📍नई दिल्ली | 8 months ago
Indian Army: सेना का साहस और समर्पण हर परिस्थिति में अपने चरम पर रहता है। चाहे विपरीत मौसम हो या ऊंचाई पर काम करने की कठिन चुनौती, भारतीय सेना के जांबाज गनर्स हमेशा तत्पर रहते हैं। इसी जज्बे का परिचय देते हुए “फॉरएवर इन ऑपरेशन्स डिवीजन” के गनर्स इन दिनों 15,000 फीट की ऊंचाई पर माइनस तापमान में कठिन ट्रेनिंग कर रहे हैं। बता दें कि भारतीय सेना की ये डिविजन द्रास-करगिल इलाके में तैनात है।
Indian Army: कड़ाके की ठंड में अदम्य साहस
इस ट्रेनिंग का उद्देश्य गनर्स को किसी भी चुनौतीपूर्ण हालात में ऑपरेशन के लिए तैयार करना है। जब तापमान शून्य से नीचे चला जाता है और ठंडी हवाएं शरीर को सुन्न कर देती हैं, तो ये गनर्स अपने हौसले और कर्तव्यनिष्ठा से हर चुनौती को पार कर जाते हैं। माइनस तापमान में ट्रेनिंग करना न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक शक्ति की भी परीक्षा होती है।
“टॉप गन” गनर्स का जज्बा
15,000 फीट की ऊंचाई पर होने वाली इस ट्रेनिंग में गनर्स को अपने हथियारों को ऑपरेशनल बनाए रखने, सामरिक तकनीकों को सीखने और विपरीत मौसम में खुद को टिकाए रखने की कला सिखाई जा रही है। भारतीय सेना के ये “टॉप गन” गनर्स हर परिस्थिति में खुद को तैयार रखने के लिए तैयार हैं।
चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में सीखना
- हाई एल्टीट्यूड पर ऑक्सीजन की कमी: इस ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी के चलते सांस लेना मुश्किल हो सकता है। ऐसे में गनर्स को अपने शरीर को वातावरण के अनुकूल ढालना सिखाया जाता है।
- सब-जीरो तापमान: जब तापमान माइनस में होता है, तो हथियार और उपकरणों को संभालना एक बड़ी चुनौती होती है। गनर्स को इन परिस्थितियों में भी दक्षता के साथ काम करना सिखाया जाता है।
- मानसिक और शारीरिक फिटनेस: विपरीत मौसम में ऑपरेशन के लिए मानसिक और शारीरिक संतुलन बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।
मिशन-रेडी रहने की तैयारी
यह ट्रेनिंग गनर्स को सिखाती है कि किसी भी ऑपरेशन में मौसम या हालात उनके संकल्प और तैयारी के बीच बाधा नहीं बन सकते। वे विपरीत परिस्थितियों में न केवल खुद को संभाल सकते हैं, बल्कि देश की रक्षा के लिए पूरी तत्परता से अपने कर्तव्यों का पालन भी कर सकते हैं।
भारतीय सेना का हर जवान इस बात का उदाहरण है कि कठिन परिस्थितियां इंसान को तोड़ नहीं सकतीं, बल्कि उसे मजबूत बनाती हैं। इस तरह की ट्रेनिंग के जरिए गनर्स खुद को हर स्थिति के लिए तैयार रखते हैं और सेना की प्रतिष्ठा को और ऊंचा करते हैं।
इस कठिन ट्रेनिंग से गनर्स न केवल अपने कौशल को निखार रहे हैं, बल्कि यह भी साबित कर रहे हैं कि भारतीय सेना किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह सक्षम है। चाहे सियाचिन हो, लेह-लद्दाख, या अन्य ऊंचाई वाले क्षेत्र, भारतीय सेना हर जगह अपने अदम्य साहस और समर्पण का परिचय देती है।
When the Going Gets Tough- the Tough Get Going
Training in Extreme Weather & Altitude
Gunners of #ForeverInOperationsDivision undergoing training under sub-zero temperature at altitude of 15000 ft to keep themselves operationally ready. The challenging conditions are no… pic.twitter.com/BfRPoccgQC
— @firefurycorps_IA (@firefurycorps) November 28, 2024
इससे पहले 10 नवंबर को भी लद्दाख से भारतीय सेना का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें भारतीय सेना के लेह स्थित चौदहवीं कोर के जवान एक 1,200 किलोग्राम वजनी एक एडवांस एयर डिफेंस तोप को ऊँची चोटी तक ले जाते हुए दिखे थे। फायर एंड फ्यूरी के नाम से मशहूर 14 कोर की तरफ से जारी वीडियो में जवानों को एंटी-एयरक्राफ्ट गन के साथ दिखाया गया है, जो भारतीय सेना की हवाई हमलों, खासकर ड्रोन हमलों के खिलाफ तैयारी को दर्शाता है।
Saluting the gallant soldiers of the Indian Army, deployed in the world’s harshest terrains and extreme weather conditions. Their grit and determination turn challenges into triumphs achieving the impossible. Where others struggle to survive, they thrive, moving mountains with… pic.twitter.com/GtTT2XdzhN
— @firefurycorps_IA (@firefurycorps) November 10, 2024
बता दें कि लद्दाख के बर्फ से ढके पहाड़ न केवल पारंपरिक युद्ध के लिए चुनौतीपूर्ण हैं, बल्कि यह चीन के साथ सीमा पर महत्वपूर्ण स्थानों पर निगरानी बनाए रखने के लिए बेहद अहम हैं। हालांकि, पूर्वी लद्दाख के कुछ क्षेत्रों में सेनाओं के डिसएंगेजमेंट (वापसी) की प्रक्रिया में प्रगति हुई है, फिर भी कुछ क्षेत्र संवेदनशील बने हुए हैं, जहाँ सैनिकों की तैनाती अभी भी महत्वपूर्ण है।