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📍नई दिल्ली | 8 months ago

Teaser missile: इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) ने हाल ही में एक अत्याधुनिक ‘टीजर’ मिसाइल को पेश किया है, जिसे गाइडेड हथियारों की दुनिया में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। यह मिसाइल अपनी अनोखी गाइडेंस टेक्नोलॉजी के चलते चर्चा में है। आम गाइडेड मिसाइलों से अलग, ‘टीजर’ एक बाहरी ऑप्टिकल साइट पर बेस्ड है, न कि बिल्ट-इन होमिंग सेंसर पर। इस तकनीक ने इसे हल्की और सामरिक मिसाइलों की श्रेणी में खास मुकाम हासिल हुआ है। IAI ने इसे बनाने और बड़े स्तर पर उत्पादन के लिए भारत जैसे देशों के साथ साझेदारी करने की इच्छा जताई है।

Teaser Missile: Why Israel Wants to Manufacture This Lethal Weapon in India, Seeking Local Partners

क्या है ‘टीजर’ मिसाइल की खासियत

टीजर मिसाइल को खासतौर पर इन्फैंट्री यूनिट्स और विशेष सैन्य अभियानों के लिए डिजाइन किया गया है। इसका वजन पांच पाउंड से भी कम है और इसे कंधे पर रखकर लॉन्च किया जा सकता है। इसकी यही खासियत ही इसे ग्राउंड फोर्सेस के लिए खास बनाती है।

टीजर में ऑटोमैटिक कमांड टू लाइन-ऑफ-साइट (ACLOS) गाइडेंस तकनीक का इस्तेमाल होता है। यह ऑपरेटर द्वारा एक बाहरी उपकरण, जिसे ‘टीजर-साइट’ कहा जाता है, की मदद से कंट्रोल होती है। इस मिसाइल की अधिकतम मारक क्षमता 2.5 किलोमीटर (करीब 1.6 मील) है।

इसके गाइडेंस सिस्टम की एक और खासियत यह है कि इसे GNSS (ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम) पर निर्भर नहीं होना पड़ता। इसका मतलब यह है कि इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के दौरान इस मिसाइल पर GNSS जैमिंग और स्पूफिंग का कोई असर नहीं पड़ता। वहीं, टीजर की गति 200 मीटर प्रति सेकंड है, जो इसे हल्के ऑर्मर्ड व्हीकल्स, लाइट स्ट्रक्चर्स और एंटी पर्सनल टारगेट्स को मार गिराने में सक्षम बनाती है।

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भारत को प्राथमिकता क्यों?

IAI ने टीजर मिसाइल के पहले डेवलपमेंट फेज को पूरा कर लिया है और अब उत्पादन बढ़ाने के लिए साझेदार ढूंढ रही है। कंपनी का लक्ष्य है कि उत्पादन की क्षमता को वैश्विक स्तर पर फैलाया जाए, ताकि स्थानीय मांग के साथ-साथ निर्यात को भी पूरा किया जा सके। भारत को IAI ने उत्पादन के लिए प्राथमिकता दी है, क्योंकि यहां रक्षा क्षेत्र में बढ़ते अवसर और सहयोग के अनुकूल माहौल मौजूद है।

इस साझेदारी की जरूरत इसलिए भी महसूस हो रही है क्योंकि इजरायल के घरेलू उत्पादन केंद्र गाजा और लेबनान में चल रहे सैन्य अभियानों की वजह से दबाव में हैं। ऐसे में, भारत के साथ मिलकर उत्पादन शुरू करना IAI के लिए एक रणनीतिक और व्यावसायिक रूप से फायदेमंद कदम हो सकता है।

भारत-इजरायल रक्षा सहयोग की मजबूती

भारत और इजरायल का रक्षा संबंध लंबे समय से मजबूत रहा है। भारत, जो विश्व के सबसे बड़े हथियार आयातकों में से एक है, अब आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। ऐसे में IAI के साथ ‘टीजर’ मिसाइल का निर्माण करना भारत के लिए न केवल एक तकनीकी सफलता होगी, बल्कि यह ‘मेक इन इंडिया’ और रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता के उद्देश्य को भी मजबूत करेगा।

भारत में सस्ती उत्पादन लागत और अनुकूल सरकारी नीतियां IAI के लिए इसे एक आदर्श साझेदार बनाती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस सहयोग से न केवल इजरायल को अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी, बल्कि भारत को अत्याधुनिक रक्षा तकनीक हासिल करने और वैश्विक रक्षा निर्यात बाजार में अपनी पहचान बनाने का अवसर भी मिलेगा।

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नई साझेदारी से मजबूत होंगे संबंध

यह सहयोग भारत और इजरायल के बीच एक नई साझेदारी को जन्म देगा, जो दोनों देशों की ताकतों को जोड़ने का काम करेगा। जहां एक ओर भारतीय कंपनियों को नई तकनीकों को सीखने और समझने का मौका मिलेगा, वहीं इजरायल को अपने अत्याधुनिक हथियारों के उत्पादन में बढ़त मिलेगी।

भारत जैसे देश, जो अपनी सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए हर संभव कदम उठा रहा है, उसके लिए यह मिसाइल तकनीक बेहद उपयोगी साबित हो सकती है। ‘टीजर’ का निर्माण न केवल भारतीय सेना को नई क्षमताओं से लैस करेगा, बल्कि भारत को वैश्विक हथियार उद्योग में एक विश्वसनीय साझेदार के रूप में भी स्थापित करेगा।

IAI और भारत के बीच इस संभावित सहयोग से दोनों देशों को सामरिक, आर्थिक और तकनीकी लाभ मिलेगा। यह एक ऐसी पहल है जो केवल रक्षा क्षेत्र तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि इससे स्थानीय उत्पादन, रोजगार और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को भी मजबूती मिलेगी। ‘टीजर’ मिसाइल का भारत में उत्पादन रक्षा क्षेत्र में एक नई क्रांति की शुरुआत कर सकता है।

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