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📍नई दिल्ली | 8 months ago

General’s Jottings: भारतीय सेना के पश्चिमी कमान के पूर्व प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) के जे सिंह का कहहना है कि भारत के आर्थिक केंद्र, जैसे चेन्नई, बेंगलुरु और हैदराबाद, न केवल विकास के प्रतीक हैं बल्कि हमारी सुरक्षा रणनीति के अहम हिस्से होने चाहिए। हाल ही में दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में देश के आर्थिक और सुरक्षा संतुलन पर उन्होंने अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि भारत के दक्षिणी हिस्से में मौजूद आर्थिक केंद्र अब वैश्विक व्यापार और निवेश का केंद्र बन चुके हैं। इन शहरों की बढ़ती आर्थिक महत्ता को देखते हुए, इनके लिए एक विशेष सुरक्षा ढांचा तैयार करना बेहद ज़रूरी है।

General’s Jottings: Why Are Chennai, Bengaluru, and Hyderabad at Risk? Former Western Command Chief Lt. Gen. KJ Singh Raises Concerns Over Their Security

लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) के जे सिंह ने कहा कि चेन्नई, बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे शहर सिर्फ आर्थिक हब ही नहीं हैं, बल्कि हमारी सुरक्षा प्राथमिकताओं का केंद्र भी बनने चाहिए। जनरल सिंह ने कहा, “पारंपरिक रूप से हमारी सेना पश्चिमी और पूर्वी सीमाओं पर खतरों के लिए तैयार रही हैं। लेकिन अब वक्त आ गया है कि इन आर्थिक केंद्रों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाए।”

समुद्री व्यापार और अंतरराष्ट्रीय निवेश का प्रमुख केंद्र

उन्होंने कहा कि चेन्नई, बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे शहर न केवल भारत की आर्थिक रीढ़ बन चुके हैं, बल्कि साइबर सुरक्षा, बुनियादी ढांचे की सुरक्षा, और आतंकी खतरों के मद्देनज़र इनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण हो गया है। सिंह ने बताया कि यह क्षेत्र समुद्री व्यापार और अंतरराष्ट्रीय निवेश का प्रमुख केंद्र है।

उन्होंने सुझाव दिया कि इन क्षेत्रों में सुरक्षा के लिए “विशिष्ट रणनीतिक योजना और स्थायी सुरक्षा व्यवस्था” होनी चाहिए। उनके अनुसार, “आर्थिक सुरक्षा अब सिर्फ अर्थव्यवस्था का विषय नहीं है, बल्कि यह रणनीतिक मामलों का अहम हिस्सा बन चुकी है।”

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थिंक टैंक की जरूरत

जनरल सिंह ने भारतीय सशस्त्र बलों में थिंक टैंक की स्थापना पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि देश को सुरक्षा के मुद्दों पर एक पेशेवर दृष्टिकोण अपनाने की ज़रूरत है। उन्होंने आगाह किया कि थिंक टैंक की स्थापना में दोहराव और संसाधनों की बर्बादी से बचना चाहिए।

सिंह ने सेना के कमांड स्तर पर थिंक टैंकों की ज़रूरत को स्पष्ट करते हुए कहा, “हमें न केवल मौजूदा मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए, बल्कि भविष्य के खतरों के लिए भी रणनीति बनानी चाहिए।”

सीमाओं पर नई चुनौतियां और समाधान

सिक्किम कॉर्प्स के पूर्व प्रमुख के रूप में जनरल सिंह ने कहा कि पूर्वी सीमा पर नई चुनौतियां उभर रही हैं। उन्होंने सशस्त्र बलों के पुनर्गठन और केंद्रीय सशस्त्र बलों को सशक्त बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।

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‘General’s Jottings’: आर्मी चीफ को की भेंट

इस कार्यक्रम में जनरल सिंह ने अपनी पुस्तक ‘जनरल्स जॉटिंग्स: नेशनल सिक्योरिटी, कॉन्फ्लिक्ट्स एंड स्ट्रेटेजीज’ भी प्रस्तुत की। उन्होंने सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी को यह पुस्तक भेंट की।

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पुस्तक में उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य का भी विश्लेषण किया है। उन्होंने लिखा, “यूक्रेन के सैनिकों में थकान और पश्चिमी सहयोगियों की निष्क्रियता ने संघर्ष को और मुश्किल बना दिया है।”

जनरल सिंह ने बताया कि “रूस-यूक्रेन युद्ध तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुका है, और इसमें निर्णायक परिणाम की संभावना कम होती दिख रही है।”

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कैसे होंगी भविष्य की लड़ाईयां

सिंह ने भविष्य में संभावित वैश्विक संघर्षों पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि दुनिया अब ‘कॉरिडोर के संघर्ष’ की ओर बढ़ रही है। चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) और भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर (आईएमईसी) के बीच प्रतिस्पर्धा इसे और बढ़ा सकती है।

उन्होंने कहा, “भू-अर्थशास्त्र का उपयोग अब प्रतिबंधों के माध्यम से किया जा रहा है, विशेष रूप से ऊर्जा सुरक्षा के क्षेत्र में। बीआरआई और आईएमईसी के बीच यह संघर्ष भविष्य की रणनीतिक दिशा तय करेगा।”

जनरल सिंह का कहना है कि भारत को अपनी सुरक्षा रणनीतियों को न केवल पारंपरिक दृष्टिकोण से बल्कि आधुनिक और व्यापक दृष्टिकोण से विकसित करना होगा। “आर्थिक सुरक्षा के बिना भारत का विकास अधूरा है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे आर्थिक हब वैश्विक खतरों से सुरक्षित रहें,” उन्होंने कहा।

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