📍नई दिल्ली | 3 months ago
Pahalgam NIA Probe: पिछले कुछ महीनों में जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमलों ने देश को झकझोर कर रख दिया है। अक्टूबर 2024 में गगनगीर गांदरबल) में एक निर्माण स्थल पर सात मजदूरों की हत्या, गुलमर्ग (बारामुला) के पास बोता पठरी में सेना के वाहन पर हमला और अब पहलगाम (अनंतनाग) में पर्यटकों पर हमला, ये सभी घटनाएं आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में नई चुनौतियां पेश कर रही हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) (Pahalgam NIA Probe) इन हमलों के बीच संबंधों की जांच कर रही है और यह जानने की कोशिश कर रही है कि क्या इनके पीछे कोई साझा साजिश है।
जांच में सबसे बड़ा खुलासा यह हुआ है कि इन हमलों में पाकिस्तानी आतंकी हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान का नाम बार-बार सामने आ रहा है। इसके साथ ही, खुफिया जानकारी की कमी और घुसपैठ पर नजर रखने में चूक भी जांच के केंद्र में है।
Pahalgam NIA Probe: तीन हमलों का एक सूत्र: हाशिम मूसा
एनआईए की जांच (Pahalgam NIA Probe) में पता चला है कि गगनगीर, गुलमर्ग और पहलगाम हमलों में एक साझा कड़ी है पाकिस्तानी आतंकी हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान। तकनीकी साक्ष्यों, जैसे कॉल रिकॉर्ड्स और डिजिटल फुटप्रिंट्स से पता चला है कि मूसा ने इन तीनों हमलों के मॉड्यूल्स को निर्देश दिए। वह लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) से जुड़ा है, लेकिन जांचकर्ता इस बात से इंकार नहीं कर रहे कि उसका संबंध घाटी में सक्रिय अन्य पाकिस्तान समर्थित आतंकी समूहों से भी हो सकता है।
सूत्रों के मुताबिक, आतंकी संगठन अब ‘क्रॉस-पोलिनेशन’ की रणनीति अपना रहे हैं, यानी अलग-अलग संगठनों के आतंकी एक-दूसरे के साथ मिलकर हमले कर रहे हैं। इसका मकसद जम्मू-कश्मीर को अशांत बनाए रखना है। मूसा जैसे आतंकी इस रणनीति के केंद्र में हैं, जो विभिन्न मॉड्यूल्स को जोड़कर हमलों को अंजाम दे रहे हैं।
हमलों का तरीका: सुरक्षित इलाकों को निशाना बनाना
जांच (Pahalgam NIA Probe) में पता चला है कि इन तीनों हमलों में आतंकियों के हमले का पैटर्न एक जैसा ही रहा है। गगनगीर में मजदूरों को, गुलमर्ग में सेना के जवानों और कुलियों को, और पहलगाम में पर्यटकों को निशाना बनाया गया। ये सभी इलाके पहले सुरक्षित माने जाते थे, जहां आतंकी गतिविधियां कम थीं। एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी के अनुसार, “आतंकियों का मकसद सरकार की उपलब्धियों जैसे अनुच्छेद 370 हटाने के बाद हुए विकास और पर्यटन को कमजोर करना है।”
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PM Modi backs Indian Armed Forces with FULL confidence!
“They have complete operational freedom to choose the mode, target, and timing of response,” says PM.
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हमलों में इस्तेमाल हुए हथियार और तकनीक भी पहले से ज्यादा एडवांस थे। आतंकियों के पास नाइट विजन डिवाइस, एमपी3 मशीन गन, एके-47 और अन्य आधुनिक हथियार थे। उनकी ट्रेनिंग और हमले की योजना और तैयारियों से पता चलता है कि ये हमले सोच-समझकर किए गए थे। ये हमले राज्य में अलग-अलग जगहों पर हुए थे, लेकिन इनसे सुरक्षा बल भ्रमित हो गए।
खुफिया नाकामी: घुसपैठ पर क्यों नहीं रही नजर?
एनआईए की जांच (Pahalgam NIA Probe) में खुलासा हुआ है कि ये आतंकी भारत में कहां से आए, कब घुसे, इसकी कोई ठोस जानकारी सुरक्षा एजेंसियों के पास नहीं थी। सूत्रों के मुताबिक, आतंकी कम समय में घुसपैठ करने में कामयाब रहे और लंबे समय तक छिपे रहे। उन्होंने घटनास्थल की पहले से रेकी (recce) की थी और हमले के बाद तुरंत गायब हो गए। यह सुरक्षा बलों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। वहीं हमले के दौरान फायर डिसिप्लिन और कोऑर्डिनेशन ऐसा था कि सुरक्षा बलों को अंदेशा तक नहीं हुआ। इसके अलावा पहलगाम जैसे पर्यटक स्थल, जो पहले आतंकी हमलों से बचे रहे थे, अब निशाने पर हैं। आतंकी अब उन इलाकों को टारगेट कर रहे हैं, जहां सुरक्षा व्यवस्था लचर है। सूत्रों ने बताया कि ऐसा माना जा रहा है कि ये आतंकी कम एक्टिविटीज वाले इलाकों में आए और महीनों तक डॉर्मेंट सेल्स की तरह छिपे रहे। यही वजह है कि वे लंबे समय तक नजरों से बचे रहे और एक के बाद एक हमला कर पाए।
लोकल नेटवर्क पर कार्रवाई
हमलों के पीछे के नेटवर्क को तोड़ने के लिए सुरक्षा बल (Pahalgam NIA Probe) स्थानीय स्तर पर सक्रिय सहायकों (ओवरग्राउंड वर्कर्स) पर शिकंजा कस रहे हैं। कश्मीर में चार आतंकियों के घरों को ध्वस्त किया गया है और 63 ठिकानों पर छापेमारी की गई है। ये लोग आतंकियों को लॉजिस्टिक सपोर्ट, जैसे हथियार और ठिकाने, उपलब्ध कराते हैं। इनके नेटवर्क को तोड़ना जांच के लिए अहम है, क्योंकि इससे आतंकियों के मूवमेंट और योजनाओं का पता चल सकता है। अब NIA और J&K पुलिस की स्पेशल यूनिट्स का ध्यान इस बात पर है कि इन आतंकियों को स्थानीय स्तर पर किसने सहयोग दिया। OGWs (Over Ground Workers) की पहचान की जा रही है। उनके फोन रिकॉर्ड, बैंक ट्रांजैक्शन्स और मूवमेंट पर नजर रखी जा रही है।
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इसके साथ ही, जम्मू-कश्मीर पुलिस और भारतीय सेना के आतंकवाद-रोधी कमांडो पाकिस्तानी आतंकियों की तलाश में जुटे हैं। मूसा जैसे वांछित आतंकियों को पकड़ना या खत्म करना इस समय सबसे बड़ा लक्ष्य है।
मल्टी-ग्रुप कोऑर्डिनेशन की रणनीति
सूत्रों (Pahalgam NIA Probe) का कहना है कि हाशिम मूसा की गतिविधियों से यह स्पष्ट हो गया है कि पाकिस्तान स्थित आतंकी गुट केवल लश्कर-ए-तैयबा तक सीमित नहीं हैं। मूसा जैसे आतंकी मल्टी-ग्रुप कोऑर्डिनेशन कर रहे हैं। यानी जैश-ए-मोहम्मद, हिज्बुल मुजाहिदीन और लश्कर सभी उसे सपोर्ट उपलब्ध का रहे हैं। इन गुटों की रणनीति है कि अलग-अलग नामों से छोटे हमले करें, जिससे एजेंसियां भ्रम में रहें और कोई बड़ा लिंक न बना सकें।
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