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📍नई दिल्ली | 8 months ago

Water Supply Shortage: भारतीय सेना न केवल देश की सरहदों की रक्षा करती है, वहीं जरूरत पड़ने पर राहत कार्यों को भी अंजाम देती है। चाहे बाढ़ हो या चक्रवात, हर प्राकृतिक आपदा में वह देशवासियों के साथ खड़ी होती है। तो वहीं जिन इलाकों में पानी की कमी होती है, वहां पानी की सप्लाई भी सुनिश्चित करती है। लेकिन यही भारतीय सेना वाटर सप्लाई की गंभीर समस्या से भी जूझ रही है।

Water Supply Shortage: CAG Flags Severe Issues in Indian Army Installations

हाल ही में भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने एक ऑडिट रिपोर्ट जारी की, जिसमें रक्षा प्रतिष्ठानों में पानी की आपूर्ति को लेकर गंभीर खामियां सामने आई हैं। 2018-19 से 2020-21 के बीच की इस रिपोर्ट में गारिसन इंजीनियर्स (GEs) द्वारा प्रबंधित सैन्य प्रतिष्ठानों में पानी की कमी पर प्रकाश डाला गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस समस्या का दुष्प्रभाव न केवल सैनिकों पर पड़ सकता है, बल्कि सैन्य तैयारियों और ऑपरेशनल क्षमताओं पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है।

CAG की रिपोर्ट के मुताबिक, जिन 20 गारिसन इंजीनियरों (GEs) का ऑडिट किया गया, उनमें से 15 ने सैन्य स्टेशनों को स्वीकृत मात्रा से कम पानी उपलब्ध कराया। यह कमी 10.13% से लेकर 62.97% तक थी, जो कि चिंताजनक है। यह कमी न केवल सैनिकों के स्वास्थ्य और स्वच्छता को प्रभावित करती है, बल्कि उनकी ऑपरेशनल तैयारियों और मनोबल पर भी असर डाल सकती है।

पानी की कमी का असर डिफेंस एस्टेब्लिशमेंट में बुनियादी जरूरतों से लेकर ऑपरेशनल कार्यों तक हर स्तर पर देखा जा सकता है। पानी का अभाव न केवल दैनिक जीवन को प्रभावित करता है, बल्कि फायर सप्रेशन और सैनिटेशन जैसी आवश्यकताओं पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है।

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रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि बाहरी जल आपूर्ति एजेंसियों के साथ किए गए समझौते अपने उद्देश्य को पूरा करने में असफल रहे। इन समझौतों का मकसद डिफेंस एस्टेब्लिशमेंट पर पानी की सप्लाई को बढ़ाना था, लेकिन 13 में से 12 गारिसन इंजीनियर यह सुनिश्चित नहीं कर पाए कि अनुबंधित मात्रा में पानी मिले। यह विफलता अनुबंध प्रबंधन, गुणवत्ता आश्वासन और बाहरी जल स्रोतों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाती है।

रिपोर्ट में कहा गया कि पानी केवल एक बुनियादी जरूरत नहीं है बल्कि सैन्य क्षेत्रों में एक रणनीतिक संसाधन है। यह न केवल सैनिकों की व्यक्तिगत जरूरतों के लिए जरूरी है, बल्कि ऑपरेशनल गतिविधियों जैसे आग बुझाने और स्वच्छता के लिए भी अहम है। वहीं, पानी की कमी सैनिकों के स्वास्थ्य और मनोबल को प्रभावित कर सकती है, जिससे उनकी युद्ध क्षमता और राष्ट्रीय रक्षा की तैयारी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

Water Supply Shortage: पानी के नुकसान का वित्तीय असर

रिपोर्ट में पानी के रिसाव से होने वाले वित्तीय नुकसान पर भी प्रकाश डाला गया है। तीन वर्षों की अवधि में पानी के रिसाव से लगभग 11.53 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। यह केवल आर्थिक नुकसान नहीं है, बल्कि इस पानी का उपयोग अन्य आवश्यक जरूरतों के लिए किया जा सकता था।

रिपोर्ट में उजागर प्रमुख खामियां

  • पानी की अधिकृत आपूर्ति और वास्तविक आपूर्ति के बीच बड़े अंतर।
  • बाहरी जल आपूर्ति एजेंसियों के साथ किए गए अनुबंध अपेक्षित परिणाम देने में असफल रहे।
  • साथ ही, बुनियादी ढांचे की खामियों के कारण पानी का भारी रिसाव।

सुधार की सिफारिशें

सीएजी ने इस समस्या को दूर करने के लिए कई सिफारिशें दी हैं। जिनमें जल आपूर्ति समझौतों की बेहतर निगरानी, रिसाव रोकने के लिए बुनियादी ढांचे में निवेश, और वर्षा जल संचयन तथा रीसाइक्लिंग जैसी टिकाऊ जल समाधानों की खोज शामिल है। CAG ने सुझाव दिया है कि रक्षा स्थलों में जल प्रबंधन को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। जल संकट को हल करने के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग और दीर्घकालिक योजना बनाना जरूरी है। साथ ही, जल रिसाव को रोकने के लिए नई पाइपलाइन और कुशल जल वितरण प्रणाली लागू करनी चाहिए।

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रक्षा मंत्रालय की प्रतिक्रिया का इंतजार

सीएजी की इस रिपोर्ट पर रक्षा मंत्रालय की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, उम्मीद की जा रही है कि मंत्रालय इस दिशा में ठोस कदम उठाएगा।

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