📍नई दिल्ली | 8 months ago
Nagrota Under Siege: 2016 में जम्मू-कश्मीर के नगरोटा कैंटोनमेंट पर हुए आतंकी हमले की कहानी को अब किताब “नगरोटा अंडर सीज” के रूप में दुनिया के सामने लाया गया है। इस किताब का विमोचन आज दिल्ली कैंट स्थित सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज (CLAWS) में हुआ। इस मौके पर उप सेना प्रमुख (रणनीति) लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा ने किताब का लोकार्पण किया। कार्यक्रम में कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारी और पूर्व सैनिक भी मौजूद रहे।
Nagrota Under Siege: क्या है किताब में खास?
बेस्टसेलिंग लेखिका भावना अरोड़ा की पुस्तक “नगरोटा अंडर सीज” 2016 में हुए उस कुख्यात आतंकी हमले की कहानी को सामने लाती है। इस हमले को पाकिस्तान द्वारा प्रशिक्षित और समर्थित आतंकवादियों ने अंजाम दिया था। किताब में गहन रिसर्च के साथ-साथ सैन्य और सरकारी सूत्रों के दृष्टिकोण को शामिल किया गया है, जिससे यह कहानी और अधिक प्रामाणिक और सजीव बनती है।
इस किताब में उन वीर सैनिकों की बहादुरी को बखूबी से दर्शाया गया है जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना आतंकियों के मंसूबों को नाकाम कर दिया। यह उन परिवारों की हिम्मत और संघर्ष की भी कहानी है, जिन्होंने इस हमले के दौरान अपना सब कुछ खो दिया, लेकिन हिम्मत नहीं हारी।
हमले की पृष्ठभूमि
29 नवंबर 2016 को, जम्मू-कश्मीर के नगरोटा में भारतीय सेना के मुख्यालय पर आतंकियों ने घातक हमला किया। इस दौरान उन्होंने कैंटोनमेंट एरिया में भारी तबाही मचाने की कोशिश की। लेकिन भारतीय सेना के जवानों ने अपनी सूझबूझ और बहादुरी से आतंकियों का खात्मा कर दिया। हालांकि, इस हमले में भारत ने अपने कई बहादुर जवानों को खो दिया। किताब में बताया है कि उस मनहूस सुबह तीन फिदायीन आतंकवादी, स्थानीय लोगों की मदद से, भारी सुरक्षा वाले सैन्य क्षेत्र में घुसपैठ कर गए। वे हथियार, गोला-बारूद और भोजन से लैस थे, जो उन्हें एक सप्ताह तक टिकाए रख सकता था। उनकी योजना छावनी में बंधक जैसे हालात बनाने की थी। लेकिन भारतीय सेना ने अपने प्रशिक्षण और कौशल का उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए आतंकियों के मंसूबों को नाकाम कर दिया।
किताब “नगरोटा अंडर सीज” इस घटना के हर पहलू को सामने लाती है—हमले की योजना, सैनिकों का साहसिक प्रतिरोध, और उन जिंदगियों की कहानी जो इस हमले से हमेशा के लिए बदल गईं।
वीरों की गाथा
किताब में उन जवानों के किस्से भी शामिल हैं, जिन्होंने अपनी जान की बाजी लगाकर न केवल आतंकियों को हराया, बल्कि कई निर्दोष लोगों की जान भी बचाई। इन जवानों की बहादुरी का वर्णन पढ़कर हर भारतीय के दिल में गर्व और कृतज्ञता का भाव जाग उठेगा।
किताब में उन परिवारों की कहानियां भी हैं, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोने के बावजूद हार नहीं मानी। उनकी हिम्मत और संघर्ष देशभर के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
किताब के विमोचन के मौके पर लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा ने कहा, “यह किताब केवल एक घटना का विवरण नहीं है, बल्कि यह हमारे सैनिकों की अदम्य साहस और प्रतिबद्धता की कहानी है। नग्रोता हमला भारतीय सेना की ताकत और संकल्प को दर्शाने वाला एक उदाहरण है।”
कार्यक्रम में उपस्थित अन्य अधिकारियों और पूर्व सैनिकों ने भी इस किताब को एक महत्वपूर्ण दस्तावेज बताया।
मीडिया से बातचीत के दौरान भावना अरोड़ा ने कहा, “‘नगरोटा अंडर सीज’ उन बहादुरों की कहानी है, जिन्होंने ऑपरेशन के दौरान अदम्य साहस दिखाया। इस पुस्तक में सुरक्षा बलों द्वारा 29 नवंबर, 2016 को नगरोटा छावनी में आतंकियों के खिलाफ चलाए गए कठिन ऑपरेशन का सजीव विवरण दिया गया है।”
उन्होंने आगे कहा, “हर दिन एक नई सुबह की शुरुआत होती है, लेकिन उस दिन नगरोटा के लिए सुबह किसी डरावने सपने से कम नहीं थी। 29 नवंबर की सुबह, भारी गोलीबारी और ग्रेनेड विस्फोट की आवाजों ने छावनी में हर किसी को झकझोर दिया।”
वहीं, “नगरोटा अंडर सीज” केवल एक कहानी नहीं है; यह भविष्य के लिए एक सबक भी है। यह हमें आतंकवाद से निपटने की रणनीति और हमारे सुरक्षा बलों के बलिदान की याद दिलाती है। किताब यह भी दिखाती है कि कैसे आतंकवाद को हराने के लिए हमारे सैनिक हर पल तैयार रहते हैं।
“नगरोटा अंडर सीज” उन लोगों के लिए है जो देश की सुरक्षा और इसके लिए किए गए बलिदानों को जानना और पढ़ना चाहते हैं। यह किताब हर भारतीय के दिल में गर्व और देशभक्ति की भावना को जागृत करती है।