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📍नई दिल्ली | 7 months ago

China Military Exercises: भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को सुलझाने के प्रयासों के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने 18 दिसंबर 2024 को बीजिंग का दौरा किया था। यह पांच वर्षों में दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों के बीच पहली औपचारिक बातचीत थी, जिससे द्विपक्षीय संबंधों में सुधार की उम्मीद जगी। लेकिन इसी बीच एक चौंकाने वाली खबर भी सामने आई कि वार्ता के बावजूद चीन ने लद्दाख से सटे शिनजियांग में चीनी सेना ने सैन्य अभ्यास किया। इस अभ्यास में चीनी सेना की रॉकेट आर्टिलरी रेजिमेंट ने पूर्वी लद्दाख के पास लाइव-फायर अभ्यास किया।

China Military Exercises: Despite Talks, Beijing Signals Strength with Ongoing Drills in Ladakh

China Military Exercises: लद्दाख में सैन्य अभ्यास जारी

डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच वार्ता के अगले ही दिन चीन के सरकारी समाचार पत्र पीएलए डेली ने शिंजियांग में रॉकेट आर्टिलरी रेजिमेंट के लाइव-फायर अभ्यास की खबर प्रकाशित की। यह अभ्यास पूर्वी लद्दाख के पास किया गया था।

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पीएलए डेली के मुताबिक, इस अभ्यास में सैनिकों ने वास्तविक युद्ध परिस्थितियों के माहौल में सूचनाओं का आदान-प्रदान, खुफिया जानकारी, कमांड और नियंत्रण जैसी ड्रिल्स कीं। खास बात यह रही कि इस दौरान 122 मिमी के पीएचएल-11 मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम का उपयोग किया गय। PHL-11 चीनी ट्रक-माउंटेड रॉकेट सिस्टम है, जिसमें 40 लॉन्च ट्यूब हैं। यह 30 सेकंड में 40 रॉकेट दागने की क्षमता रखता है और 50 किलोमीटर तक मार कर सकता है।

China Military Exercises: Despite Talks, Beijing Signals Strength with Ongoing Drills in Ladakh

पीएचएल-11 की खूबियां

  • पीएचएल-11 में 40 लॉन्च ट्यूब होते हैं, जिनमें से प्रत्येक 20 रॉकेट फायर कर सकता है। यह 30 सेकंड में 40 रॉकेट दाग सकता है।
  • मानक 122 मिमी रॉकेट की सीमा 20 से 40 किलोमीटर है। गोला-बारूद के साथ यह 50 किलोमीटर तक मार कर सकता है।
  • इसे 6×6 शानक्सी SX2190KA ट्रक चेसिस पर लगाया गया है, जो मुश्किल इलाकों में भी आसानी से चल सकता है। PHL-11 को 206 kW के वेचाई WD615-77A डीजल इंजन से पावर मिलती है, यह 80 किमी/घंटा की अधिकतम रफ्तार पकड़ सकता है।
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China Military Exercises: बातचीत के बावजूद चीनी इरादे साफ

ताइवान प्लस न्यूज में रिपोर्टर और चीनी सेना की गतिविधियों पर बारीकी से निगाह रखने वाले आदिल बरार कहते हैं,

“पीएलए डेली और शिन्हुआ में इस अभ्यास की खबर प्रकाशित करना चीन की ओर से भारत को स्पष्ट संकेत है कि वह लद्दाख में अपनी गतिविधियां जारी रखेगा। यह दिखाता है कि बातचीत के बावजूद, चीन की मंशा अपनी सैन्य शक्ति का प्रदर्शन और दावे को मजबूत करना है। वह कहते हैं कि यह स्पष्ट है कि चीन का इरादा तनाव कम करने के बजाय अपने क्षेत्रीय दावों को मजबूत करना है।”

वह आगे कहते हैं कि बीजिंग नई दिल्ली पर दबाव बनाए रखना चाहता है क्योंकि उसका मानना है कि इस समय भारत के पास सीमित विकल्प हैं। बदलते भू-राजनीतिक माहौल ने नई दिल्ली को बातचीत के लिए मजबूर किया है, लेकिन बीजिंग इस मौके का फायदा अपने दावों को मजबूत करने के लिए करेगा।

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वह कहते हैं कि भले ही चीन ने अपनी सेनाओं डिसएंगेजमेंट पॉइंट से पीछे अपनी सेना को तैनात कर दिया है, लेकिन क्षेत्रीय दावों को मजबूत करने की वह लगातार कोशिशें कर रहा है। हाल ही में चीन ने पिछले आठ वर्षों में भूटान के क्षेत्र में 22 नए गांव और बस्तियां बनाई हैं। यह निर्माण चीन की रणनीति का हिस्सा है, जिससे वह क्षेत्रीय दावों को मजबूती दे रहा है।

2014-16 के दौरान बीजिंग में भारत के राजदूत रहे और इंस्टीट्यूट ऑफ चाइनीज स्टडीज के मानद फेलो अशोक कंठा के अनुसार, भूटान की सीमा के भीतर चीन का गांव बनाना यह 1998 में भूटान और चीन के बीच हुए शांति समझौते का उल्लंघन है। उन्होंने चीन के इन कदमों को “जबरदस्ती की कूटनीति” करार दिया गया है।

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सीमा सुरक्षा पर शी जिनपिंग का फोकस

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने हाल ही में हुई एक बैठक में सीमावर्ती क्षेत्रों की सुरक्षा और विकास को प्राथमिकता देने की बात कही। यह दर्शाता है कि चीन अपने सीमावर्ती क्षेत्रों को अपनी राजनीतिक और सामरिक योजनाओं में शामिल करने की कोशिश कर रहा है। 9 दिसंबर को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) की केंद्रीय समिति ने सीमा प्रबंधन और सुरक्षा पर एक विशेष सत्र आयोजित किया। इस सत्र में शी जिनपिंग ने सीमा क्षेत्रों के विकास और सुरक्षा को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया। शी के बयान से स्पष्ट है कि चीन न केवल सीमा पर बुनियादी ढांचे को मजबूत करेगा, बल्कि अपनी कूटनीतिक स्थिति को भी सुदृढ़ करेगा।

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शी जिनपिंग के पोलितब्यूरो स्टडी सेशन में दिए गए बयान से यह संकेत मिलता है कि नई दिल्ली के साथ बातचीत के बावजूद चीन गांवों के निर्माण को जारी रखेगा। बैठक के दौरान, चाइनीज एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज के सदस्य और चाइनीज एकेडमी ऑफ हिस्ट्री के उपाध्यक्ष कॉमरेड ली गुओकिआंग ने एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। ली की रिपोर्ट और शी के बयान यह दर्शाते हैं कि चीन अपनी दावेदारी को मजबूत करने के लिए सीमा क्षेत्रों के इतिहास को फिर से लिखने के प्रयासों को तेज करेगा।

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चीन की रणनीति और भारत पर प्रभाव

आदिल के मुताबिक चीन की रणनीति स्पष्ट रूप से भारत पर दबाव बनाए रखने की है। वह बातचीत की मेज पर रहते हुए अपने दावों को जमीन पर मजबूत कर रहा है। वहीं, भारत के लिए चिंता का विषय यह है कि इन वार्ताओं के दौरान चीन का रुख लद्दाख के तनाव को एक व्यापक “पैकेज डील” का हिस्सा बनाकर पीछे धकेलने का है।

हालांकि, भारत ने वार्ता के दौरान 2005 के सीमा प्रबंधन समझौते का जिक्र किया, लेकिन चीन की इस पर जोर देने की कोशिश से भारत ने दूरी बनाए रखी। एनएसए अजीत डोभाल की चीन यात्रा के दौरान, दोनों देशों ने 2005 के सीमा प्रबंधन समझौते का जिक्र किया। हालांकि, भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस समझौते को लेकर चीन के रुख से दूरी बनाते हुए कहा कि दोनों पक्ष एक निष्पक्ष और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान की दिशा में काम करेंगे।

चीन की ‘पैकेज डील’ रणनीति

चीन का उद्देश्य आर्थिक संबंधों को फिर से स्थापित करना है। वह भारत को कैलाश मानसरोवर यात्रा और व्यापारिक संबंधों में बहाली की राहत देकर अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन जमीनी हकीकत में चीन की गतिविधियों में कोई बदलाव नहीं दिख रहा है। लद्दाख में चीन के सैन्य अभ्यास और गांवों के निर्माण के साथ-साथ उसकी बयानबाजी यह संकेत देती है कि वह अपने दावों को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। जो दिखाता है कि बीजिंग मौजूदा तनाव को हल करने के बजाय, इसे दीर्घकालिक रणनीति के हिस्से के रूप में देखता है।

फिंगर-4 के आगे जारी है निर्माण कार्य

पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग झील के इलाके में चीन की तरफ निर्माण गतिविधियों के जारी रहने की नई सैटेलाइट तस्वीरें सामने आई हैं। चीन ने 21 अक्तूबर को हुए डिसइंगेजमेंट और कई दौर की वार्ताओं के बावजूद बफर ज़ोन से आगे के इलाकों में बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य शुरू कर दिया है। इन तस्वीरों से पता चलता है कि फिंगर-4 (फॉक्सहोल पॉइंट) से आगे के क्षेत्रों में, जो अब एक बफर ज़ोन के अंतर्गत आते हैं, चीन ने बड़ी निर्माण गतिविधियां शुरू कर दी हैं। इसमें सिरिजाप और रिमुचांग जैसे क्षेत्रों में पेट्रोल बोट बेस का विस्तार करते हुए देखा गया है।

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14 दिसंबर 2024 को ली गई सैटेलाइट तस्वीरों से यह पता चलता है कि चीन सिरिजाप और रिमुचांग पेट्रोल बोट बेस के पास नए निर्माण कार्य कर रहा है। सिरिजाप क्षेत्र में कई नई इमारतें निर्माणाधीन हैं और झील के किनारे पर नए निर्माण की संभावना दिखाई दे रही है। रिमुचांग बेस पर भी नए निर्माण कार्य की तस्वीर साफ तौर पर दिखाई दे रही है।

इसके अलावा, खुरनाक फोर्ट के पास एक पुराने निर्माण स्थल को बड़े हेलीपैड में बदलने की पुष्टि हुई है। पैंगोंग ब्रिज, जो झील के उत्तर और दक्षिण किनारों को जोड़ता है, के पास भी चीन की गतिविधियां बढ़ती हुई दिखाई दे रही हैं।

देपसांग बुल्ज़ में चीनी सेना ने बनाईं नई पोस्ट

12 दिसंबर, 2024 की हालिया सैटेलाइट इमेजरी से यह संकेत मिलता है कि चीन ने 21 अक्टूबर 2024 में अपने तीन पोस्ट्स को हटाकर देपसांग बुल्ज़ में नए स्थानों पर तैनाती की है। चीनी सेना करीब 20 किमी पीछे हटी है। देपसांग के वाई-जंक्शन 1 और 2 पर मौजूद चीनी सेना ने अपनी आउट पोस्टों को हटा लिया है और चीनी सेना पीछे हट गई है। इनमें से दो पोस्टों को चीनी सेना ने अक्टूबर 2024 में भारत-चीन डिसइंगेजमेंट समझौते के बाद हटा दिया था। जिसके चलते भारतीय सेना पीपी-10 से पीपी-12 तक अपनी पेट्रोलिंग नहीं कर पा रही थी। हालांकि चीन ने जो तीसरी पोस्ट बनाई है वह पीपी-13 से कुछ दूर बनाई है। वहीं, चीन ने जो नया इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया है वह अस्थाई है औऱ प्री-फैब यूनिट्स से बनाया है।

नवंबर में जो सैटेलाइट इमेज सामने आईं थीं, उनके अनुसार, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने अपनी कुछ अस्थायी चौकियों और इंफ्रास्ट्रक्चर को राकी नाला, वाई-जंक्शन 1 और वाई-जंक्शन 2 के पास से हटाया था। उसने राकी नाला के स्रोत के पास और बुर्त्सा नाला के ऊपरी हिस्से में दो नई अस्थायी चौकियां बनाई थीं। इन नई पोस्ट्स को ऑपरेशनल ट्रैक्स से जोड़ा गया है, जिससे चीनी सेना की मोबिलिटी बनी रहे। हालांकि यह नई स्थिति भारतीय सेना के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है क्योंकि यह इन इलाकों के पारंपरिक पेट्रोलिंग रूट्स को प्रभावित कर सकती है।

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