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📍नई दिल्ली | 7 months ago

SIPRI: स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में वैश्विक हथियार बिक्री 52 लाख करोड़ रुपये (632 बिलियन डॉलर) तक पहुंच गई। यह आंकड़ा 2022 की तुलना में 4.2 फीसदी की वृद्धि को दर्शाता है। इस बढ़ोतरी का कारण दुनिया भर में बढ़ते युद्ध, क्षेत्रीय संघर्ष और भू-राजनीतिक तनाव हैं।

SIPRI Report: Global Arms Sales Reach Rs 52 Lakh Crore in 2023, Rise by 4.2%

SIPRI: वैश्विक संघर्ष और हथियारों की मांग

रूस-यूक्रेन युद्ध ने यूरोप और उत्तरी अमेरिका में हथियार उत्पादन में भारी वृद्धि की है। इन क्षेत्रों की कंपनियां अपनी उत्पादन क्षमता को बढ़ा रही हैं ताकि रक्षा जरूरतों को पूरा किया जा सके।

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इसी तरह, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भी तनाव बढ़ रहा है। शक्ति संतुलन और समुद्री विवादों के कारण एशियाई देशों ने अपने रक्षा आधुनिकीकरण को तेज कर दिया है। वहीं, मध्य पूर्व में अस्थिरता के चलते सैन्य खर्च लगातार बढ़ रहा है।

2022 और 2023 के बीच आंकड़ों में बड़ा बदलाव

SIPRI की रिपोर्ट में बताया गया कि 2023 में 73 कंपनियों ने अपनी आय में वृद्धि दर्ज की, जबकि 26 कंपनियों ने गिरावट की सूचना दी। इसके विपरीत, 2022 में 47 कंपनियों की आय बढ़ी थी और 53 कंपनियों की आय में गिरावट आई थी।

यह बदलाव दिखाता है कि वैश्विक रक्षा उद्योग ने सुरक्षा चिंताओं, बढ़ते रक्षा बजट और हथियारों की आपूर्ति की आपात जरूरत का लाभ उठाया है।

भारतीय रक्षा क्षेत्र: एक उभरती वैश्विक शक्ति

भारतीय रक्षा कंपनियों ने वैश्विक टॉप 100 में अपनी स्थिति मजबूत की है। यह भारत की आत्मनिर्भरता और रक्षा निर्यात के प्रति बढ़ती रणनीतिक प्राथमिकता को दर्शाता है।

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हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL), भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL), और मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) जैसी कंपनियां सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत अपनी रक्षा उत्पादन क्षमताओं को बढ़ा रही हैं।

रक्षा निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि

2023-24 में भारत का रक्षा निर्यात ₹21,083 करोड़ के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। यह पिछले वित्तीय वर्ष के ₹15,920 करोड़ से 32.5% अधिक है। सरकारी और निजी क्षेत्र के बीच सहयोग, स्वदेशी नवाचार, और भारतीय निर्मित उत्पादों जैसे लड़ाकू विमानों, ड्रोन और रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स की वैश्विक मांग ने इस वृद्धि को संभव बनाया है।

स्वदेशी रक्षा उत्पादों का बढ़ता दबदबा

भारतीय निर्मित तेजस फाइटर जेट्स, ड्रोन्स, और अन्य रक्षा प्रणालियां अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी पहचान बना रही हैं। ये उत्पाद न केवल आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को मजबूत कर रहे हैं, बल्कि भारत को वैश्विक हथियार बाजार में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बना रहे हैं।

जहां एक ओर हथियारों का उत्पादन और बिक्री आर्थिक दृष्टि से लाभकारी है, वहीं यह बढ़ते सैन्यीकरण और संघर्षों की चिंता को भी उजागर करता है। बढ़ते सैन्य खर्च देशों की सुरक्षा को मजबूत कर रहे हैं, लेकिन यह भू-राजनीतिक तनाव को और बढ़ाने का जोखिम भी पैदा कर रहे हैं।

दुनिया के लिए जटिल सुरक्षा स्थिति

वैश्विक हथियार बिक्री में 4.2% की वृद्धि यह दिखाती है कि दुनिया एक जटिल सुरक्षा माहौल का सामना कर रही है। भारत के लिए यह समय रक्षा क्षेत्र में अपनी स्थिति को मजबूत करने और वैश्विक बाजार में पहचान बनाने का महत्वपूर्ण अवसर है।

भारतीय रक्षा कंपनियां अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपने उत्पादों के लिए मजबूत स्थान बना रही हैं। सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान और बढ़ते रक्षा बजट के साथ, भारत वैश्विक स्तर पर अपनी भूमिका को और प्रभावशाली बना सकता है।

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