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📍नई दिल्ली | 8 months ago

DRDO Missile Test: भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) अपनी नई मिसाइल टेक्नोलॉजी को लेकर बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है। जल्द ही बंगाल की खाड़ी में DRDO एक सीक्रेट मिसाइल का परीक्षण करेगा। इस परीक्षण की चर्चा रक्षा क्षेत्र में जोरों पर है, लेकिन इसे लेकर ज्यादा जानकारी साझा नहीं की गई है। खबरों के अनुसार, यह परीक्षण विशाखापट्टनम के पास किया जा सकता है, जो भारतीय नौसेना का प्रमुख बेस है।

DRDO Missile Test: DRDO Set to Conduct a Lethal Missile Trial, Ready to Dominate from the Seas!

कौन सी मिसाइल होगी परीक्षण का हिस्सा?

माना जा रहा है कि यह परीक्षण सबमरीन से लॉन्च की जाने वाली क्रूज मिसाइल (SLCM) या K-15 सागरिका मिसाइल का हो सकती है। DRDO ने हाल ही में बंगाल की खाड़ी में 27 से 30 नवंबर के बीच “नो-फ्लाई ज़ोन” घोषित करते हुए NOTAM (नोटिस टू एयरमेन) जारी किया है। इससे संकेत मिलता है कि यह परीक्षण किसी मीडियम रेंज की मिसाइल का हो सकता है।

SLCM: दुश्मन को मात देने वाली तकनीक

फरवरी 2023 में DRDO ने SLCM का सफल परीक्षण किया था, जिसकी रेंज 500 किमी तक है। यह मिसाइल समुद्र से थोड़ी ऊंचाई पर उड़कर रडार को चकमा देने की क्षमता रखती है। इसकी गति 864 किमी/घंटा से 1000 किमी/घंटा तक हो सकती है। इसे भारतीय नेविगेशन सिस्टम और RF सीकर की मदद से टारगेट तक पहुंचाया जाता है।

खासियतें:

  • सी-स्किमिंग क्षमता: मिसाइल पानी की सतह के करीब उड़ती है, जिससे इसे ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है।
  • टेरेन-हगिंग तकनीक: यह मिसाइल जमीन की ऊंचाई के साथ उड़ान भरती है, जिससे दुश्मन के रडार इसे पकड़ नहीं पाते।
  • वॉरहेड विकल्प: इसमें प्रेसिशन-कम-ब्लास्ट और एयरबर्स्ट वॉरहेड लगाए जा सकते हैं।
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K-15 सागरिका: समंदर से निकलेगी मौत

K-15 सागरिका भारत की प्रमुख परमाणु-सक्षम मिसाइलों में से एक है। इसकी रेंज 750-1500 किमी है और यह पनडुब्बी से लॉन्च की जा सकती है। यह मिसाइल 9260 किमी/घंटा की गति से दुश्मन को तबाह करने में सक्षम है। इसकी लंबाई 33 फीट है और वजन 6-7 टन है।

महत्वपूर्ण बिंदु:

  • भारतीय नौसेना इस मिसाइल का उपयोग कर रही है।
  • इसकी गति और मारक क्षमता इसे दुश्मन के लिए अचूक बनाती है।
  • यह मिसाइल जमीन और समुद्र से लॉन्च के लिए उपलब्ध है।

हाइपरसोनिक मिसाइल परीक्षण भी चर्चा में

16 नवंबर को DRDO ने 1500 किमी रेंज की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। अब DRDO अपनी हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी को अगले स्तर पर ले जाने की योजना बना रहा है। आगामी परीक्षणों में हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर व्हीकल (HSTDV) की क्षमताओं को 400 सेकंड तक विस्तारित किया जाएगा, जिससे इसकी स्थिरता और परफॉर्मेंस का आकलन हो सके।

भारत की रक्षा ताकत को नई ऊंचाई

DRDO के इन परीक्षणों से न केवल भारत की रक्षा क्षमताओं में वृद्धि होगी, बल्कि देश को हाइपरसोनिक और आधुनिक मिसाइल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में विश्व पटल पर नई पहचान भी मिलेगी। ये तकनीकें भारत को न केवल सामरिक बढ़त देंगी, बल्कि इसे वैश्विक रक्षा टेक्नोलॉजी के अग्रणी देशों की श्रेणी में खड़ा करेंगी।

रक्षा समाचार की राय

DRDO का यह सीक्रेट परीक्षण भारत की रक्षा ताकत को और मजबूती देगा। SLCM और K-15 जैसी मिसाइलें भारतीय सशस्त्र बलों को अत्याधुनिक तकनीक के साथ लैस करेंगी। यह कदम भारत की सुरक्षा और सामरिक उद्देश्यों की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।

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