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पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए, ज्यादातर पर्यटक। टीआरएफ ने हमले की जिम्मेदारी ली। हमला धार्मिक तनाव भड़काने और पर्यटन को नुकसान पहुंचाने की साजिश था। भारत के जवाब पर सबकी नजरें हैं, क्योंकि उत्तरी कमान प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल सुचिंद्रा कुमार 30 अप्रैल को रिटायर हो रहे हैं। क्या नए कमांडर प्रतीक शर्मा जवाबी कार्रवाई का नेतृत्व करेंगे?
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📍New Delhi | 3 months ago

Pahalgam terror attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुआ आतंकी हमला देश के लिए एक बड़ा झटका है। इस हमले में 28 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे, और कई अन्य घायल हुए। यह हमला बैसरन घाटी में हुआ, जो पहलगाम से करीब 5 किलोमीटर दूर एक खूबसूरत लेकिन दूरदराज का इलाका है। इस हमले की जिम्मेदारी ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) ने ली, जो पाकिस्तान समर्थित लश्कर-ए-तैयबा का एक हिस्सा है। अब सवाल यह है कि क्या भारत इस हमले का जवाब मौजूदा उत्तरी कमान प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिंद्रा कुमार के नेतृत्व में देगा, जो 30 अप्रैल को रिटायर हो रहे हैं, या नए कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा के आने का इंतजार किया जाएगा?

Pahalgam Attack: Will India Respond Before April 30 Under New Northern GOC?

Pahalgam terror attack: पहलगाम हमले की भयावहता

22 अप्रैल को दोपहर करीब 2:30 बजे, जब बैसरन घाटी में पर्यटक प्रकृति की सुंदरता का आनंद ले रहे थे, आतंकियों ने अचानक हमला बोल दिया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आतंकी जंगलों से निकले और अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। उन्होंने पुरुष पर्यटकों से उनकी धार्मिक पहचान पूछी और फिर गोली मार दी। मरने वालों में ज्यादातर हिंदू पर्यटक थे, लेकिन एक स्थानीय मुस्लिम व्यक्ति भी इस हमले का शिकार हुआ। इस हमले में दो विदेशी पर्यटक (नेपाल और यूएई से) और एक भारतीय नौसेना अधिकारी समेत भारतीय वायुसेना के कॉरपोरेल भी मारे गए। यह हमला पिछले दो दशकों में जम्मू-कश्मीर में नागरिकों पर हुआ सबसे घातक हमला माना जा रहा है।

Pahalgam terror attack: क्यों चुना गया पहलगाम?

पहलगाम सिर्फ एक पर्यटक स्थल नहीं है, बल्कि यह अमरनाथ यात्रा का बेस कैंप भी है, जहां हर साल लाखों हिंदू तीर्थयात्री आते हैं। इस हमले का मकसद न केवल लोगों को मारना था, बल्कि भारत की धार्मिक और आर्थिक ताकत को चोट पहुंचाना भी था। पर्यटकों को निशाना बनाकर आतंकियों ने जम्मू-कश्मीर के पर्यटन उद्योग को कमजोर करने की कोशिश की, जो इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा है। पर्यटक स्थल आमतौर पर सैन्य ठिकानों की तरह सुरक्षित नहीं होते, और वहां आने वाले लोग स्थानीय खतरों से अनजान होते हैं। इसीलिए आतंकियों के लिए यह आसान निशाना था।

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सांप्रदायिक तनाव भड़काने की साजिश

इस हमले में धार्मिक नफरत की साफ झलक दिखी। आतंकियों ने पुरुष पर्यटकों से उनका धर्म पूछा और गैर-मुस्लिमों को निशाना बनाया। कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि आतंकियों ने लोगों को इस्लामी कलमा पढ़ने के लिए कहा और जो ऐसा नहीं कर पाए, उन्हें गोली मार दी गई। यह हमला सांप्रदायिक तनाव को भड़काने की साजिश थी।

यह हमला पाकिस्तान सेना के प्रमुख जनरल असीम मुनीर के उस बयान के छह दिन बाद हुआ, जिसमें उन्होंने कहा था कि हिंदू और मुस्लिम दो अलग-अलग राष्ट्र हैं। इस बयान को आतंकियों के लिए वैचारिक समर्थन के रूप में देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के बयान आतंकियों को हिंसा के लिए उकसाते हैं।

Pahalgam terror attack: जवाबी कार्रवाई करता है भारत

भारत ने पहले भी आतंकी हमलों का कड़ा जवाब दिया है। 2016 में उरी हमले के बाद, जिसमें 17 सैनिक मारे गए थे, भारत ने 10 दिनों के भीतर नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार सर्जिकल स्ट्राइक की थी। यह ऑपरेशन तत्कालीन उत्तरी कमान प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा के नेतृत्व में हुआ था। उस समय हुड्डा के पास ऑपरेशन की योजना बनाने के लिए दो महीने का समय था, क्योंकि उनका कार्यकाल नवंबर 2016 तक था।

इसी तरह, 2019 में पुलवामा हमले के बाद, जिसमें 40 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए थे, भारत ने तुरंत पाकिस्तान के बालाकोट में हवाई हमला किया। यह हमला भारत की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति का प्रतीक था। इन उदाहरणों से साफ है कि भारत चुप नहीं बैठता और मौका मिलते ही जवाबी कार्रवाई करता है।

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Pahalgam terror attack: क्या होगा भारत का अगला कदम?

लेकिन इस बार हालात थोड़े अलग हैं। मौजूदा उत्तरी कमान प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिंद्रा कुमार 30 अप्रैल 2025 को रिटायर हो रहे हैं। पहलगाम हमले के बाद उनके पास जवाबी कार्रवाई के लिए सिर्फ एक हफ्ते का समय है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारत इस छोटे समय में जवाब देगा, या नए कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा के आने का इंतजार करेगा।

लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा 30 अप्रैल को उत्तरी कमान का कार्यभार संभालेंगे। वे जम्मू-कश्मीर में 80 इन्फैंट्री ब्रिगेड के ब्रिगेडियर, राजौरी में 25 इन्फैंट्री डिवीजन के मेजर जनरल और सैन्य संचालन के महानिदेशक रह चुके हैं। वे इस चुनौतीपूर्ण स्थिति को संभालने के लिए पूरी तरह तैयार दिखते हैं। लेकिन अगर जवाबी कार्रवाई 30 अप्रैल के बाद होती है, तो यह उनके नेतृत्व में होगी।

पहलगाम की भौगोलिक चुनौतियां

जहां बैसरन घाटी की प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को लुभाती है, लेकिन यही इसकी कमजोरी भी है। यह इलाका घने जंगलों और पहाड़ों से घिरा है, जिसे पूरी तरह सुरक्षित करना मुश्किल है। यह नियंत्रण रेखा के करीब है, और पीर पंजाल रेंज से जुड़ा है। आतंकी इन रास्तों, गुफाओं और सुरंगों का इस्तेमाल भारत में घुसने के लिए करते हैं। अरु घाटी और लिद्दर नदी का इलाका भी सुरक्षा बलों के लिए चुनौती है। इन जगहों पर पूरी तरह निगरानी रखना लगभग असंभव है।

सरकार और सेना की प्रतिक्रिया

हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सऊदी अरब यात्रा छोटी कर दिल्ली लौटे और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ बैठक की। उन्होंने हमले की कड़ी निंदा की और कहा, “इस जघन्य कृत्य के पीछे वाले लोग बख्शे नहीं जाएंगे।” गृह मंत्री अमित शाह श्रीनगर पहुंचे और पीड़ितों के परिवारों से मुलाकात की। उन्होंने सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए उच्च स्तरीय बैठक भी की।

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जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि आतंकियों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। सेना और पुलिस ने इलाके में तलाशी अभियान शुरू किया और दो आतंकियों को मार गिराया। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) भी जांच में शामिल हो गई है।

देश-विदेश से समर्थन

इस हमले की देश-विदेश में कड़ी निंदा हुई। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और कई अन्य नेताओं ने भारत के प्रति समर्थन जताया। भारत में विपक्षी नेता राहुल गांधी, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने भी हमले की निंदा की। उमर अब्दुल्ला ने इसे “नागरिकों पर सबसे बड़ा हमला” बताया।

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पहलगाम हमला सिर्फ एक आतंकी घटना नहीं, बल्कि भारत की एकता, धार्मिक सहिष्णुता और आर्थिक ताकत पर हमला है। यह हमला कश्मीर की शांति और पर्यटन को नुकसान पहुंचाने की साजिश है। भारत ने पहले उरी और पुलवामा जैसे हमलों का जवाब सर्जिकल स्ट्राइक और हवाई हमले से दिया था। अब सबकी नजरें इस बात पर हैं कि क्या भारत तुरंत जवाब देगा, या नए उत्तरी कमान प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा के नेतृत्व में कार्रवाई होगी।

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