📍नई दिल्ली | 3 months ago
MRFA Rafale Deal: भारत और फ्रांस के बीच 114 मल्टीरोल फाइटर एयरक्राफ्ट (MRFA) के लिए जल्द बातचीत शुरू होने की संभावना है। यह समझौता सरकार-से-सरकार (G2G) होगा। अगर यह सौदा अपने अंजाम तक पहुंचता है तो भारत में फाइटर जेट्स की लोकल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के साथ-साथ वायुसेना की जरूरतों को पूरा करने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। सूत्रों ने बताया कि इस एमआरएफए सौदे में राफेल लड़ाकू विमान शामिल होंगे। बता दें कि मोदी सरकार ने 2016 में फ्रांस से 36 विमान खरीदे थे।
MRFA Rafale Deal: फाइनल असेंबली लाइन लगाएगी दसॉ एविएशन!
सूत्रों के अनुसार, इस संभावित डील में राफेल बनाने वाली कंपनी फ्रांसीसी कंपनी दसॉ एविएशन (Dassault Aviation) की भूमिका प्रमुख होगी। कंपनी पहले ही भारत को 36 राफेल जेट की सप्लाई कर चुकी है। इस बार कंपनी ने भारत में एक फाइनल असेंबली लाइन लगाने पर सहमती जतााई है, बशर्ते उसे कम से कम 100 जेट्स का ऑर्डर मिले। कंपनी इसके लिए देश के एविएशन सेक्टर का अनुभव रखने वाली किसी प्रमुख रक्षा उद्योग कंपनी के साथ साझेदारी करेगी।
यह डील दो हिस्सों में होगी। जिसमें कुछ विमान सीधे तैयार हालत में भारत आएंगे, जबकि बाकी विमानों का निर्माण भारत में ही किया जाएगा। इस दौरान इसमें कई भारतीय कंपनियों से बड़े पैमाने पर कंपोनेंट्स और पार्ट्स की सोर्सिंग भी शामिल होगी। जिसका मतलब यह है कि भारत में रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भूमिका और भी मजबूत होने जा रही है।
26 राफेल मरीन फाइटर जेट्स की खरीद पर मुहर
बता दें कि मंगलवार 08 अप्रैल को ही प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने 26 राफेल मरीन फाइटर जेट्स के लिए अब तक की सबसे बड़ी 7 अरब यूरो (63,000 करोड़) की डील को मंजरी दी है। यह डील भारतीय नौसेना के लिए है, और उम्मीद है कि इसे फ्रांसीसी रक्षा मंत्री सेबास्टियन लेकोर्नु की भारत दौरे के दौरान अमली जामा पहनाया जाएगा। हालांकि अभी तक दौरे की तारीख तय नहीं हुई है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि इस डील पर बहुत जल्द मुहर लग सकती है। इसी दौरे के दौरान 114 फाइटर जेट्स की डील को लेकर औपचारिक बातचीत भी शुरू हो सकती है।
MRFA Rafale Deal: सिर्फ औपचारिक प्रक्रियाएं पूरी होनी बाकी
सूत्रों का कहना है कि यह डील एक सिंगल वेंडर के साथ होगी, क्योंकि हम पहले ही 36 राफेल खरीद चुके हैं और अब फ्रांस के साथ औपचारिक बातचीत शुरू करने वाले हैं। उन्होंने बताया कि दोनों देशों के बीच इस डील को लेकर कई स्तरों पर बातचीत हो चुकी है और बुनियादी समझ बन चुकी है। अब सिर्फ औपचारिक प्रक्रियाएं पूरी होनी बाकी हैं।
भारतीय वायुसेना के पास फिलहाल केवल 31 स्क्वाड्रन हैं, जबकि यह संख्या 42.5 स्क्वाड्रन होनी चाहिए। यानी जरूरत के मुकाबले लगभग 25 फीसदी जहाजों की कमी है। ऐसे में वायुसेना लगातार सरकार से आग्रह कर रही है कि उसे नई पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की तत्काल आवश्यकता है।
इस साल फरवरी 2025 में एक प्रेस वार्ता में वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने कहा था कि वायुसेना को हर साल कम से कम 35-40 लड़ाकू विमानों की जरूरत है, और तकनीकी रूप से हम पीछे होते जा रहे हैं। उन्होंने यह भी जोर दिया था कि भारत को विदेशी कंपनियों के साथ देश के प्राइवेट सेक्टर को भी आगे लाना चाहिए, ताकि घरेलू स्तर पर फाइटर जेट्स का उत्पादन किया जा सके।
MRFA Rafale Deal: गर्वनमेंट-टू-गर्वनमेंट डील ज्यादा पारदर्शी!
वहीं, इस डील का एक बड़ा फायदा यह भी है कि भारत को “फ्लाई अवे” यानी तुरंत तैयार विमानों के साथ-साथ लोकल लेवल पर मैन्युफैक्चरिंग का अनुभव मिलेगा। इससे न केवल भारतीय इंजीनियरिंग और एविएशन सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि देश की रणनीतिक आत्मनिर्भरता भी मजबूत होगी। वहीं, इस तरह की गर्वनमेंट-टू-गर्वनमेंट डील ज्यादा पारदर्शी होती है और प्रक्रिया तेज चलती है। 2016 में जब 36 राफेल विमानों की डील हुई थी, वह भी G2G मॉडल पर आधारित थी। उस समय भी भारत को तत्काल जरूरत थी और डील को तेजी से आगे बढ़ाया गया था।
MRFA Rafale Deal: नहीं होगा ओपन टेंडर!
वहीं, यह डील किसी टेंडर प्रक्रिया से होकर गुजरेगी या नहीं? इस पर सूत्रों का कहना है कि चूंकि भारत पहले ही राफेल जेट्स का इस्तेमाल कर रहा है और इसके इंफ्रास्ट्रक्चर और ट्रेनिंग सिस्टम डेवलप हो चुके हैं, इसलिए यह डील “सिंगल वेंडर” के तहत की जाएगी। यानी इसमें कोई ओपन टेंडर या दूसरी कंपनियों के शामिल होने की संभावना फिलहाल नहीं दिख रही है।
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