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पिनाका (Pinaka MBRL) को आज के युद्ध की जरूरतों के हिसाब से बनाया गया है। यह ऐसा हथियार है, जो तेजी से काम करता है। इसका कमांड और कंट्रोल सिस्टम अलग-अलग सैन्य उपकरणों, जैसे ड्रोन, तोपें और मिसाइलों, के साथ कॉर्डिनेट करता है। पिनाका का फायर कंट्रोल सिस्टम बहुत स्मार्ट है। यह अपने आप दुश्मन के खतरों को पहचान लेता है, सही निशाना लगा सकता है...
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📍नई दिल्ली | 2 months ago

Pinaka MBRL: भारतीय सेना ने हाल ही में राजस्थान के पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में अपने स्वदेशी पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर (MBRL) सिस्टम का सफल फायरिंग टेस्ट किया। सूत्रों का कहना है कि आने वाले हफ्तों में एक और फायरिंग टेस्ट की योजना है। आइए जानते हैं कि आखिर क्या है पिनाका मिसाइल सिस्टम, इसकी ताकत क्या है, और पाकिस्तान क्यों इससे इतना डरा हुआ है?

Pinaka MBRL: क्या है पिनाका मिसाइल सिस्टम?

पिनाका (Pinaka MBRL) नाम भगवान शिव के पौराणिक धनुष से प्रेरित है। पिनाका भारतीय सेना के तोपखाने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। पिनाका को भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने विकसित किया है। यह एक मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम है जो 44 सेकंड में 72 रॉकेट दाग सकता है। हर एक रॉकेट करीब 100 किलो विस्फोटक ले जाने में सक्षम होता है। यह रॉकेट 60 किलोमीटर तक दुश्मन के ठिकानों को ध्वस्त कर सकता है। पिनाका का एडवांस वर्जन Mk-II ER अब 90 किलोमीटर तक मार कर सकता है, और आने वाले समय में इसके 120, 150, और 200 किलोमीटर रेंज वाले मॉडल विकसित किए जा रहे हैं।

120 किमी रेंज (Pinaka MBRL) का वेरिएंट मौजूदा 214 मिमी कैलिबर का होगा, जिसे पुराने लॉन्चरों से भी दागा जा सकता है। इसका डेवलपमेंट 2024 में शुरू हुआ, और पहला टेस्ट अक्टूबर 2025 में है। जबकि इसके 300 किमी रेंज वाला वेरिएंट काफी एडवांस है। जिसके लिए प्रारंभिक आवश्यकताएं तय की जा रही हैं। इसमें रैमजेट प्रोपल्सन टेक्नोलॉजी का उपयोग होगा, जिसे आईआईटी मद्रास के शोधकर्ता और डीजी आर्टिलरी रह चुके रिटायरर्ड लेफ्टिनेंट जनरल पी.आर. शंकर की टीम तैयार कर रही है।

इसमें लगा है जीसीएस सिस्टम

वहीं, पिनाका (Pinaka MBRL) बिल्कुल सटीक मार करता है। इसमें जीपीएस और इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम लगा हुआ है, जो इसे दुश्मन के ठिकानों को सटीक निशाना बनाने में मदद करता है। साथ ही आसपास के क्षेत्रों को नुकसान से बचाता है। यह सिस्टम भारत के डिजिटल बैटलफील्ड फ्रेमवर्क के साथ पूरी तरह से इंटीग्रेटेड है। यह ड्रोन, सैटेलाइट, रडार और दूसरे टोही उपकरणों के साथ मिलकर काम करता है, जिससे दुश्मन के अहम ठिकानों को फौरन नष्ट किया जा सकता है। इसमें इजरायल मिलिट्री इंडस्ट्रीज के साथ मिलकर DRDO ने पिनाका में ट्रैजेक्ट्री करेक्शन सिस्टम (TCS) जोड़ा है, जिससे इसकी सटीकता और बेहतर हुई है।

पिनाका को “शूट-एंड-स्कूट” के लिए डिज़ाइन किया गया है, यानी यह तेजी से हमला करके अपनी जगह बदल सकता है, जिससे दुश्मन के जवाबी हमले से बचा जा सकता है। पिनाका (Pinaka MBRL) चार मोड में काम करता है – ऑटोनॉमस, स्टैंडअलोन, रिमोट (200 मीटर की दूरी से नियंत्रण), और मैनुअल। यह इसे हर स्थिति में उपयोगी बनाता है।

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पोखरण टेस्ट का मतलब

हालांकि पोखरण में पिनाका (Pinaka MBRL) का टेस्ट 30 मार्च 2025 को हुआ था। आगामी जून में एक और टेस्ट होगा, जो इसकी नई खूबियों को और दिखाएगा। इससे पहले DRDO ने नवंबर 2024 में गाइडेड पिनाका (Pinaka MBRL) रॉकेट के उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे किए, जिसकी रेंज 75 किमी से अधिक है। इन परीक्षणों ने सटीकता, स्थिरता और एक साथ कई लक्ष्यों को निशाना बनाने की क्षमता को सत्यापित किया। यह सिस्टम अब भारतीय सेना में शामिल होने के लिए तैयार है।

बहुत कम लोगों को पता है कि पिनाका (Pinaka MBRL) का उपयोग कारगिल युद्ध (1999) में हुआ था। कारगिल युद्ध के दौरान पिनाका का विकास अंतिम चरण में था, और केवल दो लॉन्चरों का उपयोग 121 रॉकेट रेजिमेंट के तहत जून 1999 में परीक्षण के लिए किया गया था।

पाकिस्तान के लिए क्यों है पिनाका खतरनाक?

पिनाका (Pinaka MBRL) की ताकत और इसकी बढ़ती रेंज पाकिस्तान के लिए बड़ा खतरा है। भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव का पुराना इतिहास है। हाल ही में 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सीमा पर टेंशन है। बता दें कि इस हमले में 26 लोग मारे गए थे। ऐसे में पिनाका जैसे हथियार भारत की रक्षा रणनीति को और मजबूत करते हैं।

युद्ध की स्थिति में भारतीय सेना पिनाका (Pinaka MBRL) से सीमा पार आतंकी लॉन्च पैड्स, गोला-बारूद के ठिकानों, कमांड पोस्ट और एयर डिफेंस यूनिट्स को मिनटों में नेस्तनाबूद कर सकती है। यही नहीं, इसमें जीपीएस-नेविगेशन बेस्ड सिस्टम होने की वजह से यह बेहद सटीक निशाना लगाता है, जिससे आम नागरिकों की क्षति से भी बचा जा सकता है। इसकी तेजी और सटीकता दुश्मन को जवाब देने का मौका ही नहीं देती। पिनाका का डिजाइन ऐसा है कि यह पहाड़ों, रेगिस्तान और मैदानी इलाकों में आसानी से काम कर सकता है। इसका तेज हमला और “शूट-एंड-स्कूट” क्षमता दुश्मन को जवाबी कार्रवाई का मौका नहीं देती।

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वहीं, पाकिस्तान के पास इस तरह का कोई एडवांस मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर MBRL सिस्टम नहीं है। उनके हथियार पिनाका की तुलना में रेंज और सटीकता में कमजोर हैं। पिनाका (Pinaka MBRL) की ड्रोन और टोही उपकरणों के साथ मिलकर काम करने की खूबी इसे और भी घातक बनाती है, क्योंकि यह दुश्मन के ठिकानों को ढूंढकर उन्हें नष्ट कर सकता है।

मॉडर्न वॉरफेयर में पिनाका की ताकत

पिनाका (Pinaka MBRL) को आज के युद्ध की जरूरतों के हिसाब से बनाया गया है। यह ऐसा हथियार है, जो तेजी से काम करता है। इसका कमांड और कंट्रोल सिस्टम अलग-अलग सैन्य उपकरणों, जैसे ड्रोन, तोपें और मिसाइलों, के साथ कॉर्डिनेट करता है। पिनाका का फायर कंट्रोल सिस्टम बहुत स्मार्ट है। यह अपने आप दुश्मन के खतरों को पहचान लेता है, सही निशाना लगा सकता है। अगर हालात बदल जाएं, तो तुरंत नया प्लान बना लेता है। यह होवित्जर तोपों, मिसाइल बैटरी और ड्रोन के साथ मिलकर काम करता है।

कमांडरों को यह सुविधा मिलती है कि वे जरूरत पड़ने पर अलग-अलग पिनाका बैटरी को फौरन नए मिशन दे सकते हैं। इसका सॉफ्टवेयर-बेस्ड डिजाइन इसे और भी खास बनाता है, क्योंकि भविष्य में इसमें आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) और नए स्वार्मिंग रॉकेट सिस्टम को जोड़ा जा सकता है। सीधे शब्दों में कहें तो पिनाका आधुनिक युद्ध में भारत के लिए एक ऐसा हथियार है, जो तेज, सटीक और भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार है।

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पूरी तरह से स्वदेशी

इसके अलावा पिनाका सिस्टम (Pinaka MBRL) पूरी तरह से स्वदेशी है। सोलर इंडस्ट्रीज, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स, लार्सन एंड टूब्रो, और म्यूनिशन्स इंडिया लिमिटेड जैसे निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां इसका उत्पादन करती हैं। पिनाका की लागत प्रति सिस्टम लगभग 2.3 करोड़ रुपये है, जो अमेरिकी M270 सिस्टम (19.5 करोड़ रुपये) की तुलना में बहुत कम है। वहीं पूरी तरह से स्वदेशी होने से भारत को इसके लिए किसी विदेशी मदद की जरूरत नहीं है। भारत हर साल 5,000 से ज्यादा रॉकेट बना सकता है, जिससे सेना की जरूरतें पूरी होती हैं और निर्यात की भी काफी संभावनाएं हैं। पिनाका की मांग दुनियाभर में बढ़ रही है। आर्मेनिया ने इसे खरीदा है, और फ्रांस जैसे देश भी इसमें दिलचस्पी दिखा रहे हैं। 2023 में आर्मेनिया ने 245 मिलियन डॉलर के सौदे में पिनाका खरीदा, जो इसका पहला विदेशी ग्राहक बना। वहीं, फ्रांस की सेना पिनाका को अपने पुराने M270 MLRS की जगह लेने के लिए सोचविचार कर रही है। ब्रिगेडियर जनरल स्टीफन रिचौ ने नवंबर 2024 में कहा था कि फ्रांस पिनाका की मैनुवेरिएबिलिटी और एक्यूरेसी से प्रभावित हैं। हालांकि, फ्रांस 2026 में अपने स्वदेशी रॉकेट सिस्टम का टेस्ट भी कर रहा है। इसके अलावा इंडोनेशिया, नाइजीरिया, और कुछ दक्षिण अमेरिकी, दक्षिण-पूर्व एशियाई, और यूरोपीय देशों ने भी पिनाका में रुचि दिखाई है।

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