📍नई दिल्ली | 2 months ago
Smart Ammunitions: भारत की सेना एक बार फिर अपनी ताकत बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम उठा रही है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद अब रक्षा मंत्रालय ने सेना को फिर से लैस करने और नई तकनीकों को अपनाने के लिए 9,000 करोड़ रुपये की भारी-भरकम राशि आवंटित की है। इसके साथ ही, वायु सेना और नौसेना के लिए भी 31,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि मंजूर की गई है ताकि वे आधुनिक हथियारों और तकनीकों से लैस हो सकें। इसका मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान की बढ़ती हरकतों और सीमा पर चीन की गतिविधियों का मुकाबला करना है।
Smart Ammunitions: ऑपरेशन सिंदूर से मिली सीख, सेना तैयार
ऑपरेशन सिंदूर से भारतीय सेना कई अहम सबक सीखे हैं। इस ऑपरेशन का मकसद सीमा पर दुश्मनों को सबक सिखाना था, लेकिन इस दौरान कई कमियां को भी नोटिस किया गया। रक्षा मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी है, लेकिन उसकी सीख को ध्यान में रखते हुए सेना को और मजबूत करना जरूरी है। इसीलिए 2025-26 के डिफेंस बजट का करीब 15-20 फीसदी हिस्सा, यानी 6.81 लाख करोड़ रुपये का बड़ा हिस्सा, इस बार नई तकनीकों और हथियारों पर खर्च किया जाएगा।
🇮🇳 CDS Gen Anil Chauhan on Operation Sindoor 🇮🇳
India acted with full responsibility during #OperationSindoor.
🕐 Strikes were conducted between 1:00 – 1:30 AM.
📞 Just 5 minutes later, Pakistan’s DGMO was informed.
🎯 Only terror targets were hit – no military bases, no civilian… pic.twitter.com/xFteHqsaAp— Raksha Samachar | रक्षा समाचार 🇮🇳 (@RakshaSamachar) June 3, 2025
चार दिन चले इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने ड्रोन, मिसाइल और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर जैसे अत्याधुनिक हथियारों का इस्तेमाल किया, जिससे पाकिस्तान को भारी नुकसान उठाना पड़ा। वहीं, इस ऑपरेशन के दौरान भारी मात्रा में गोला-बारूद और रिसोर्सेज की खपत हुई। इसके बाद सरकार ने यह तय किया कि सेना की मारक क्षमता को जल्द से जल्द बहाल करना जरूरी है। इसी के तहत अब ‘इमरजेंसी प्रोक्योरमेंट-6’ (EP-6) योजना के तहत यह 9,000 करोड़ रुपये सेना को दिए गए हैं।
क्या है EP-6?
‘इमरजेंसी प्रोक्योरमेंट-6’ का उद्देश्य है सेना की तात्कालिक जरूरतों को तुरंत पूरा करना, ताकि कोई भी खतरा सामने आने पर तुरंत जवाब दिया जा सके। यह योजना पहले भी 2020 में गलवान घाटी में हुए हिंसक संघर्ष (2020) और विभिन्न आतंकरोधी अभियानों में इस्तेमाल की जा चुकी है।
EP-6 के तहत न केवल सेना को गोला-बारूद और मिसाइलें मुहैया कराई जाएंगी, बल्कि आर्टिलरी, टैंक, एयर डिफेंस और पैदल सेना के लिए ‘स्मार्ट एम्युनिशन’ भी खरीदे जाएंगे। यह स्मार्ट हथियार ऐसे होते हैं जो लक्ष्य को पहचानकर सटीकता से हमला करते हैं, जिससे कम संसाधनों में अधिक असर होता है। इनमें इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रिकॉन (ISR) सिस्टम, कम्युनिकेशन और कमांड एंड कंट्रोल टेक्नोलॉजी, साइबर और स्पेस वॉरफेयर सॉल्यूशंस के अलावा रेडियो फ्रिक्वेंसी जैमर और GPS स्पूफिंग जैसे नॉन-काइनेटिक हथियार भी खरीदे जाएंगे।
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि ऑपरेशन सिंदूर ने यह दिखाया कि हमें न केवल हथियारों की संख्या बढ़ानी है, बल्कि उन्हें स्मार्ट और तेज भी बनाना है। इसीलिए सेना अब ‘स्मार्ट हथियारों’ पर ध्यान दे रही है। इनमें स्मार्ट गोला-बारूद, आधुनिक तोपें, बख्तरबंद वाहन और लंबी दूरी तक मार करने वाले हथियार शामिल हैं। इन हथियारों का इस्तेमाल खास तौर पर ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों में किया जाएगा, जहां दुश्मन को तेजी से जवाब देना जरूरी होता है।
पाकिस्तान और चीन की चुनौतियों का जवाब
पाकिस्तान लगातार भारत की सीमा पर ड्रोन और UAV (Unmanned Aerial Vehicle) के जरिए घुसपैठ की कोशिश कर रहा है। 8 मई 2025 की रात को पाकिस्तान ने लेह से लेकर सर क्रीक तक 36 लोकेशनों पर करीब 300-400 ड्रोन भेजे, ताकि भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम की टोह ली जा सके। इन ड्रोन हमलों से निपटने में भारत को अपने महंगे और सीमित संसाधनों का प्रयोग करना पड़ा, जिसके बाद सेना के हलकों में महसूस किया गया कि अब समय आ गया है कि सस्ती लेकिन स्मार्ट टेक्नोलॉजी को अपनाया जाए।
वायुसेना और नौसेना को 31,000 करोड़
रक्षा मंत्रालय ने सिर्फ थल सेना ही नहीं, बल्कि वायुसेना और नौसेना को भी अत्याधुनिक बनाने के लिए करीब 31,000 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की है। इस राशि का उपयोग नए फाइटर जेट्स, मिसाइल डिफेंस सिस्टम, रडार, समुद्री निगरानी प्रणाली और अत्याधुनिक पनडुब्बियों की खरीद में किया जाएगा।
यह कदम इसलिए भी अहम है क्योंकि भारत को अब दो मोर्चों पर सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। पश्चिम में जहां पाकिस्तान है, तो पूर्व में चीन से चुनौती मिल रही है।
क्या हैं ‘स्मार्ट हथियार’ और क्यों हैं जरूरी?
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, सेना अब ‘स्मार्ट हथियारों’ पर ज्यादा जोर दे रही है। लेकिन ये स्मार्ट हथियार क्या हैं? आसान भाषा में कहें तो ये ऐसे हथियार हैं जो न केवल सटीक निशाना लगाते हैं, बल्कि कम लागत में ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते हैं। मिसाल के तौर पर, स्मार्ट गोला-बारूद ऐसा हथियार है जो अपने लक्ष्य को खुद ढूंढ लेता है और उसे नष्ट कर देता है। इसमें रडार, जीपीएस और सेंसर जैसी तकनीकों का इस्तेमाल होता है।
इन हथियारों की जरूरत इसलिए बढ़ गई है क्योंकि आज की जंग पुराने तरीकों से नहीं लड़ी जाती। अब दुश्मन सस्ते ड्रोनों और साइबर हमलों का सहारा लेता है। ऐसे में हमें भी अपनी स्ट्रैटेजी बदलनी होगी। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि स्मार्ट हथियार न केवल जंग को आसान बनाते हैं, बल्कि हमारे सैनिकों की जान भी बचाते हैं।
‘कॉस्ट-टू-किल’ रेशियो
ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह स्पष्ट हो गया कि हर लक्ष्य पर हमला करने में इस्तेमाल होने वाले संसाधनों का खर्च समझदारी से किया जाना चाहिए। इसी को ध्यान में रखते हुए रक्षा विश्लेषकों ने ‘कॉस्ट-टू-किल रेशियो’ की बात की है, यानी किसी भी हमले में लगने वाले संसाधनों का मूल्यांकन लक्ष्य की अहमियत के आधार पर होना चाहिए। इससे ना सिर्फ संसाधनों की बचत होगी, बल्कि सेना की रणनीति भी ज्यादा प्रभावी बनेगी।
स्मार्ट स्ट्रैटेजी और स्मार्ट हथियारों की जरूरत
रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर ने हमें कई अहम सबक सिखाए। पहला, हमें यह समझ आया कि जंग अब केवल हथियारों की संख्या से नहीं जीती जा सकती। इसके लिए हमें स्मार्ट स्ट्रैटेजी और स्मार्ट हथियारों की जरूरत है। दूसरा, हमें अपनी इंटेलिजेंस सिस्टम को और मजबूत करना होगा ताकि दुश्मन की हर हरकत पर नजर रखी जा सके। सूत्रों ने कहा, “हमें अब स्मार्ट और इंटेलिजेंट लड़ाई के लिए तैयार रहना है। हमें अपने संसाधनों को सुरक्षित रखना है और इंटेलिजेंस, डिटेक्शन और इंटरसेप्शन पर भारी निवेश करना है।”
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अधिकारी ने यह भी कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने हमें यह सिखाया कि हमें अपने संसाधनों का सही इस्तेमाल करना चाहिए। कई बार ऐसा हुआ कि हमने जरूरत से ज्यादा हथियारों का इस्तेमाल किया, जिससे लागत बढ़ गई। अब सेना इस बात पर ध्यान दे रही है कि कम लागत में ज्यादा नुकसान कैसे पहुंचाया जा सकता है।
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