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📍नई दिल्ली | 5 months ago

Xploder UGV: भारतीय सेना ने अपनी ऑपरेशनल कैपेबिलिटीज और इंप्रूव करने के लिए स्वदेशी रूप से विकसित किए गए ‘Xploder’ नामक अनमैन्ड ग्राउंड व्हीकल (UGV) को शामिल करने का फैसला लिया है। इस रोबोटिक व्हीकल को भारतीय सेना के 7 इंजीनियर रेजिमेंट के मेजर राजप्रसाद ने डेवलप किया है। Xploder UGV को उत्तरी और उत्तर-पूर्वी सेक्टरों में आतंकवाद और घुसपैठ के खिलाफ ऑपरेशंस में इस्तेमाल किया जाएगा।

Xploder UGV: Indian Army New Indigenous Robot, A Nightmare for Terrorists!

Xploder UGV: भारतीय सेना के मेजर ने किया है तैयार

मेजर राजप्रसाद के बनाए इस स्वदेशी मानवरहित ग्राउंड व्हीकल को पिछले दो सालों में कड़े परीक्षणों से गुजरना पड़ा है। अब यह सेना की सभी जरूरतों को पूरा करने के बाद बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन के लिए तैयार है। एक निजी भारतीय डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग कंपनी इसे बनाएगी और आने वाले महीनों में सैकड़ों यूनिट्स भारतीय सेना की इंफैंट्री, स्पेशल फोर्सेज और इंजीनियरिंग कोर में शामिल की जाएंगी।

मेजर राजप्रसाद ने बताया, “हमने दशकों से IED की चुनौती का सामना किया है। इसे हल करने के लिए मैंने इस तकनीक पर काम करना शुरू किया। Xploder सैनिकों की जान बचाने के साथ-साथ अभियान की प्रभावशीलता को भी बढ़ाएगा।”

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‘Xploder’ को खासतौर पर आतंकवाद विरोधी अभियानों और विस्फोटक इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) को निष्क्रिय करने के लिए बनाया गया है। सालों से, आतंकवादी संगठनों के आईईडी हमलों में कई भारतीय सैनिकों ने अपनी जान गंवाई है। इस खतरे को देखते हुए, मेजर राजप्रसाद ने इस समस्या का हल खोजने का फैसला लिया और सेना की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत ‘Xploder’ को बनाया।

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इस UGV का ट्रायल राजस्थान के रेगिस्तान, जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी क्षेत्रों और पूर्वोत्तर के घने जंगलों में किया गया है। ट्रायल्स के दौरान इसकी क्षमताओं को लगातार बेहतर बनाया गया और सेना के फील्ड कर्मियों से प्राप्त सुझावों के आधार पर इसमें कई महत्वपूर्ण सुधार भी किए गए।

मेजर राजप्रसाद का कहना है, “हमने इसे एक मल्टिफंक्शनल प्लेटफॉर्म के तौर पर डेवलप किया है। यह दुश्मन के ठिकानों पर हमला करने से लेकर आपदा राहत कार्यों तक कई भूमिकाएं निभा सकता है।”

Xploder UGV: Indian Army New Indigenous Robot, A Nightmare for Terrorists!

Xploder UGV की खूबियां

500 किलोग्राम से कम वजन वाला यह रोबोटिक वाहन कई कामों को अंजाम दे सकता है, जिनमें शामिल हैं: बिना मानव हस्तक्षेप के निगरानी और टोही अभियान, विस्फोटक उपकरणों को निष्क्रिय करना, आतंकवादियों के ठिकानों पर बम गिराना, ‘कामिकाज़े मिशन’ के माध्यम से दुश्मन ठिकानों को नष्ट करना औऱ आपदा राहत कार्यों में मदद करना, जैसे भूकंप या बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचाना शामिल है।

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‘Xploder’ में उच्च-रिज़ॉल्यूशन कैमरे और अत्याधुनिक सेंसर लगे हैं, जिससे इसे रिमोट कंट्रोल से ऑपरेट किया जा सकता है और सैनिकों की जान का भी जोखिम नहीं रहता। इस व्हीकल की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसे 1 किलोमीटर से भी अधिक दूरी से कंट्रोल किया जा सकता है।

मॉर्डन वॉरफेयर में मिलेगा फायदा

भारतीय सेना लगातार खुद को मॉर्डनाइज कर रही है। चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों की बढ़ती सैन्य गतिविधियों के बीच Xploder का शामिल होना ग्राउंड ऑपरेशन में भारतीय सेना को बढ़त देगा। पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और HNLC द्वारा IED का बढ़ता उपयोग एक प्रमुख चिंता का विषय रहा है।

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विशेषज्ञों के अनुसार, Xploder की रिमोट ऑपरेशन क्षमता 1 किलोमीटर से अधिक है, जिससे सैनिक दूर से ही खतरों को खत्म कर सकते हैं। इसमें हाई-रिज़ॉल्यूशन कैमरा और रोबोटिक आर्म्स हैं, जो IED को निष्क्रिय करने या लक्षित हमलों के लिए विस्फोटक पहुंचाने में सक्षम बनाते हैं।

आतंकवाद प्रभावित इलाकों में मजबूत होगा सुरक्षा ढांचा

भारत के जम्मू-कश्मीर, मणिपुर और असम जैसे क्षेत्रों में आतंकी गतिविधियों के कारण सुरक्षा बलों को लगातार आईईडी हमलों का सामना करना पड़ता है। रिपोर्ट के अनुसार, 2020 से 2022 के बीच 50 से अधिक आईईडी विस्फोट की घटनाएं सामने आई थीं, जिनमें कई सैनिक शहीद हुए थे। ‘Xploder’ के आने से अब सैनिकों को सीधे तौर पर इन खतरों का सामना नहीं करना पड़ेगा और वे दूर से ही विस्फोटकों को निष्क्रिय कर सकेंगे। इसके अलावा, यह UGV आतंकवादियों के ठिकानों पर विस्फोटक उपकरण गिराकर पहले से ही उनके हमलों को नाकाम कर सकता है।

मेजर राजप्रसाद के अनुसार, “पहले सैनिकों को आईईडी निष्क्रिय करने के लिए खुद मौके पर जाना पड़ता था, जिससे उनकी जान को खतरा होता था। अब ‘Xploder’ इस काम को पूरी सुरक्षा के साथ कर सकता है। परीक्षणों में यह पाया गया कि यह कठिन से कठिन इलाकों में भी काम कर सकता है।” यह रोबोटिक व्हीकल न केवल नियंत्रण रेखा (LoC) और भारत-म्यांमार सीमा पर निगरानी करने में मदद करेगा, बल्कि घने जंगलों में छिपे आतंकवादियों के खिलाफ भी प्रभावी साबित होगा।

Xploder UGV: Indian Army New Indigenous Robot, A Nightmare for Terrorists!

जल्द सेना में होगी तैनाती

Xploder उन तीन नई तकनीकों में से एक है, जिन्हें सेना ने अगले छह महीनों में शामिल करने की मंजूरी दी है। अन्य दो तकनीकों में “विद्युत रक्षक” नामक IoT-सक्षम जनरेटर मॉनिटरिंग सिस्टम और “अग्निअस्त्र” नामक मल्टी टारगेट रिमोट डिटोनेशन डिवाइस शामिल हैं। अगस्त 2024 में उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एनएस राजसुब्रमणि की मौजूदगी में इन दोनों तकनीकों के बड़े पैमाने पर उत्पादन का रास्ता साफ किया गया था।

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इसके अलावा, मेजर राजप्रसाद की पहले से ही विकसित “WEDC” (वायरलेस इलेक्ट्रॉनिक डेटोनेशन सिस्टम) 2023 से भारतीय सेना में सेवा दे रही है।

भारतीय सेना की इस नई तकनीक का मुकाबला करने के लिए पाकिस्तान और चीन अपनी अलग रणनीतियों पर काम कर रहे हैं। पाकिस्तान हाल ही में तुर्की के बायराकतार TB2 और विंग लूंग II जैसे हवाई ड्रोन पर फोकस कर रहा है। दूसरी ओर, चीन ने भारत-चीन सीमा पर टाइप 15 हल्के टैंक तैनात किए हैं। लेकिन ‘Xploder’ इन खतरों के खिलाफ भारतीय सेना को जमीनी स्तर पर एक बड़ा सामरिक लाभ प्रदान करेगा।

आपदा प्रबंधन में भी करेगा मदद

Xploder केवल सैन्य अभियानों के लिए ही नहीं बल्कि आपदा प्रबंधन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह बाढ़ और भूकंप प्रभावित इलाकों में मलबे के बीच से गुजरकर राहत सामग्री पहुंचाने और क्षति का आकलन करने में सक्षम होगा। बाढ़ और भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में यह रोबोट रेस्क्यू ऑपरेशन को अधिक प्रभावी बना सकता है। सोशल मीडिया पर भी इसे लेकर जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है और एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर कई उपयोगकर्ताओं ने इसे भारतीय सेना के लिए गेम-चेंजर बताया है।

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