📍नई दिल्ली | 2 months ago
Pakistan Propaganda: भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच एक हैरान करने वाला सवाल उठ रहा है। आखिर क्यों पश्चिमी मीडिया आतंकी गतिविधियों से जुड़े होने के बावजूद पाकिस्तान का समर्थन कर रहा है? ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को नष्ट कर उसकी सैन्य ताकत को बड़ा झटका दिया, लेकिन इसके बाद भी पश्चिमी मीडिया और कुछ वैश्विक नेता पाकिस्तान की तरफदारी करते दिख रहे हैं। यहां तक कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की तुलना भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की और पाकिस्तान को “महान देश” बताया। इस बीच, भारत को भी अपने नैरेटिव को मजबूत करने के लिए विपक्षी नेताओं को आगे करना पड़ रहा है। जिन्हें कई देशों की याात्रा पर भेजा जाएगा, जो वहां जा कर पाकिस्तान के झूठ के बेनकाब करेंगे।
Pakistan Propaganda: पाकिस्तान के साथ है पश्चिमी मीडिया!
पिछले कुछ दिनों में पश्चिमी मीडिया ने भारत के ऑपरेशन सिंदूर को लेकर एकतरफा रुख अपनाया है। हालांकि सभी से पहलगाम हमले की निंदा तो की, लेकिन पाकिस्तान को ज्यादा खरीखोटी नहीं सुनाई। भारत ने साफ तौर पर कहा कि उसने सिर्फ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, लेकिन पाकिस्तान ने दावा किया कि भारत ने आम नागरिकों पर हमला किया। पश्चिमी मीडिया ने पाकिस्तान के इस दावे को प्रमुखता दी, जबकि भारत के सबूतों को नजरअंदाज किया। मिनट मिरर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कई पश्चिमी मीडिया हाउस ने भारत पर “झूठा नैरेटिव” बनाने का आरोप लगाया और पाकिस्तान की सैन्य कार्रवाई को “जवाबी हमला” बताकर उसकी तारीफ की।
Why is Western media still backing Pakistan?
Despite being a known terror hub, major Western outlets continue to portray Pakistan sympathetically. Even Trump compares Shehbaz Sharif to PM Modi and calls Pakistan a “great Nation.”
Double standards much? 🤔#PakistanTerrorState…— Raksha Samachar | रक्षा समाचार 🇮🇳 (@RakshaSamachar) May 17, 2025
एक्स पर कुछ पोस्ट्स में भी इस बात का जिक्र है कि पश्चिमी मीडिया लगातार भारत की सच्चाई को कमतर दिखा रहा है और पाकिस्तान के प्रोपेगैंडा को बढ़ावा दे रहा है। एक यूजर ने लिखा, “पश्चिमी मीडिया इस्लामिक आतंकवाद को समर्थन देता है और भारत के खिलाफ पाकिस्तान के झूठ को फैलाता है।”
ट्रंप ने पाकिस्तान को बताया महान देश
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर के एलान के बाद दोनों देशों के नेताओं की तारीफ की। लेकिन उनके बयान ने भारत में कई सवाल खड़े कर दिए। ट्रंप ने कहा, “मैं शहबाज शरीफ और नरेंद्र मोदी को अच्छी तरह जानता हूं। दोनों महान नेता हैं और पाकिस्तान एक महान देश है।” ट्रंप ने यह भी कहा कि वो भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ ट्रेड बढ़ाना चाहते हैं।
इस बयान की भारत में कड़ी आलोचना हुई। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने एक इंटरव्यू में कहा, “ट्रंप का बयान निराशाजनक है। भारत और पाकिस्तान को एक समान बताना ठीक नहीं है। भारत ने हमेशा आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है, जबकि पाकिस्तान आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देता रहा है।”
पाकिस्तान का झूठ तोड़ने की तैयारी
पाकिस्तान के नैरेटिव को काउंटर करने के लिए भारत को अब विपक्षी नेताओं को भी आगे करना पड़ रहा है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, भारत ने अपने विपक्षी नेताओं को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भेजने का फैसला किया है, ताकि पाकिस्तान के झूठ को बेनकाब किया जा सके। भारत ने साफ कर दिया है कि वो किसी भी तरह के आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा और पाकिस्तान को जवाब देने के लिए हर कदम तैयार है।
पाकिस्तान की साख पर सवाल
पाकिस्तान को आतंकी गतिविधियों का समर्थन करने वाला देश माना जाता है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने शहबाज शरीफ से साफ कहा कि पाकिस्तान को आतंकी संगठनों का समर्थन बंद करना होगा। लेकिन इसके बावजूद पश्चिमी मीडिया और कुछ नेताओं का रुख हैरान करने वाला है। द न्यूयॉर्क टाइम्स ने भी सीजफायर के बाद पाकिस्तान की तारीफ की, जबकि भारत ने कहा कि पाकिस्तान ने समझौते का उल्लंघन किया।
राफेल को लेकर फैलाया नैरेटिव
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की तरफ से खबरें फैलाई गईं कि इस हमले में उसके चीनी जे-10सी ने एक राफेल मार गिराया है। हालांकि सूबत के नाम पर पाकिस्तान के पास कुछ नहीं था। सोशल मीडिया पर भी पुरानी फोटो शेयर मॉर्फ करके शेयर की जा रही थीं। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा शरीफ भी चैनलों पर सोशल मीडिया का हवाला देकर झूठी जानकारी दे रहे थे। वहीं इस सब के बावजूद पश्चिमी मीडिया इस नैरेटिव को फैलाने में पाकिस्तान का साथ दे रहा था।
खुद फ्रांस में ही राफेल को लेकर सवाल उठाए गए। भारत के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने तीन राफेल जेट्स को मार गिराया। हालांकि, फ्रांस24 ने इस दावे की पुष्टि करने वाली कोई ठोस जानकारी नहीं दी, लेकिन उसने राफेल की परफॉर्मेंस पर बहस छेड़ दी।
पाकिस्तान के इस दावे को लेकर कई पश्चिमी मीडिया हाउस ने भी रिपोर्ट्स छापीं। सीएनएन ने एक फ्रांसीसी इंटेलिजेंस ऑफिसर के हवाले से कहा कि कम से कम एक राफेल जेट मार गिराया गया। लेकिन द वाशिंगटन पोस्ट ने साफ किया कि जो मलबा मिला, वो जरूरी नहीं कि राफेल का ही हो, वो मिराज 2000 का भी हो सकता है। फ्रांस24 ने इस बात पर भी जोर दिया कि फ्रांस सरकार और दसा एविएशन ने ऑपरेशन सिन्दूर के दौरान राफेल के कथित नुकसान पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। हालांकि फ्रांस24 ने इस बात को हाइलाइट किया कि ये जियोपॉलिटिकल गेम का हिस्सा हो सकता है, जिसमें अमेरिका और चीन अपने-अपने हथियारों को बढ़ावा देना चाहते हैं। फ्रांस24 ने एक फ्रांसीसी एक्सपर्ट जेवियर टाइटलमैन के हवाले से इस मामले पर कहा, “वायरल तस्वीरों में जो मलबा दिख रहा है, वो एक ड्रॉप टैंक का है। राफेल जैसे जेट्स मिशन के दौरान हल्का होने के लिए ड्रॉप टैंक गिरा देते हैं। ये तस्वीरें इस बात का सबूत नहीं हैं कि कोई जेट मार गिराया गया।”
क्यों समर्थन कर रहा है पश्चिमी मीडिया?
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट केजेएस ढिल्लन भी इस मामले को ज्योपॉलिटिक्स से जोड़ कर देख कर रहे हैं। वह कहते हैं, जिस तरह से कई देश भारत को यूनाइटेड नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल का परमानेंट मेंबर होते नहीं देखना चाहते, वैसे ही वहां का मीडिया भी भारत को आगे बढ़चा नहीं देखना चाहता। जब से भारत ने पश्चिमी देशों से हथियारों की खरीदारी कम की है, तब से उनके हित प्रभावित हुए हैं, औऱ वे भारत कमतर करके आंकना चाहते हैं।
अंतरराष्ट्रीय मामलों के प्रोफेसर रिजवान अहमद कहते हैं, पाकिस्तान खुद आतंक की फैक्टरी है। अमेरिका में आतंकी हमले हुए उनकी साजिश पाकिस्तान में ही रची गई। मुंबई टैरर अटैक हुआ, तो आतंकी पाकिस्तान से आए थे। ओसामा बिन लादेन मारा जाता है, तो पाकिस्तान में, जहां उसे पनाह मिली हुई थी। ऑपरेशन सिंदूर में जब भारत ने मुरीदके और बहावलपुर में आतंक के मदरसे नष्ट किए तो पाकिस्तान फिर से लश्कर के मदरसों को बनवाने की बात कह रहा है। जिसका खर्च पाकिस्तान सरकार उठाएगी। वह कहते हैं कि आखिर पश्चिमी मीडिया को यह बात कब समझ में आएगी। वह कहते हैं कि पाकिस्तान खुद को आतंक से पीड़ित होने की बात करता है। पहले आतंक को पालता है फिर खुद पर हमले भी करवाता है और कहता है हम पर आतंकी हमले हो रहे हैं। बलुचिस्तान में हो रहे हमलों पर भारत का हाथ होने की बात कहता है। जबकि भारत औऱ बलुचिस्तान का नक्शा कहीं आपस में मिलता ही नहीं। जबकि आतंक की फैक्टरी पीओके भारत से लगा हुआ है।
कई जानकारों का मानना है कि पश्चिमी मीडिया का ये रवैया जियोपॉलिटिकल हितों से प्रेरित है। भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव से कुछ पश्चिमी देश असहज हैं और वो पाकिस्तान को एक काउंटर के तौर पर इस्तेमाल करना चाहते हैं। इसके अलावा, पाकिस्तान ने हमेशा से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर “पीड़ित” का नैरेटिव बनाया है, जिसे पश्चिमी मीडिया आसानी से स्वीकार कर लेता है। मून ऑफ अल्बामा की एक रिपोर्ट में कहा गया कि ट्रंप प्रशासन भारत-पाकिस्तान तनाव में तटस्थ रुख अपनाना चाहता है, ताकि दोनों देशों के साथ अपने आर्थिक हितों को बनाए रख सके।
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वहीं, भारत ने साफ कर दिया है कि वो किसी भी विदेशी मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करेगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “भारत ने अपनी ताकत से पाकिस्तान को सीजफायर के लिए मजबूर किया। ये हमारा आंतरिक मामला है।”