology Symposium: भारतीय सेनाएं अब रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान और विकास (R&D) को बढ़ावा देने के लिए नए कदम उठा रही हैं। हाल ही में संपन्न हुए ऑपरेशन सिंदूर ने यह साबित किया कि स्वदेशी तकनीकों की ताकत भारत की रक्षा तैयारियों को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकती हैं। इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, भारतीय सेनाओं ने देश के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों जैसे आईआईटी, एनआईटी और टॉप विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर एक अनूठा मंच तैयार करने की योजना बनाई है। इस मंच का नाम है ट्राई-सर्विसेज एकेडमिया टेक्नोलॉजी सिंपोजियम, जिसका उद्देश्य सेनाओं की जरूरतों के अनुरूप स्वदेशी और अत्याधुनिक तकनीकों का विकास करना है।

Tri-Services Academia Technology Symposium 22-23 सितंबर को
नई दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में हाल ही में इस सिंपोजियम के लिए एक कर्टेन रेजर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह आयोजन भारतीय सेना, नौसेना, वायुसेना और इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ के संयुक्त प्रयासों से हुआ। इस कार्यक्रम ने 22-23 सितंबर 2025 को होने वाले मुख्य सिंपोजियम की तैयारियों की औपचारिक शुरुआत की। इस साल की थीम “विवेक व अनुसंधान से विजय” रखी गई है, जिसका मतलब है तकनीकी समझदारी और शोध ही भविष्य की जीत की कुंजी है।
Powering Indigenous Defence Innovation
The Indian Army, in coordination with Indian Navy & Indian Air Force, held a Curtain Raiser for the Tri-Services Academia Technology Symposium at Manekshaw Centre #NewDelhi with the Theme ‘Vivek va Anusandhan se Vijay’. The main event to be… pic.twitter.com/fGyX22Y8z6
— ADG PI – INDIAN ARMY (@adgpi) July 4, 2025
इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य देश के शैक्षणिक संस्थानों और रक्षा क्षेत्र के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है। इसके लिए एक विशेष वेब पोर्टल लॉन्च किया गया है, जिसके जरिए देशभर के कॉलेज, विश्वविद्यालय और शोध संस्थान अपने प्रतिनिधियों को रजिस्टर कर सकते हैं। यह पोर्टल 10 अगस्त 2025 तक खुला रहेगा। संस्थानों को दो तरह से भाग लेने का मौका मिलेगा। पहला, वे या तो सेमिनार और पैनल चर्चाओं में प्रतिभागी के रूप में शामिल हो सकते हैं या दूसरा वे अपने टेक्निकल प्रपोजल और इनोवेशंस को प्रोजेक्ट के तौर पर पेश कर सकते हैं।
एकेडमिक इंस्टीट्यूशंस को बड़ा मंच
आर्मी डिजाइन ब्यूरो के एडीजी मेजर जनरल सीएस मान ने कर्टेन रेजर कार्यक्रम में कहा कि यह सिंपोजियम शैक्षणिक संस्थानों को अपनी प्रतिभा और इनोवेशंस को रक्षा क्षेत्र तक पहुंचाने का एक अनूठा अवसर प्रदान करेगा। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य एक ऐसा सिस्टम बनाना है, जिसमें सशस्त्र बलों की जरूरतें और अकादमिक संस्थानों की क्षमताएं एक-दूसरे से जुड़ सकें।”
इस आयोजन के लिए देश के टॉप 200 शैक्षणिक संस्थानों और 50 शोध संगठनों को निमंत्रण भेजा गया है। इसके अलावा, अन्य इच्छुक संस्थान भी इस पोर्टल के जरिए भाग ले सकते हैं। मेजर जनरल मान ने बताया कि जो भी तकनीकी प्रस्ताव या आइडिया इस पोर्टल के जरिए भेजे जाएंगे, उनकी समीक्षा सेना के विशेषज्ञ करेंगे। चयनित प्रस्तावों को सिंपोजियम के दौरान प्रदर्शनी में शामिल किया जाएगा, और उनके प्रतिनिधियों को रक्षा अधिकारियों के साथ सीधे संवाद का मौका मिलेगा।
चुने गए प्रोजेक्ट्स को न केवल प्रदर्शनी में जगह मिलेगी, बल्कि उन्हें पुरस्कार और मान्यता भी दी जाएगी। इससे संस्थानों को भविष्य में और अधिक R&D के लिए प्रेरणा मिलेगी। मेजर जनरल मान ने कहा, “आत्मनिर्भर भारत का मतलब सिर्फ हथियार बनाना नहीं, बल्कि अपनी डिजाइन और शोध क्षमता को विश्व स्तर पर ले जाना है।”

अमेरिका से प्रेरणा
आईआईटी गुवाहटी के डायरेक्टर प्रोफेसर देवेंद्र जलिहाल ने इस आयोजन में अमेरिका का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विश्वविद्यालयों और रक्षा क्षेत्र ने मिलकर कई क्रांतिकारी तकनीकों का विकास किया। एमआईटी, बर्कले और न्यू मैक्सिको जैसे संस्थानों में रक्षा प्रयोगशालाएं स्थापित की गईं, जो रडार, ऊर्जा और पानी के नीचे की तकनीकों पर काम करती हैं। उन्होंने कहा कि भारत को भी ऐसा मॉडल अपनाने की जरूरत है।
प्रोफेसर जलिहाल ने जोर देकर कहा कि भविष्य के युद्ध तकनीक पर आधारित होंगे। “जो देश तकनीक में माहिर होगा, वही दुनिया में नेतृत्व करेगा।” उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का हवाला देते हुए कहा कि यह ऑपरेशन इस बात का सबूत है कि युद्ध अब केवल सीमाओं पर नहीं, बल्कि तकनीकी क्षेत्र में लड़े जाते हैं। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि भारत में शैक्षणिक संस्थान और रक्षा क्षेत्र के बीच संवाद की कमी है। यह सिंपोजियम इस कमी को दूर करने का एक महत्वपूर्ण कदम है।
सरकार का सहयोग
भारत सरकार का विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग भी इस आयोजन में सक्रिय रूप से सहयोग कर रहा है। विभाग ने राष्ट्रीय मिशन ऑन इंटरडिसिप्लिनरी साइबर-फिजिकल सिस्टम्स (NMICPS) के तहत 25 टेक्नोलॉजी इनोवेशन सेंटर स्थापित किए हैं, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सिक्योरिटी, ड्रोन और अन्य उन्नत तकनीकों पर काम कर रहे हैं। ये सेंटर इस सिंपोजियम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
एयरफोर्स चीफ और डीआरडीओ चीफ ने कही थी ये बात
एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने हाल ही में 29 मई 2025 को हुई CII एनुअल बिजनेस समिट में रिसर्च एंड डेवलपमेंट के महत्व पर अपने विचार साझा किए थे। उन्होंने कहा था कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता तभी संभव है, जब भारत न केवल उत्पादन में, बल्कि डिजाइन और विकास में भी सक्षम बने। उन्होंने जोर देकर कहा, “रिसर्च एंड डेवलपमेंट में जोखिम लेना जरूरी है। असफलताएं हो सकती हैं, लेकिन उनसे सीखकर आगे बढ़ना होगा। अगर तकनीक समय पर उपलब्ध नहीं होती, तो उसका महत्व खत्म हो जाता है।” उन्होंने प्रतिभा पलायन पर भी चिंता जताते हुए कहा था कि देश में बेहतर वेतन, प्रोत्साहन और वर्क इनवायरमेंट की जरूरत है।
एयर चीफ मार्शल सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर का उदाहरण देते हुए बताया कि स्वदेशी तकनीकों, जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), भारतीय उपग्रह नविक (NavIC), ड्रोन और रडार सिस्टम ने इस ऑपरेशन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि तकनीक में देरी रक्षा तैयारियों को कमजोर करती है, इसलिए रिसर्च एंड डेवलपमेंट में तेजी और जोखिम लेने की क्षमता को बढ़ाना होगा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत को वैश्विक रक्षा क्षेत्र में अग्रणी बनने के लिए अपनी डिजाइन क्षमताओं को मजबूत करना होगा।
वही, डीआरडीओ प्रमुख डॉ. समीर वी. कामत ने भी CII एनुअल बिजनेस समिट में रिसर्च एंड डेवलपमेंट को रक्षा क्षेत्र की रीढ़ बताया था। उन्होंने कहा था, “हमें केवल उत्पादन पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। भारत को अपने सिस्टम डिजाइन करने और विकसित करने की क्षमता बढ़ानी होगी।”
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